नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडाः एनटीपीसी प्लांट पर अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे किसानों पर पुलिस के लाठीचार्ज के विरोध में आज किसानों ने ग्रेटर नोएडा में पैदल मार्च (Farmers foot march in protest against lathicharge) निकाला. इसमें हजारों की संख्या में किसान और महिलाएं मौजूद रहीं और जमकर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की. किसानों का साफ कहना है कि लाठीचार्ज में दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाए और जेल में बंद किसानों को जल्द रिहा किया जाए. यह पैदल मार्च एलजी गोल चक्कर से जिला कलेक्ट्रेट तक निकाला गया.
एनटीपीसी प्लांट के बाहर गत 1 नवंबर को अपनी मांगों को लेकर 24 गांव के किसान धरना प्रदर्शन कर रहे थे, जिनपर पुलिस के द्वारा पानी की बौछारों में लाठीचार्ज की गई. लाठीचार्ज में महिलाओं सहित दर्जनों किसान घायल हो गए, जिसके बाद पुलिस ने 500 से ज्यादा किसानों पर मुकदमा दर्ज किया और एक दर्जन से अधिक किसानों को जेल भेज दिया. उसके बाद भी किसानों का एनटीपीसी के पास रसूलपुर गांव में धरना प्रदर्शन अभी भी जारी है. आज किसानों ने ग्रेटर नोएडा में एलजी गोल चक्कर से जिलाधिकारी कार्यालय तक पैदल मार्च निकाला, जिसमें महिलाओं सहित हजारों किसान शामिल हुए और जमकर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की गई.
पैदल मार्च के दौरान किसानों ने मांग की है कि एनटीपीसी प्लांट के बाहर किसानों पर हुए लाठीचार्ज के दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाए. साथ ही जेल में बंद किसानों को बिना शर्त रिहा किया जाए. उसके बाद जो 24 गांव के किसान अपनी मांगों को लेकर अभी भी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, उनको प्रशासन और सरकार के माध्यम से पूरी कराई जाए. किसान रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली आदि की मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
प्रशासन ने किसानों से बुधवार तक का समय मांगा है, जिसके बाद किसानों का साफ तौर पर कहना है कि उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वह लोग जिलाधिकारी दफ्तर के लिए पैदल कूच करेंगे और उसका घेराव करेंगे. उसी कार्यक्रम के तहत आज हजारों की संख्या में महिलाएं और किसानों ने जिलाधिकारी कार्यालय तक पैदल मार्च किया.
ये भी पढ़ेंः एनटीपीसी प्लांट के खिलाफ किसानों का धरना, प्रशासन ने एक दिन का और समय मांगा
किसानों ने बताया कि 1984 में एनटीपीसी प्लांट के लिए 24 गांव की जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन उस दौरान मुआवजा बांटने में अनियमितताएं बरती गई थी. किसानों को एक समान मुआवजा नहीं दिया गया था. किसान लंबे समय से एक समान मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन करते आ रहे हैं. इसके अलावा रोजगार, गांवों में विकास को लेकर भी लंबे समय से प्रदर्शन किया जा रहा है.