नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में एक ऐसा स्कूल है जो मेट्रो ब्रिज के नीचे चलाया जा रहा है. जहां रोजाना सैकड़ों बच्चे पढ़ने आते हैं. स्कूल का नाम है 'फ्री स्कूल अंडर द ब्रिज'. जो टीचर बच्चों को पढ़ाने के लिए आते हैं वो भी काफी दूर-दूर से आते हैं. कोई यूपीएससी की तैयारी कर रहा है तो कोई इंजीनियर है.
2006 में की थी स्कूल की शुरुआत
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन के नीचे पिछले 13 सालों से एक स्कूल चलाया जा रहा है जिसमें करीब 300 बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जा रही है. लक्ष्मी नगर इलाके के रहने वाले राजेश कुमार शर्मा ने साल 2006 में 2 बच्चों के साथ इस स्कूल की शुरुआत की थी और आज स्कूल में दो शिफ्ट में करीब 300 बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं.
दो शिफ्ट में चलता है स्कूल
सुबह 9:00 बजे से 11:30 बजे तक 130 लड़कों को और दोपहर 2:00 बजे से 170 लड़कियों को पढ़ाया जाता है और आसपास के झुग्गी बस्ती समेत कई बच्चे यहां पर पढ़ने के लिए आते हैं और उन्हें पढ़ाने के लिए भी कई टीचर यहां पर आते हैं जिसके लिए वह कोई भी फीस नहीं लेते यहां पढ़ने आने वाले बच्चों से भी कोई फीस नहीं ली जाती.
जब हमने यहां पढ़ रहे बच्चों से बात की तो उनका कहना था. वह काफी सालों से यहां पढ़ रहे हैं और उन्हें यहां पढ़ना बेहद अच्छा लगता है और अब वह यहां से पढ़कर आगे कॉलेज में जाकर पढ़ाई करना चाहते हैं और अच्छी नौकरी करना चाहते हैं स्कूल में पहली क्लास से लेकर दसवीं क्लास तक के बच्चों को पढ़ाया जाता है.
बिना किसी तनख्वाह के बच्चों को पढ़ाते हैं टीचर
जो टीचर बच्चों को पढ़ाने के लिए आते हैं वो भी काफी दूर-दूर से आते हैं कोई यूपीएससी की तैयारी कर रहा है तो कोई इंजीनियर है. ये खाली समय निकालकर बच्चों को यहां पढ़ाने आते हैं. जब हमने इनसे बात की तो उनका कहना था कि उन्हें यहां पर बच्चों को आकर पढ़ाना बेहद अच्छा लगता है जिसके लिए वह कोई फीस नहीं लेते बल्कि किसी को शिक्षा देकर उन्हें अच्छा लगता है.
यहां से पढ़कर अच्छी जॉब कर रहे छात्र
स्कूल चलाने वाले राजेश कुमार का कहना था कि यहां से जो बच्चे पढ़ कर जाते हैं, वो आज कई स्कूल कॉलेजों में है और अच्छी जॉब कर रहे हैं. यहां तक कि बच्चों का आईआईटी में भी एडमिशन हुआ. वहां भी वह पढ़ रहे हैं उनका कहना था अगर इन बच्चों को भी अच्छा प्लेटफार्म मिले तो यह भी बहुत अच्छा कर सकते हैं.
पेड़ के नीचे पढ़ाने से की थी शुरुआत
राजेश कुमार ने हमें बताया कि जब वो पहली बार यहां आए तो उन्होंने बच्चों को ऐसे ही घूमते हुए देखा जिसके बाद उन्होंने उन्हें पढ़ाने के बारे में सोचा पहले वह एक पेड़ के नीचे बच्चों को पढ़ाते थे लेकिन धूल मिट्टी बारिश के कारण उन्हें परेशानी होती थी. जिसके बाद उन्होंने यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन के नीचे बच्चों को पढ़ाने का फैसला किया और उसके साथ आज कई टीचर हैं, जो इस काम में उनकी मदद कर रहे हैं. इसके साथ ही उनका कहना था कि कई लोग आए जिन्होंने उनकी मदद करने की कोशिश की लेकिन वह बच्चों को पढ़ाने से ज्यादा अपने मुनाफे के बारे में भी सोचते हैं.
सरकार से स्कूल बनवाने की मांग
राजेश कुमार शर्मा ने सरकार से मांग की कि अगर इन बच्चों को एक स्कूल मिल जाए तो इन बच्चों का भविष्य अच्छा हो सकता है हालांकि उन्हें अभी किसी भी सरकारी अधिकारी या नेता की तरफ से मदद नहीं दी गई है, सिर्फ आम लोग ही आकर उनकी मदद करते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं.