नई दिल्लीः दिल्ली सरकार के बजट में शिक्षा का बजट 297 करोड़ रुपये बढ़ाया गया है. इसके साथ ही 37 नए अंबेडकर स्कूलों को खोलने की, स्कूलों को 20-20 कंप्यूटर देने और शिक्षकों को नए टैबलेट देने की घोषणा हुई है. इनको लेकर शिक्षक संगठनों की अलग-अलग प्रतिक्रिया देखने को मिली है. किसी ने इसका स्वागत किया है तो किसी ने यह कहते हुए बजट पर सवाल उठाए हैं कि बजट में उच्च शिक्षा के लिए कोई घोषणा नहीं की गई है.
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष अजय कुमार भागी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने शिक्षा के बजट की धनराशि तो बढ़ा दी है, लेकिन उच्च शिक्षा के लिए किसी नए कालेज की घोषणा नहीं की है. दिल्ली सरकार के डीयू से संबद्ध 12 कालेजों के शिक्षकों को कई साल से समय पर वेतन नहीं मिल रहा है. इसको सुधारने के लिए भी कोई घोषणा नहीं की गई है. सिर्फ शिक्षा के बजट में धनराशि बढ़ा देने से सुधार नहीं होने वाला है. अगर सरकार इतना ही अधिक बजट दे रही है तो आइपी विश्वविद्यालय की फीस काफी महंगी है, इसमें पढ़ने वाले गरीब बच्चों की 50 प्रतिशत फीस माफ करे.
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अध्यापक शक्ति मंच की उपाध्यक्ष ललिता ने कहा कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में शिक्षकों की काफी कमी है. सरकार ने बजट में शिक्षकों की भर्ती के लिए कोई घोषणा नहीं की है. सिर्फ अच्छी बिल्डिंग बनाने से और साफ-सफाई के लिए स्वीपर रखने से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दी जा सकती. अध्यापकों के काम का बोझ कम करने के लिए भर्ती होनी चाहिए. फालतू के कामों से शिक्षकों को मुक्त किया जाना चाहिए.
फोरम आफ एकेडमिक्स फार सोशल जस्टिस के अध्यक्ष हंसराज सुमन ने कहा कि दिल्ली सरकार दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध अपने 28 कॉलेजों पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है. पेश किए गए बजट में भी उच्च शिक्षा और अपने 28 कॉलेजों के लिए दिल्ली सरकार ने कोई घोषणा नहीं की. दिल्ली सरकार के अदिति कालेज और भगिनी निवेदिता कालेज की इमारत जर्जर हो चुकी है. कभी भी गिर सकती है. ऐसे में उच्च शिक्षा के लिए तो यह बजट ढकोसला है. सरकार को उच्च शिक्षा के लिए पुराने कालेजों की इमारतों की मरम्मत के लिए भी पैसा आवंटित करना चाहिए था.
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षाविद एवं पूर्व कुलपति प्रो. दिनेश सिंह ने कहा कि दिल्ली सरकार ने शिक्षा के बजट के लिए अधिक धनराशि आवंटित की है. इसका मैं स्वागत करता हूं. 37 अंबेडकर स्कूल आफ स्पेश्लाइज्ड एक्सीलेंस खोले जाने की घोषणा भी स्वागतयोग्य है. गरीब और बेघर बच्चों के लिए बोर्डिंग स्कूल बनाने की योजना भी सराहनीय है.
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