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मथुरा के जवाहर बाग कांड में सीबीआई की चार्जशीट दाखिल, जल्द सामने आएगा मुख्य साजिशकर्ता का नाम

मथुरा में वर्ष 2016 में पुलिस और जमीन के अवैध कब्जाधारियों के बीच खूनी संघर्ष में सिटी एसपी और एसओ के शहीद हो गए थे. उस संघर्ष में करीब दो दर्जन लोगों की मौत के बाद जवाहरबाग कांड पूरे देश में चर्चा में आया था. सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. सीबीआई ने उस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी (charge sheet filed) है. अब चार्जशीट खुलते ही उस कांड के मुख्य साजिशकर्ता का नाम (name of main conspirator) सामने आ जाएगा.

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Published : Dec 7, 2022, 11:23 AM IST

नई दिल्ली/ गाजियाबाद : बहुचर्चित मथुरा के जवाहरबाग कांड (Jawahar bag case) को 6 साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है. इस मामले में सीबीआई ने गाजियाबाद की सीबीआई अदालत में चार्जशीट दाखिल की है. कोर्ट ने अभी चार्जशीट का संज्ञान नहीं लिया है. साल 2016 में मथुरा में जवाहर बाग कांड में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष यादव शहीद हो गए थे. इस मामले में अब भी पीड़ित इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं।. चार्जशीट दाखिल होने के बाद इंसाफ की उम्मीद एक कदम आगे बढ़ गई है.


ये था मामला : 2 जून 2016 को मथुरा में जवाहर कांड हुआ था, जिसके बाद मथुरा का जवाहर बाग पूरी तरह से देश में चर्चा में था. आरोप है की जवाहर बाग में स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह संगठन के अध्यक्ष रामवृक्ष यादव ने समर्थकों के साथ हंगामा और कब्जा किया था, लेकिन पुलिस के साथ टकराव की स्थिति बन गई थी. जब मौके पर आला अधिकारी पहुंचे और उन्होंने जवाहर बाग खाली कराने की कोशिश की तो रामवृक्ष यादव ने कुछ शर्ते रख दी थी. जब वार्ता विफल हो गई तो मामला कोर्ट में भी गया था. कोर्ट ने भी आदेश दिया था कि जवाहर बाग पर कब्जा किए लोगों से उसे खाली कराया जाए. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था.

ये भी पढ़ें :- आरबीआई ने 0.35 फीसदी बढ़ाया रेपो रेट, आम आदमी को झटका, बढ़ेगी EMI

सिटी एसपी और सीओ समेत दो दर्जन लोगों की हुई थी मौत : 2 जून को एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की अगुवाई में पुलिस फोर्स जवाहर बाग को खाली कराने के लिए पहुंची. पहले बातचीत का दौर चला लेकिन बाद में कब्जा करने वाले लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया. इस दौरान एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी के सिर पर चोट लग गई. एसओ संतोष कुमार यादव भी घायल हो गए थे. दोनों को अस्पताल में एडमिट कराया गया था जहां उनकी मौत हो गई थी. इस पूरे कांड में 2 दर्जन से अधिक लोगों की मौत हुई थी. आरोप समाजवादी पार्टी के लोगों पर लगा था कि उन्होंने यह साजिश के तहत कराया है. बाद में मामले की जांच मार्च 2017 में सीबीआई को सौंप दी गई थी.

अगली तारीख 10 जनवरी 2023 को : सीबीआई ने अब इस मामले में चार्जशीट दाखिल की है. बताया जा रहा है कि 96 लोगों के खिलाफ आरोप- पत्र दाखिल किया गया है. गाजियाबाद की विशेष सीबीआई कोर्ट में आरोप-पत्र दाखिल किया गया है,जिसका कोर्ट ने अभी संज्ञान नहीं लिया है. सीबीआई ने इस मामले में 111 लोगों को आरोपी बनाया था. इनमें से 15 आरोपियों की मौत हो चुकी है. इस मामले में आपको बता दें कि अगली तारीख 10 जनवरी 2023 लगी है. पीड़ित पक्ष को इंसाफ की पूरी उम्मीद है. हालांकि अभी तक इस मामले में कई आरोपी जमानत पर है. यह भी बता दें कि इस मामले के मुख्य साजिशकर्ता रामवृक्ष की भी मौत हो चुकी है. कोर्ट में जैसे ही चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया जाएगा तभी मामले का ट्रायल शुरू होगा.

