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Som Pradosh Vrat 2023: सावन का सोम प्रदोष व्रत कल, जानें शुभ मुहूर्त एवं पूजन विधि

सोम प्रदोष व्रत को विशेष फलदाई माना जाता है और जब यह सावन में हो तो इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. आइए जानते हैं अगस्त में सोम प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा और इस दिन का शुभ मुहूर्त व पूजन विधि.

Som Pradosh Vrat 2023:
Som Pradosh Vrat 2023:
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 27, 2023, 6:22 PM IST

ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. इस बार सोमवार को पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा. 28 अगस्त को सोम प्रदोष और सावन का आखिरी सोमवार है. ऐसे में इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जा रहा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सोम प्रदोष का व्रत करने से सभी तरह के दुख और संकट से मुक्ति मिलती है और आर्थिक संपन्नता की प्राप्त होती है. साथ ही लंबे समय से कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं.

ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. पुराणों में उन्हें आशुतोष बताया गया है, जिसका अर्थ है जल्दी प्रसन्न होने वाले. उनके पूजन-अर्चन से भक्त के कष्टों का नाश होता है. इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजन करने से पूर्ण फल की सिद्धि होती है.

सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त-

सोम प्रदोष तिथि आरंभ: 28 अगस्त, शाम 6:49 से शुरू होगा.

सोम प्रदोष तिथि समाप्ति: 29 अगस्त, दोपहर 2:47 बजे समाप्त होगा.

प्रदोष व्रत पूजन शुभ मुहूर्त: 28 अगस्त शाम 6:49 से रात 9:02 बजे तक.

ऐसे करें पूजन: प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ सुथरे कपड़े पहनें. इसके बाद सोम प्रदोष व्रत का संकल्प लें और घर के मंदिर को साफ कर भगवान शिव का जलाभिषेक करें. इसके बाद भगवान शिव की प्रतिमा को माला पहनाकर उन्हें भोग लगाएं और आरती करें. इस दिन शिव चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं. ध्यान रखें कि प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजन करें.

इस मंत्र का करें जाप: प्रदोष व्रत के दिन 108 बार ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. ऐसा करने से शरीर और मन शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है.

जरूर करें दान: कोई भी व्रत-पूजा करने के बाद दान का विशेष महत्व है. सोम प्रदोष के दिन चावल, चीनी, उड़द की दाल आदि दान करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है. साथ ही लंबे समय से चली आ रही समस्याओं से मुक्ति मिलती है और व्यापार में आ रही कठिनाइयां दूर होती हैं.

Disclaimer: यहां मुहैया कराई गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है. यहां यह बताना जरूरी है कि ईटीवी भारत किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

यह भी पढ़ें-Sawan Putrada Ekadashi 2023: 27 या 28 अगस्त, पुत्रदा एकादशी कब ? जानें पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

यह भी पढ़ें-Patna Floating Stone : गंगा में तैरता मिला त्रेता युग का चमत्कारी पत्थर.. राम नाम की महिमा मानकर पूजा पाठ शुरू, देखें VIDEO

ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. इस बार सोमवार को पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा. 28 अगस्त को सोम प्रदोष और सावन का आखिरी सोमवार है. ऐसे में इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जा रहा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सोम प्रदोष का व्रत करने से सभी तरह के दुख और संकट से मुक्ति मिलती है और आर्थिक संपन्नता की प्राप्त होती है. साथ ही लंबे समय से कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं.

ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. पुराणों में उन्हें आशुतोष बताया गया है, जिसका अर्थ है जल्दी प्रसन्न होने वाले. उनके पूजन-अर्चन से भक्त के कष्टों का नाश होता है. इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजन करने से पूर्ण फल की सिद्धि होती है.

सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त-

सोम प्रदोष तिथि आरंभ: 28 अगस्त, शाम 6:49 से शुरू होगा.

सोम प्रदोष तिथि समाप्ति: 29 अगस्त, दोपहर 2:47 बजे समाप्त होगा.

प्रदोष व्रत पूजन शुभ मुहूर्त: 28 अगस्त शाम 6:49 से रात 9:02 बजे तक.

ऐसे करें पूजन: प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ सुथरे कपड़े पहनें. इसके बाद सोम प्रदोष व्रत का संकल्प लें और घर के मंदिर को साफ कर भगवान शिव का जलाभिषेक करें. इसके बाद भगवान शिव की प्रतिमा को माला पहनाकर उन्हें भोग लगाएं और आरती करें. इस दिन शिव चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं. ध्यान रखें कि प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजन करें.

इस मंत्र का करें जाप: प्रदोष व्रत के दिन 108 बार ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. ऐसा करने से शरीर और मन शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है.

जरूर करें दान: कोई भी व्रत-पूजा करने के बाद दान का विशेष महत्व है. सोम प्रदोष के दिन चावल, चीनी, उड़द की दाल आदि दान करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है. साथ ही लंबे समय से चली आ रही समस्याओं से मुक्ति मिलती है और व्यापार में आ रही कठिनाइयां दूर होती हैं.

Disclaimer: यहां मुहैया कराई गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है. यहां यह बताना जरूरी है कि ईटीवी भारत किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

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