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इस्कॉन मंदिर में धूमधाम से मनाई गई रुक्मिणी द्वादशी, भक्तों ने श्रीकृष्ण और रुक्मिणी की लीलाओं का उठाया लुत्फ

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Published : May 3, 2023, 11:53 AM IST

द्वारका स्थित इस्कॉन रुक्मिणी द्वारिकाधीश मंदिर में रुक्मिणी द्वादशी उत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया गया. इसी बीच लोगों ने विभिन्न कार्यक्रमों के साथ-साथ श्रीकृष्ण और रुक्मिणी की लीलाओं का भी लुत्फ उठाया.

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द्वारका इस्कॉन मंदिर में धूमधाम से मनाई गई रुक्मिणी द्वादशी

नई दिल्ली: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी के बाद पड़ने वाली द्वादशी को रुक्मिणी द्वादशी के रूप में मनाया जाता है. इस मौके पर द्वारका इस्कॉन मंदिर में बीते दिन रुक्मिणी द्वादशी उत्सव का आयोजन किया गया. साथ ही पूरे दिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए.

रुक्मिणी द्वादशी उत्सव की शुरुआत वैष्णव स्वामी महाराज के कथा के साथ हुई. जिसमें भक्तों के मन में उठने वाले कई संशयों का निवारण किया गया. आचार्य बताते हैं कि स्कंध पुराण में उल्लेख मिलता है कि, जो स्थान वृंदावन में राधारानी का है, वही स्थान द्वारिका में रुक्मिणी का है. राधारानी सभी शक्तियों का विस्तार करने वाली आदि शक्ति हैं, क्योंकि वे भगवान की अंतरंगा शक्ति हैं. उन्हीं से लक्ष्मी देवी प्रकट होती हैं और लक्ष्मी देवी का ही एक स्वरूप रुक्मिणी हैं. दो घंटे की कथा में भक्तों ने भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी की लीला का श्रवण कर उसका आनंद उठाया.

दिन भर चले विभिन्न कार्यक्रमों के बाद शाम 4 बजे कीर्तन का आयोजन किया गया था. साथ ही तुला दान भी करवाया गया. जिसके बाद शाम 5 बजे बच्चों की कार्यशाला आयोजित की गई. जिसमें बच्चों ने आध्यात्मिक रंग बिखेरे. शाम 6 बजे द्वारिका की गोमती नदी के जल से महाअभिषेक के बाद शाम 6.30 बजे गोपाल फन स्कूल (जीएफएस) के बच्चों की नृत्य प्रस्तुति की गई और फिर शाम 7 बजे भगवान को प्रसाद अर्पण के बाद महाआरती की गई और भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया.

ये भी पढ़ें: Love Horoscope 3 May 2023 : कैसा रहेगा आज का दिन, जानिए अपना आज का राशिफल

द्वारका इस्कॉन मंदिर में धूमधाम से मनाई गई रुक्मिणी द्वादशी

नई दिल्ली: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी के बाद पड़ने वाली द्वादशी को रुक्मिणी द्वादशी के रूप में मनाया जाता है. इस मौके पर द्वारका इस्कॉन मंदिर में बीते दिन रुक्मिणी द्वादशी उत्सव का आयोजन किया गया. साथ ही पूरे दिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए.

रुक्मिणी द्वादशी उत्सव की शुरुआत वैष्णव स्वामी महाराज के कथा के साथ हुई. जिसमें भक्तों के मन में उठने वाले कई संशयों का निवारण किया गया. आचार्य बताते हैं कि स्कंध पुराण में उल्लेख मिलता है कि, जो स्थान वृंदावन में राधारानी का है, वही स्थान द्वारिका में रुक्मिणी का है. राधारानी सभी शक्तियों का विस्तार करने वाली आदि शक्ति हैं, क्योंकि वे भगवान की अंतरंगा शक्ति हैं. उन्हीं से लक्ष्मी देवी प्रकट होती हैं और लक्ष्मी देवी का ही एक स्वरूप रुक्मिणी हैं. दो घंटे की कथा में भक्तों ने भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी की लीला का श्रवण कर उसका आनंद उठाया.

दिन भर चले विभिन्न कार्यक्रमों के बाद शाम 4 बजे कीर्तन का आयोजन किया गया था. साथ ही तुला दान भी करवाया गया. जिसके बाद शाम 5 बजे बच्चों की कार्यशाला आयोजित की गई. जिसमें बच्चों ने आध्यात्मिक रंग बिखेरे. शाम 6 बजे द्वारिका की गोमती नदी के जल से महाअभिषेक के बाद शाम 6.30 बजे गोपाल फन स्कूल (जीएफएस) के बच्चों की नृत्य प्रस्तुति की गई और फिर शाम 7 बजे भगवान को प्रसाद अर्पण के बाद महाआरती की गई और भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया.

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