नई दिल्ली: दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन सस्टेनेबिलिटी एजुकेशन के पहले दिन पर्यावरण के लिए उत्पन्न होने वाली चुनौतियों पर चर्चा की. 10 देशों से आए प्रतिनिधियों ने चर्चा में भाग लिया. कॉन्फ्रेंस का आयोजन मोबियस फाउंडेशन की ओर से किया गया था. यह पांचवां इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस है. इस बार विशेषज्ञों ने एजुकेशन फॉर क्लाइमेट एक्शन एंड सस्टेनेबिलिटी विषय पर मंथन किया.
पर्यावरण की शिक्षा देने से सुलझेगी समस्या: मोबियस फाउंडेशन के सीईओ डॉ. राम बूझ ने कहा कि हमारे देश में सबसे बड़ी समस्या है कि बच्चों को शुरू से पर्यावरण के बारे में पढ़ाया नहीं जाता है. हमारा मकसद शिक्षा जगत से जुड़े लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक एवं शिक्षित करने के लिए प्रेरित करना है. यदि शुरू से ही बच्चों को समझ होगी तो पर्यावरण के सामने चुनौतियां काफी कम होंगी.
उन्होंने कहा कि इस कॉन्फ्रेंस में शिक्षा जगत से जुड़े लोग एवं विभिन्न संस्थाओं के उच्च पदस्थ प्रतिनिधि भी शामिल हैं. उम्मीद करते हैं कि वो इन चुनौतियों पर विशेष ध्यान देंगे. अर्थ चाइल्ड इंस्टीट्यूट, यूएसए की संस्थापक डोना गुडमैन ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निपटने के लिए पूरे विश्व को एक साथ काम करना होगा. भारत के चंद्रयान की चर्चा पूरी दुनिया में है. भारत के लोग जो काम कर रहे हैं, उसकी सराहना अमेरिका समेत पूरे विश्व में हो रही है. पर्यावरण की सुरक्षा में भी भारत का योगदान अतुलनीय है. हमें ऐसे प्रयास करने चाहिए कि कम से कम पेड़ काटे जाएं ताकि पर्यावरण सुरक्षित रहे.
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प्रदूषण के रोकथाम के लिए मंथन: कॉन्फ्रेंस के दौरान पर्यावरण विशेषज्ञ एवं फॉरेस्टमैन ऑफ इंडिया कहे जाने वाले जादव पायेंग और पर्यावरणविद डॉ. अनिल प्रकाश जोशी, टेरी की डायरेक्टर जनरल डॉक्टर विभा धवन समेत तमाम साइंटिस्ट एवं पर्यावरण विशेषज्ञ ने भी अपने विचार रखे. विशेषज्ञों ने प्रदूषण कम करने को लेकर उठाए जाने वाले विषयों पर चर्चा की.
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