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फूलों की खेती करने वाले किसान का हाल बेहाल, नहीं मिल रहे फसल के दाम

किसानों ने ईटीवी भारत से बताया कि लॉकडाउन की वजह से फूल कारोबार बर्बाद हो गया है. मंडी बंद होने की वजह से फूल खेतों में ही सड़ रहा है. कुछ किसानों का कहना है कि अब सारी जमा पूंजी खत्म हो गई. अब इतना पैसा नहीं है कि डीजल खरीदकर खेतों में पानी डाला जा सके.

flower crops farmers are facing problem during lockdown
परेशान हुए फूलों की खेती करने वाले किसान
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Published : Apr 16, 2020, 3:31 PM IST

नई दिल्लीः कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में फूल कारोबार ठप पड़ा है. फूल मंडी बंद है. फूल की खेती करने वाले किसानों का हाल जानने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम जब यमुना खादर पहुंची, तो किसानों ने अपना दर्द जाहिर किया.

परेशान हुए फूलों की खेती करने वाले किसान


फूल कारोबार चौपट

किसानों ने ईटीवी भारत से बताया कि लॉकडाउन की वजह से फूल कारोबार बर्बाद हो गया है. मंडी बंद होने की वजह से फूल खेतों में ही सड़ रहा है. फूल नहीं तोड़े जाने की वजह से फूल की खेती बर्बाद हो रही है. कुछ किसानों का कहना है कि फूल तोड़ने के बाद खेतों से बाहर फेंक कर पौधे को बचाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अब सारी जमा पूंजी खत्म हो गई. अब इतना पैसा नहीं है कि डीजल खरीदकर खेतों में पानी डाला जा सके.


सरकार से नहीं मिल रही मदद

किसानों ने बताया कि 20 रुपये से 100 रुपये किलो तक बिकने वाले गेंदा और गुलाब 5 रुपये किलो भी नहीं बिक पा रहे हैं. किसानों ने बताया कि उनके पास खुदके खाने के लिए भी पैसा नहीं बचा है और ना ही सरकार की तरफ से कोई मदद पहुंचाई जा रही है.

नई दिल्लीः कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में फूल कारोबार ठप पड़ा है. फूल मंडी बंद है. फूल की खेती करने वाले किसानों का हाल जानने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम जब यमुना खादर पहुंची, तो किसानों ने अपना दर्द जाहिर किया.

परेशान हुए फूलों की खेती करने वाले किसान


फूल कारोबार चौपट

किसानों ने ईटीवी भारत से बताया कि लॉकडाउन की वजह से फूल कारोबार बर्बाद हो गया है. मंडी बंद होने की वजह से फूल खेतों में ही सड़ रहा है. फूल नहीं तोड़े जाने की वजह से फूल की खेती बर्बाद हो रही है. कुछ किसानों का कहना है कि फूल तोड़ने के बाद खेतों से बाहर फेंक कर पौधे को बचाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अब सारी जमा पूंजी खत्म हो गई. अब इतना पैसा नहीं है कि डीजल खरीदकर खेतों में पानी डाला जा सके.


सरकार से नहीं मिल रही मदद

किसानों ने बताया कि 20 रुपये से 100 रुपये किलो तक बिकने वाले गेंदा और गुलाब 5 रुपये किलो भी नहीं बिक पा रहे हैं. किसानों ने बताया कि उनके पास खुदके खाने के लिए भी पैसा नहीं बचा है और ना ही सरकार की तरफ से कोई मदद पहुंचाई जा रही है.

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