चार्जशीट दाखिल होने का मतलब साफ है कि सीबीआई ने अपनी जांच पूरी कर ली है और जैसे-जैसे चार्जशीट में लिखी हुई बातें सामने आएंगी, इससे पता चल जाएगा कि मामले में मुख्य साजिशकर्ता यानी पर्दे के पीछे कौन व्यक्ति था. यहां आपको यह बता दें कि जब यह पूरा कांड सामने आया था तो 12 अलग-अलग मुकदमे दर्ज हुए थे.

ये भी पढ़ें :- CBI ने टीआरएस नेता के. कविता को पूछताछ के लिए 11 दिसंबर को तलब किया

नई दिल्ली/ गाजियाबाद : बहुचर्चित मथुरा के जवाहरबाग कांड (Jawahar bag case) को 6 साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है. इस मामले में सीबीआई ने गाजियाबाद की सीबीआई अदालत में चार्जशीट दाखिल की है. कोर्ट ने अभी चार्जशीट का संज्ञान नहीं लिया है. साल 2016 में मथुरा में जवाहर बाग कांड में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष यादव शहीद हो गए थे. इस मामले में अब भी पीड़ित इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं।. चार्जशीट दाखिल होने के बाद इंसाफ की उम्मीद एक कदम आगे बढ़ गई है.


ये था मामला : 2 जून 2016 को मथुरा में जवाहर कांड हुआ था, जिसके बाद मथुरा का जवाहर बाग पूरी तरह से देश में चर्चा में था. आरोप है की जवाहर बाग में स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह संगठन के अध्यक्ष रामवृक्ष यादव ने समर्थकों के साथ हंगामा और कब्जा किया था, लेकिन पुलिस के साथ टकराव की स्थिति बन गई थी. जब मौके पर आला अधिकारी पहुंचे और उन्होंने जवाहर बाग खाली कराने की कोशिश की तो रामवृक्ष यादव ने कुछ शर्ते रख दी थी. जब वार्ता विफल हो गई तो मामला कोर्ट में भी गया था. कोर्ट ने भी आदेश दिया था कि जवाहर बाग पर कब्जा किए लोगों से उसे खाली कराया जाए. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था.

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सिटी एसपी और सीओ समेत दो दर्जन लोगों की हुई थी मौत : 2 जून को एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की अगुवाई में पुलिस फोर्स जवाहर बाग को खाली कराने के लिए पहुंची. पहले बातचीत का दौर चला लेकिन बाद में कब्जा करने वाले लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया. इस दौरान एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी के सिर पर चोट लग गई. एसओ संतोष कुमार यादव भी घायल हो गए थे. दोनों को अस्पताल में एडमिट कराया गया था जहां उनकी मौत हो गई थी. इस पूरे कांड में 2 दर्जन से अधिक लोगों की मौत हुई थी. आरोप समाजवादी पार्टी के लोगों पर लगा था कि उन्होंने यह साजिश के तहत कराया है. बाद में मामले की जांच मार्च 2017 में सीबीआई को सौंप दी गई थी.

अगली तारीख 10 जनवरी 2023 को : सीबीआई ने अब इस मामले में चार्जशीट दाखिल की है. बताया जा रहा है कि 96 लोगों के खिलाफ आरोप- पत्र दाखिल किया गया है. गाजियाबाद की विशेष सीबीआई कोर्ट में आरोप-पत्र दाखिल किया गया है,जिसका कोर्ट ने अभी संज्ञान नहीं लिया है. सीबीआई ने इस मामले में 111 लोगों को आरोपी बनाया था. इनमें से 15 आरोपियों की मौत हो चुकी है. इस मामले में आपको बता दें कि अगली तारीख 10 जनवरी 2023 लगी है. पीड़ित पक्ष को इंसाफ की पूरी उम्मीद है. हालांकि अभी तक इस मामले में कई आरोपी जमानत पर है. यह भी बता दें कि इस मामले के मुख्य साजिशकर्ता रामवृक्ष की भी मौत हो चुकी है. कोर्ट में जैसे ही चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया जाएगा तभी मामले का ट्रायल शुरू होगा.

चार्जशीट दाखिल होने का मतलब साफ है कि सीबीआई ने अपनी जांच पूरी कर ली है और जैसे-जैसे चार्जशीट में लिखी हुई बातें सामने आएंगी, इससे पता चल जाएगा कि मामले में मुख्य साजिशकर्ता यानी पर्दे के पीछे कौन व्यक्ति था. यहां आपको यह बता दें कि जब यह पूरा कांड सामने आया था तो 12 अलग-अलग मुकदमे दर्ज हुए थे.

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