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जमानत मिलने के बावजूद दिवाली में कैदियों को जेल में ही रहना होगा, जमानती नहीं मिलने से दिक्कत

जमानत मिलने के बावजूद जमानती न मिलने के कारण कैदी जेल में दिवाली मनाने को विवश है. लुक्सर स्थित जिला जेल में 60 के करीब ऐसे कैदी हैं, जो जमानती न मिलने के कारण 6 माह से अपनी रिहाई की राह देख रहे हैं. ऐसे मामलों में लोक अदालत से कैदियों को कानूनी मदद मिलती है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 1, 2023, 8:46 PM IST

जमानती नहीं मिलने से कैदियों को हो रही है दिक्कत

नई दिल्ली/नोएडा: गौतम बुद्ध नगर जिला जेल में ऐसे 5 दर्जन से ज्यादा कैदी हैं, जो जमानत मिलने के बावजूद त्योहारों पर जेल के अंदर ही रहेंगे. वो सारे लोग इस साल दिवाली कारागार में ही मनाएंगे. इसकी वजह है उनके द्वारा जमानती दाखिल नहीं कर पाना. हालांकि, कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसमें जमानती के बिना उन्हें छोड़ा नहीं जा सकता है.

6 महीने से कर रहे रिहाई का इंतजार: लुक्सर स्थित जिला जेल की क्षमता 3750 कैदियों की है, जिसमें महिला और पुरुष मिलकर सजायाफ्ता बंदियो की संख्या 1266 है. विचाराधीन कैदियों की संख्या 1899 है. इस प्रकार जेल में कुल 3165 कैदी रखे गए हैं. इन कैदियों में से 60 के करीब ऐसे कैदी हैं, जो जमानती न मिलने के कारण 6 माह से अपनी रिहाई की बाट देख रहे हैं.

सीआरपीसी की धारा 337 के अनुसार, आरोपियों के जमानती से बॉण्ड भराया जाता है और गारंटी ली जाती है. यदि वह तारीख पर आरोपी नहीं आएगा, तो उसकी जिम्मेदारी जमानती को उठानी पड़ेगी. उसकी जमानती की राशि भी जब्त की जा सकती है और उसके खिलाफ कोर्ट में कंप्लेंट दर्ज करने की भी आजादी होती है. इस मामले में आरोपी की जमानत लेने पर लेने वाले पर पूरी जिम्मेदारी आ जाती है. इस कारण से बिना जान पहचान या गंभीर प्रवृत्ति के अपराधियों को जमानती मिलने में परेशानी होती है.

ये भी पढ़ें: Delhi Liquor Scam: केजरीवाल अगर गिरफ्तार हुए तो कौन लेगा उनकी जगह, सियासी गलियारों में नए सीएम की चर्चा

लोक अदालत से मिलती है कानूनी मदद: इस प्रकार के कैदियों के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और लोक अदालत के माध्यम से कानूनी मदद भी की जाती है और अधिवक्ता भी उपलब्ध कराए जाते हैं, जिसकी फीस सरकार देती है. इस एक साल में 600 के करीब कैदी ऐसे हैं, जिन्हें कानूनी मदद देकर जेल से छुड़वाया गया है. ऐसे में इन कैदियों की आस लोक अदालत और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पर टिकी है. इसके लिए यह कैदी गुहार लगा रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले दिनों जब जिला जज और जिलाधिकारी ने जेल का दौरा किया था, 12 कैदियों ने लिखित रूप में गुहार लगाई थी कि उन्हें कानूनी मदद देकर जेल से छुड़वाया जाए.

ये भी पढ़ें: MCD's new policy: दिल्ली में धार्मिक स्थलों के पास नहीं खुलेगी मीट शॉप, MCD की नई पॉलिसी का विरोध शुरू

जमानती नहीं मिलने से कैदियों को हो रही है दिक्कत

नई दिल्ली/नोएडा: गौतम बुद्ध नगर जिला जेल में ऐसे 5 दर्जन से ज्यादा कैदी हैं, जो जमानत मिलने के बावजूद त्योहारों पर जेल के अंदर ही रहेंगे. वो सारे लोग इस साल दिवाली कारागार में ही मनाएंगे. इसकी वजह है उनके द्वारा जमानती दाखिल नहीं कर पाना. हालांकि, कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसमें जमानती के बिना उन्हें छोड़ा नहीं जा सकता है.

6 महीने से कर रहे रिहाई का इंतजार: लुक्सर स्थित जिला जेल की क्षमता 3750 कैदियों की है, जिसमें महिला और पुरुष मिलकर सजायाफ्ता बंदियो की संख्या 1266 है. विचाराधीन कैदियों की संख्या 1899 है. इस प्रकार जेल में कुल 3165 कैदी रखे गए हैं. इन कैदियों में से 60 के करीब ऐसे कैदी हैं, जो जमानती न मिलने के कारण 6 माह से अपनी रिहाई की बाट देख रहे हैं.

सीआरपीसी की धारा 337 के अनुसार, आरोपियों के जमानती से बॉण्ड भराया जाता है और गारंटी ली जाती है. यदि वह तारीख पर आरोपी नहीं आएगा, तो उसकी जिम्मेदारी जमानती को उठानी पड़ेगी. उसकी जमानती की राशि भी जब्त की जा सकती है और उसके खिलाफ कोर्ट में कंप्लेंट दर्ज करने की भी आजादी होती है. इस मामले में आरोपी की जमानत लेने पर लेने वाले पर पूरी जिम्मेदारी आ जाती है. इस कारण से बिना जान पहचान या गंभीर प्रवृत्ति के अपराधियों को जमानती मिलने में परेशानी होती है.

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लोक अदालत से मिलती है कानूनी मदद: इस प्रकार के कैदियों के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और लोक अदालत के माध्यम से कानूनी मदद भी की जाती है और अधिवक्ता भी उपलब्ध कराए जाते हैं, जिसकी फीस सरकार देती है. इस एक साल में 600 के करीब कैदी ऐसे हैं, जिन्हें कानूनी मदद देकर जेल से छुड़वाया गया है. ऐसे में इन कैदियों की आस लोक अदालत और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पर टिकी है. इसके लिए यह कैदी गुहार लगा रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले दिनों जब जिला जज और जिलाधिकारी ने जेल का दौरा किया था, 12 कैदियों ने लिखित रूप में गुहार लगाई थी कि उन्हें कानूनी मदद देकर जेल से छुड़वाया जाए.

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