नई दिल्ली: डैम्स विभाग की बैठक में पार्षदों ने डोर टू डोर योजना शुरू किए जाने के मामले को लेकर जमकर भड़ास निकाली. पार्षदों ने बैठक में डोर-टू-डोर योजना पर सवाल खड़ा कर दिया है. पार्षदों का कहना है कि इस योजना को कूड़ा निस्तारण करने का काम जिस उमीद से निजी कंपनी को सौंपा गया है, वह उमीद टूटती नजर आ रही है. कंपनी कूड़ा निस्तारण के कार्य को सही ढंग से नहीं कर रही है.
'सक्षम नहीं है प्राइवेट कंपनी'
पार्षद श्याम सुंदर अग्रवाल ने कहा कि 1 अक्टूबर से डोर टू डोर योजना 8 वार्डों में शुरू कर दी गई है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इसके उद्घाटन में चेयरमैन तक को नहीं बुलाया गया. पार्षद ने कहा कि पहले कहा गया था कि जिन वार्डों में यह डोर-टू-डोर योजना चालू होगी, वहां कूड़ा नजर नहीं आएगा, लेकिन हैरानी की बात यह है कि मंगलवार को मैं खुद रात 8 बजे के करीब कृष्णा नगर स्थित रघुनाथ मंदिर में गया था, उसके पास बने ढलाव घर में कूड़ा भरा हुआ था. इतना ही नहीं सड़क पर भी चारों तरफ कूड़े के ढेर थे. इसको देखकर लगता है कि कंपनी काम करने में सक्षम नहीं है. अभी तो 8 वार्डों में काम शुरू हुआ है, अगर 64 वार्डों में काम शुरू हो गया तो कितनी परेशानी हो जाएगी. उन्होंने कहा कि 1 महीने के दौरान कंपनी पर कितना जुर्माना लगाया गया है, यह बताया जाए.
एक ही कंपनी को मिला ठेका
पार्षद पुनीत ने कहा कि कंपनी ने कूड़ा उठाने का काम शुरू कर दिया है. 4 जनवरी से सर्वे का काम शुरू हो जाएगा. इसके लिए डैम्स विभाग ने क्या तैयारी कर रखी है, इसके बारे में बताया जाए. जवाब आया कि इसके लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स बनाई है. वहीं कांग्रेस की पार्षद कुमारी रिंकू ने कहा कि एक तरफ हम सफाई कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे, लोग धरना-प्रदर्शन पर बैठे हुए हैं. वहीं दूसरी ओर डोर-टू-डोर में पहले जो काम 100 करोड़ पर हुआ करता था, अब उस पर 200 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं. आखिर सत्ता में बैठे नेताओं का क्या लालच है कि इतना बड़ा ठेका एक ही कंपनी को दे दिया. उन्होंने कहा कि डोर टू डोर योजना में कंपनी क्या क्या काम करेगी, इसके बारे में मैंने अधिकारियों से फाइल देखने के लिए कहा था लेकिन आज तक वह फाइल नहीं दिखाई गई.
क्या एग्रीमेंट में टेंडर कैंसिल करने का प्रावधान
वहीं पार्षद राजीव चौधरी ने कहा कि कंपनी को यह प्रोजेक्ट देने से हमारी रैंकिंग सुधर जाएगी और हम अब टॉप पांच में आ जाएंगे, इसको लेकर हम आश्वस्त हो जाए. अगर कंपनी सही ढंग से काम नहीं करती है तो क्या निगम ने ऐसा कोई प्रावधान एग्रीमेंट में रखा है कि कंपनी का टेंडर कैंसिल किया जा सके या हमें कंपनी को 9 साल तक ढोना ही होगा.