नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में भजनपुरा की 85 वर्षीय अकबरी बेगम की हत्या के आरोपी रवि कुमार ऊर्फ अमित की जमानत याचिका खारिज कर दी है. एडिशनल सेशंस जज सुनील चौधरी ने कहा कि इस मामले में न केवल संपत्ति का नुकसान हुआ है बल्कि बुजुर्ग महिला की जान चली गई.
दंगा से लोगों के मन में होता है भय
कोर्ट ने कहा कि जब कभी दंगा होता है तो यह उन लोगों के मन में भय पैदा कर देता है जिनकी संपत्ति को नुकसान हुआ है और जिनके परिजनों की जान गई है. उनकी जान की भरपाई किसी भी चीज से नहीं की जा सकती है. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने पिछले 7 जून को चार्जशीट दाखिल की थी. रवि कुमार ऊर्फ अमित के खिलाफ दंगा, हत्या और दूसरी धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं.
एफआईआर में देरी को बनाया आधार
सुनवाई के दौरान रवि के वकील ने कोर्ट को बताया कि एफआईआर दर्ज करने में देरी की गई है. वह अपने परिवार का एकलौता कमाऊ सदस्य है. उन्होंने कहा कि रवि कुमार भीड़ से अपनी जान बचाने के चक्कर में पकड़ा गया. वो किसी गवाह को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं है और वह कोर्ट की सभी शर्तों का पालन करने को तैयार है.
हिंसा में सक्रिय तौर पर देखा गया
रवि की जमानत का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि चार्जशीट में वो नामजद आरोपी है. पुलिस ने अकबरी बेगम के परिजनों के एक वीडियो क्लिप के बारे में बताया जिसमे रवि कुमार को इस घटना में लिप्त बताया गया है. उसे इस हिंसा में सक्रिय तौर पर देखा गया था. बता दें कि अकबरी बेगम की हत्या के मामले में दिल्ली पुलिस ने छह लोगों को आरोपी बनाया है.
दंगाईयों ने मकान में लगाई थी आग
अकबरी बेगम की हत्या 25 फरवरी को की गई थी. चार्जशीट में कहा गया है कि दंगाईयों की भीड़ ने अकबरी बेगम के गामरी रोड स्थित चार मंजिले घर में आग लगा दिया. अकबरी बेगम के परिवार वाले मकान की छत पर चले गए लेकिन वो नहीं जा सकी. अकबरी बेगम की मौत दम घुटने से मकान की दूसरी मंजिल पर हो गई. अग्निशमन दल ने जब आग बुझाई तब अकबरी बेगम का शव बिस्तर से निकाला गया.
बेटे की शिकायत पर केस दर्ज
पुलिस ने अकबरी बेगम के बेटे की शिकायत पर केस दर्ज किया था. चार मंजिले मकान की पहली मंजिल पर कपड़े का वर्कशॉप था. अकबरी बेगम का परिवार मकान के दूसरे और तीसरे मंजिल पर रहता था. केस दर्ज होने के बाद ये केस एसआईटी को ट्रांसफर कर दिया गया. इस मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था. वीडियो बनाने वाले लोगों के मोबाइल का पता लगाकर उनकी जांच की गई. एसआईटी ने उन पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए जिन्होंने अकबरी बेगम के परिवार वालों को बचाया. दूसरे गवाहों के भी बयान दर्ज किए गए.