नई दिल्ली: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है. हर माह के दो बार, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से व्रती को भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इस बार यह व्रत 2 फरवरी यानी आज पड़ रहा है. गुरुवार को पड़ने के कारण इसे गुरू प्रदोष व्रत कहा जाता है. ऐसा मान्यता है कि गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से घर में मां लक्ष्मी का स्थाई वास होता है और घर में धन की स्थिरता आता है. इस दिन भगवान शंकर की आराधना कर गरीबों और विद्वानों को भोजन कराने से व्रती को उच्च फल की प्राप्ति होती है.
व्रत में बरतें सावधानी: भगवान शंकर का एक नाम आशुतोष भी है. आशुतोष का अर्थ है शीघ्र प्रसन्न होने वाले. भक्त थोड़े से प्रयास से ही उन्हें को प्रसन्न कर सकते हैं. हालांकि गुरू प्रदोष के व्रत के दौरान कुछ सावधानियां बरतना बेहद जरूरी होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि भगवान शिव को निष्ठा, लगन और सत्यता पसंद है. जो व्यक्ति निश्चल होता है और श्रद्धा के साथ गुरू प्रदोष व्रत रहता है, उसे व्रत फलित होता है. इस व्रत करने से आध्यात्मिक उन्नति, गुरू और ईश्वर कृपा मिलती है और व्यक्ति के धन-धान्य की वृद्धि होती है.
प्रारंभ: 2 फरवरी (गुरुवार) को शाम 4 बजकर 25 मिनट से
समापन: 3 फरवरी (शुक्रवार) को शाम 6 बजकर 58 मिनट पर
- रवि प्रदोष: रविवार को पड़ने वाले त्रयोदशी को रवि प्रदोष कहते हैं. इस व्रत को करने से यश, कीर्ति और आयु का लाभ होता है.
- सोम प्रदोष: जब सोमवार को त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो उसे सोम प्रदोष कहते हैं. यह भगवान शिव का प्रिय दिन है, इसलिए उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए सोम प्रदोष का व्रत रखा जाता है.
- भौम प्रदोष: जब त्रयोदशी तिथि मंगलवार को पड़ती है तो उसे भौम प्रदोष कहा जाता है. इस प्रदोष व्रत को करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है. साथ ही व्रती को भूमि-भवन आदि का लाभ होता है और समाज में मान-सम्मान मिलता है.
- बुध प्रदोष: बुधवार के दिन पड़ने वाली त्रयोदशी बुध प्रदोष कहलाती है. इस दिन व्रत करने से नौकरी, व्यापार, कीर्ति और स्वास्थ्य का लाभ मिलता है.
- गुरु प्रदोष: बृहस्पतिवार को जब त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो उसे गुरु प्रदोष कहा जाता है. यह प्रदोष व्रत करने से आध्यात्मिक उन्नति, गुरु और ईश्वर कृपा मिलती है. साथ ही व्रती के धन-धान्य में भी वृद्धि होती है.
- शुक्र प्रदोष: शुक्रवार को पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि को शुक्र प्रदोष कहा जाता है. इस दिन व्रत करने से पारिवारिक संबंधों में लाभ मिलता है और घर की महिलाएं स्वस्थ और प्रसन्न रहती हैं.
- शनि प्रदोष: जब शनिवार को त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो वह शनि प्रदोष कहलाती है. इस दिन व्रत करने से कार्य में सफलता और समाज के महत्वपूर्ण लोगों का सहयोग मिलता है.
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