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World Blood Donor Day: रक्तदान से टलते हैं अशुभ ग्रह, जानें क्या है रक्तदान का ज्योतिषीय महत्व - 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2004 में रक्तदान दिवस की शुरुआत की गई थी. रक्तदान का हमारे जीवन में बहुत महत्व है. ज्योतिषी में भी रक्तदान करने का विशेष महत्व बताया गया है. आइए जानते हैं कि रक्तदान का ज्योतिषीय महत्व क्या है...

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Published : Jun 14, 2023, 9:08 AM IST

Updated : Jun 14, 2023, 9:30 AM IST

ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा

नई दिल्लीः हर साल 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2004 में रक्तदान दिवस की शुरुआत की गई थी. दुनिया भर में विश्व रक्तदान दिवस मनाने का उद्देश्य जरूरतमंद लोगों को रक्त उपलब्ध कराना है, जिससे कि रक्त के अभाव में किसी भी मरीज की मृत्यु ना हो. जहां एक तरफ रक्तदान करना विज्ञान की दृष्टि से फायदेमंद माना गया है तो वहीं दूसरी तरफ ज्योतिषी में भी रक्तदान करने का विशेष महत्व बताया गया है.

ज्योतिषाचार्य और अध्यात्मिक गुरु शिव कुमार शर्मा के मुताबिक शास्त्रों में बताया गया है कि रक्तदान करने से व्यक्ति के अशुभ ग्रह टल सकते हैं. लोगों की कुंडली में ऐसे योग होते हैं जिनकी वजह से छोटी या बड़ी दुर्घटना हो जाती है. काफी खून बह जाता है. कई बार ये दुर्घटनाएं मृत्यु का कारण बनती है. जब हम किसी व्यक्ति की जान बचाने के लिए रक्तदान करते हैं तो हमारे ग्रह अच्छे होते हैं. दुर्घटनाएं टलती हैं.

रक्तदान का ज्योतिषीय महत्व

  1. जन्म कुंडली में मंगल और शनि दुर्घटना कारक ग्रह है. लग्न या दूसरे भाव में राहु, मंगल या शनि मंगल का योग हो उससे दुर्घटना का योग बनता है, क्योंकि अष्टम भाव व्यक्ति का मारक भाव होता है.
  2. अष्टम भाव बाएं पैर का भी प्रतिनिधित्व करता है और द्वितीय स्थान से अष्टम स्थान पर सप्तम दृष्टि यदि मंगल शनि राहु की होती है तो व्यक्ति को चोट लगती है. लग्न में शनि या मंगल हो तो भी चोट आदि का डर रहता है.
  3. चतुर्थ भाव में भी मंगल अथवा शनि दुर्घटना का योग बनाते हैं. द्वित्तीय, षष्ठ, सप्तम और अष्टम भाव पर मंगल शनि का अशुभ प्रभाव हो या अष्टमेश अशुभ अवस्था में हो तो उस व्यक्ति को बार-बार चोट ,एक्सटेंट का खतरा रहता है. इन सब की शांति के लिए ज्योतिष में बहुत से उपाय हैं किंतु सबसे उत्तम उपाय रक्तदान हैं.

रक्तदानं महादानं सर्वदानेषु दुर्लभम्।

दरअसल, लोगों ने यह धारणा बना रखी है कि रक्तदान करने से शरीर में कमजोरी आएगी, जिससे कि भविष्य में कभी सास संबंधित समस्या खड़ी हो सकती है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. रक्तदान करने से नए रक्त का निर्माण होता है. डॉक्टर से सलाह लेकर साल में दो से तीन बार रक्तदान कर सकते हैं. रक्तदान करने से चोट और दुर्घटनाओं का योग कम होता है. यदि कुंडली में दुर्घटना का योग नहीं है तो भी दूसरों की मदद करने के लिए रक्तदान जरूर करना चाहिए.

ये भी पढ़ेंः Delhi Metro के कर्मचारियों को रक्तदान करने पर मिलेगी एक दिन की छुट्टी

ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा

नई दिल्लीः हर साल 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2004 में रक्तदान दिवस की शुरुआत की गई थी. दुनिया भर में विश्व रक्तदान दिवस मनाने का उद्देश्य जरूरतमंद लोगों को रक्त उपलब्ध कराना है, जिससे कि रक्त के अभाव में किसी भी मरीज की मृत्यु ना हो. जहां एक तरफ रक्तदान करना विज्ञान की दृष्टि से फायदेमंद माना गया है तो वहीं दूसरी तरफ ज्योतिषी में भी रक्तदान करने का विशेष महत्व बताया गया है.

ज्योतिषाचार्य और अध्यात्मिक गुरु शिव कुमार शर्मा के मुताबिक शास्त्रों में बताया गया है कि रक्तदान करने से व्यक्ति के अशुभ ग्रह टल सकते हैं. लोगों की कुंडली में ऐसे योग होते हैं जिनकी वजह से छोटी या बड़ी दुर्घटना हो जाती है. काफी खून बह जाता है. कई बार ये दुर्घटनाएं मृत्यु का कारण बनती है. जब हम किसी व्यक्ति की जान बचाने के लिए रक्तदान करते हैं तो हमारे ग्रह अच्छे होते हैं. दुर्घटनाएं टलती हैं.

रक्तदान का ज्योतिषीय महत्व

  1. जन्म कुंडली में मंगल और शनि दुर्घटना कारक ग्रह है. लग्न या दूसरे भाव में राहु, मंगल या शनि मंगल का योग हो उससे दुर्घटना का योग बनता है, क्योंकि अष्टम भाव व्यक्ति का मारक भाव होता है.
  2. अष्टम भाव बाएं पैर का भी प्रतिनिधित्व करता है और द्वितीय स्थान से अष्टम स्थान पर सप्तम दृष्टि यदि मंगल शनि राहु की होती है तो व्यक्ति को चोट लगती है. लग्न में शनि या मंगल हो तो भी चोट आदि का डर रहता है.
  3. चतुर्थ भाव में भी मंगल अथवा शनि दुर्घटना का योग बनाते हैं. द्वित्तीय, षष्ठ, सप्तम और अष्टम भाव पर मंगल शनि का अशुभ प्रभाव हो या अष्टमेश अशुभ अवस्था में हो तो उस व्यक्ति को बार-बार चोट ,एक्सटेंट का खतरा रहता है. इन सब की शांति के लिए ज्योतिष में बहुत से उपाय हैं किंतु सबसे उत्तम उपाय रक्तदान हैं.

रक्तदानं महादानं सर्वदानेषु दुर्लभम्।

दरअसल, लोगों ने यह धारणा बना रखी है कि रक्तदान करने से शरीर में कमजोरी आएगी, जिससे कि भविष्य में कभी सास संबंधित समस्या खड़ी हो सकती है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. रक्तदान करने से नए रक्त का निर्माण होता है. डॉक्टर से सलाह लेकर साल में दो से तीन बार रक्तदान कर सकते हैं. रक्तदान करने से चोट और दुर्घटनाओं का योग कम होता है. यदि कुंडली में दुर्घटना का योग नहीं है तो भी दूसरों की मदद करने के लिए रक्तदान जरूर करना चाहिए.

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Last Updated : Jun 14, 2023, 9:30 AM IST
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