नई दिल्ली: देश में सिर्फ कोरोना का संकट नहीं है बल्कि लॉकडाउन के चलते पहले ही बहुत से लोगों का व्यापार ठप हो गया है. दिहाड़ी मजदूरी करने वाले से लेकर रोजाना कमाने वालों की स्थिति लॉकडाउन के चलते खराब हो गई है. इनमें सेक्स वर्क्स भी शामिल हैं, जिनके काम रुकने के कारण भुखमरी के हालात हो गए हैं. लॉकडाउन के बात कैसे बीत रही हैं इनकी जिंदगी. ईटीवी भारत की टीम ने इसे लेकर रेड लाइट एरिया गा्स्टिटन बैस्टियन (जीबी) रोड पहुंचकर सेक्स वर्कर्स से उनकी आपबीती जानी.
5 महीने से कमरे में बंद
इस दौरान एक सेक्स वर्कर ने बताया कि 5 महीने से वे कमरे में बंद हैं. इस दौरान सरकार की ओर से हमारे लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई. महिला ने ये भी बताया कि यहां 5 हजार महिलाएं हैं. हमारे साथ सरकारी अस्पतालों में भेद-भाव किया जाता है. सामाजिक संस्थाएं हमारा एक मात्र सहारा है. महिला ने बताया कि राशन और खाना तो हमें संस्थाएं दे जाती है, लेकिन रोजाना इस्तेमाल होने वाला दूध, सब्जी और अन्य चीजों के लिए हमे बड़ी परेशानी होती है.
वहीं मानवता का कोई धर्म, कोई जाति, कोई रंग नहींं होता. इसी का परिचय देते हुए पुरानी दिल्ली की संस्था 'टैलेंट ग्रुप' दिल्ली के रेड लाइट एरिया जीबी रोड पर देह व्यापार से जुड़ी महिलाओं को खाना खिलाने का काम कर रही है.
संस्था ने मदद करने की ठानी
टैलेंट ग्रुप के अध्यक्ष इरशाद आलम खूबी ने कहा कि हमारी संस्था का काम किस्सा गोई है. खाना बांटना हमारा काम नहीं था लेकिन लॉकडाउन के बाद जिस तरह के हालात बने हमने हर भूखे, बेसहारा को खाना खिलाने का प्रण लिया. 140 दिन के बाद भी ये सिलसिला जारी है. उन्होंने कहा कि यहां रहने वाली महिलाओं के बच्चे एमसीडी के स्कूल में पढ़ते हैं. जब हमने उनके हालात सुने तो यहां आकर मदद करने की ठानी और लॉकडाउन के बाद से लगातार यहां खाना बांट रहे हैं.