नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम में शनिवार को 2023-24 का बजट कमिश्नर ज्ञानेश भारती ने पेश किया. निगम में स्थाई समिति का गठन नहीं हुआ है, जिसकी वजह से कमिश्नर ने बजट प्रस्तुत किया. बजट में निगम को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया गया. कमिश्नर ने बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 में निगम को 2417 करोड़ रुपए का राजस्व संपत्ति कर से प्राप्त हुआ है. यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 400 करोड़ ज्यादा है.
हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने इस बजट को आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया वाला बताया है. एमसीडी में नेता प्रतिपक्ष राजा इक़बाल ने बताया कि बजट में आम आदमी पार्टी की सरकार ने कुछ नया नहीं किया. बीजेपी के वक़्त शुरू की गई योजनाओं पर क्रेडिट ली जा रही है. 5000 हजार कर्मचारियों को पक्का करने की बात कही गई थी, लेकिन बजट में इसे शामिल नहीं किया गया.
वहीं, भाजपा पार्षद संदीप कपूर ने बजट को घाटे का बजट बताया है. उन्होंने कहा कि निगम की आय का 80% सैलरी में खर्च हो रहा है, ऐसे में 20% विकास कार्य को सुचारु रूप से होना मुश्किल है. अगर ऐसा नहीं तो यह दिल्लीवासियों को गुमराह करने के लिए मेयर शैली ओबेरॉय पारदर्शी बजट की नौटंकी कर रही हैं. भाजपा के पार्षदों ने बजट पर जनता के बीच चर्चा के फैसले पर भी सवाल उठाया. पार्षदों का कहना है कि जनता ने उन्हें चुनकर भेजा है, जनता उन्हें अपनी आवश्यकता को बताती रहती है. ऐसे में पार्षदों की राय को शामिल करना जरूरी है.
बता दें, कमिश्नर ज्ञानेश भारती ने 2024-25 का प्रस्तावित 16683.03 करोड़ का बजट पेश किया, 2023-24 में अनुमानित लक्ष्य 15523.96 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है. हालांकि, 2022-23 में आय महज 9506.58 करोड़ का हुआ था. ऐसे में आय और खर्च के बीच का अंदर तक़रीबन 40 प्रतिशत का है. दिल्ली कि जनता के लिए राहत कि बात यह रही कि बजट में कोई नया टैक्स का प्रस्ताव नहीं रखा है.