नई दिल्ली: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का बहुत विशेष महत्व है. माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाता है. प्रत्येक वर्ष 24 से 26 एकादशी होती हैं और हर एकादशी का अपना विशेष महत्व है. इस बार जया एकादशी 1 फरवरी, बुधवार को मनाई जाएगी. इस व्रत को करने से व्रती को जीवन में विजय की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं, जया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति नीच योनी जैसे भूत, प्रेत, पिशाच आदि से मुक्त हो जाता है. भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को जया एकादशी का महत्व बताते हुए कहा था कि यह व्रत 'ब्रह्म हत्या' जैसे पापों से भी मुक्ति दिलाता है. साथ ही यह व्रत करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ करने का पुण्य प्राप्त होता है.
जया एकादशी पूजा विधि
- जया एकादशी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान श्री हरि विष्णु को प्रणाम कर व्रत का संकल्प करें.
- इसके बाद गंगाजल युक्त जल से स्नान कर शुद्धि करें.
- फिर भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करें और उन्हें पीले फूल, पीले फल, पीली मिठाई, धूप-दीप, कुमकुम, चावल, अगरबत्ती आदि अर्पित कर उनकी पूजा करें.
- अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें.
जया एकादशी 2023 मुहूर्त: इस बार जया एकादशी का व्रत 1 फरवरी को है. इस दौरान माघ शुक्ल एकादशी तिथि 31 जनवरी सुबह 11 बजकर 53 मिनट पर शुरू हो 1 फरवरी दोपहर 2 बजकर 1 मिनट तक रहेगी. मंगलवार को उदया तिथि में एकादशी न होने यह बुधवार को मनाई जाएगी.
भूलकर भी न करें ये गलतियां
- शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन तामसिक भोजन जैसे मांस, प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही किसी भी तरह के नशे जैसे शराब, गुटखा, सिगरेट आदि से भी पूर्णतयः बचना चाहिए.
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति, अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप माना गया है.
- शाम के समय सोने से बचना चाहिए.
- एकादशी के दिन चावल का सेवन भी नहीं करना चाहिए.