नई दिल्ली/गाजियाबादः भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सोमवार को गाजीपुर बार्डर पर संगठन के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के छह मंडलों की बैठक ली. बैठक के दौरान मंडल, जनपद, तहसील और ब्लॉक स्तर के पदाधिकारी के मौजूद रहे.
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बैठक में टिकैत ने भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों से खेतीबाड़ी और आंदोलन के बीच तालमेल बनाने को लेकर विस्तार से चर्चा की और अपने नंबर-बारी से आंदोलन में उपस्थिति के निर्देश दिए. पदाधिकारियों ने संकल्प लिया कि तीन कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानून बनाए जाने तक लड़ाई जारी रखेंगे.
टिकैत ने कहा कि कोविड के चलते ज्यादा लोगों को एक साथ बुलाना ठीक नहीं था, इसलिए चरणवार बैठकें करने का निर्णय लिया गया है. सोमवार को पहले चरण में छह मंडलों की बैठक बुलाई गई थी. आगे अन्य मंडलों पदाधिकारी भी आंदोलन स्थल पर पहुंचेंगे.
बैठक में ये किसान नेता रहे मौजूद
बैठक में प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन, भाकियू मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक और रमेश मलिक के अलावा छह मंडलों के अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष और तहसील व ब्लॉक पदाधिकारी मौजूद रहे. भाकियू के पदाधिकारियों को राकेश टिकैत ने निर्देश दिए हैं कि लंबे आंदोलन की तैयारी रखो. जैसे कोविड प्रोटोकॉल को अपनी आदत में शुमार करने के जरूरत है, वैसे ही आंदोलन को भी आदत में शुमार कर लो.
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने बताया कि खेत में फसल कटाई का काम चल रहा है, पंचायत चुनाव भी हैं और आंदोलन भी चल रहा है. इन तीनों मामलों में तालमेल के लिए चौधरी राकेश टिकैत ने मीटिंग ली. आगरा, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद और बरेली मंडलों की पदाधिकारी बैठक में मौजूद रहे.
'खेत का काम भी न बिगड़ने पाये'
बैठक में राकेश टिकैत ने कहा कि खेत का काम भी न बिगड़ने पाये और आंदोलन भी चलता रहे. खेत का काम बिगड़ा तो देश का बड़ा नुकसान हो जाएगा. हम देश का नुकसान बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे. इसलिए बेहतर तरीके से तालमेल बनाकर आंदोलन में आने का रोटेशन बनाए रखें. जो किसान आंदोलन में रहें, पदाधिकारियों की यह भी जिम्मेदारी है कि उनके खेत पर नजर रखें ताकि कोई काम न बिगड़ पाये. जादौन ने बताया कि भारतीय किसान यूनियन की ओर से पर्चे छपवाए गए हैं, जो गांव-गांव भेजे जाएंगे. इनमें कृषि कानूनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी.
'प्रेसवार्ता कर इन पर्चों को बांटने का काम करेंगे'
उन्होंने कहा कि भाजपाईयों ने गांव-गांव जाकर कृषि कानूनों की जानकारी देने की बात कही थी, लेकिन अन्य बातों की तरह भाजपा की यह बात ढकोसला ही निकली. हम तो इस इंतजार में थे कि भाजपाई ही कानूनों के बारे में गांव-गांव जाकर बताएं. किसान समझदार हैं, वह खुद अपने हित और और अनहित की बात समझ लेंगे, लेकिन भाजपा समझाने नहीं गई. अब हम अपने सीमित संसाधनों से गांव-गांव यह जानकारी पहुंचाने का प्रयास करेंगे. जिला स्तर पर हमारे पदाधिकारी प्रेसवार्ता कर इन पर्चों को बांटने का काम करेंगे और इसके साथ ही स्थानीय पदाधिकारियों से कुछ और पर्चें छपवाकर बांटने का आग्रह करेंगे.
'15 मई से किसान निकालेंगे मिट्टी यात्रा'
देश के 23 राज्यों से आई मिट्टी को किसान जिले-जिले और गांव-गांव लेकर जाएंगे. आंदोलन से जुड़े किसान गांव-जाकर आव्हान करेंगे कि एक मुठ्ठी मिट्टी लो, एक मुठ्ठी मिट्टी दो. जहां-जहां मिट्टी यात्रा जाएगी, वहां-वहां काले कृषि कानूनों के बारे में भी विस्तार से चर्चा की जाएगी. मिट्टी यात्रा के जरिए एक संदेश गांव-गांव पहुंचेगा और लोग आंदोलन से जुड़ेंगे.
15 को फिर बंगाल में रहेंगे राकेश टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत एक बार फिर पश्चिम बंगाल जाएंगे. 15 अप्रैल को राकेश टिकैत पश्चिम बंगाल के आसनसोल में किसान पंचायत को संबोधित करेंगे. बता दें कि आसनसोल पश्चिम बंगाल में कोलकाता के बाद सबसे बड़ा शहर है. इससे पहले राकेश टिकैत 13 मार्च को पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में किसान पंचायत कर चुके हैं. टिकैत ने कहा कि पूरे देश में जहां भी संयुक्त मोर्चा की ओर से कार्यक्रम तय किया जाता है, संयुक्त मोर्चा के नेता वहां किसान पंचायत करने जाते हैं.