नई दिल्ली: दिल्ली उर्दू अकादमी के नव नियुक्त वाइस चेयरमैन हाजी ताज मोहम्मद ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि मेरी जगह कोई और वाइस चेयरमैन बनता तो उसका भी इतना ही विरोध होता. उन्होंने कहा कि ऐसा हमेशा से होता आया है, ये कोई नई बात नहीं है.
अपनी शिक्षा को लेकर उन्होंने कहा कि इंसान के अंदर काम करने की इच्छाशक्ति होनी चाहिए. शिक्षित ना होते हुए भी मैं बहतर काम करने का प्रयास कर सकता हूं. हाजी ताज मोहम्मद ने कहा कि जब मैं निगम पार्षद था, उस समय मैंने जमना पार उर्दू मीडियम स्कूलों के लिए लड़ाई लड़ी थी. मुझे उर्दू से प्यार है और ये भाषा गंगा जमनी तहजीब की अलामत है.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उर्दू अकादमी और उर्दू मीडियम स्कूलों की समस्याओं को लेकर मैं शिक्षा मंत्री से भेंट करूंगा और अपनी बात रखूंगा. उन्होंने कहा कि दिल्ली उर्दू अकादमी में स्टाफ की कमी और स्कूलों में टीचर्स की कमी को लेकर वो जल्दी ही शिक्षा मंत्री से बात करेंगे.
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हमारे शिक्षा मंत्री ने जिस तरह से शिक्षा का मॉडल पेश किया है, उससे सारी दुनिया प्रभावित है. उसी प्रकार हम उर्दू मीडियम स्कूलों को लेकर भी अच्छे काम करेंगे.
वाइस चेयरमैन हाजी ताज मोहम्मद ने कहा कि मेरा प्रयास रहेगा कि लॉकडाउन के बाद से बंद पड़े हमारे उर्दू सेंटर्स को फिर से खोला जाए. जिस तरह स्कूल खुल गए हैं, उसी तरह हमारे सेंटर भी खुलें, ताकि उर्दू सिखाने का कार्य फिर से शुरू हो सके.
उन्होंने कहा कि जिस तरह चीफ इलेक्शन कमिश्नर ने उर्दू अकादमी आकर उर्दू भाषा सीखी मेरा भी प्रयास रहेगा कि मैं भी उर्दू सीखूं . ये भाषा किसी एक धर्म विशेष की नहीं है सब की है.
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