नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली की मशहूर तिहाड़ जेल एक बार फिर चर्चा में है. यह दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी जेल है. इसमें नौ केंद्रीय जेलें हैं. हालांकि, इस बार चर्चा का कारण सुप्रीम कोर्ट द्वारा दो वर्ष पहले कोरोना संक्रमण के चलते तिहाड़ जेल से पैरोल पर छोड़े गए कैदी हैं. बहरहाल, अगर तिहाड़ जेल की बात करें तो 1958 में पंजाब सरकार के अधीन इस जेल की स्थापना दिल्ली के तिहाड़ गांव की जमीन पर की गई थी. इससे पहले यह जेल राजधानी के दिल्ली गेट इलाके में चलती थी. शुरुआत में इस जेल की क्षमता 1273 कैदियों की थी. 1966 तक इस जेल का नियंत्रण पंजाब सरकार के पास था. फिर इसे दिल्ली प्रशासन को स्थानांतरित कर दिया गया. लेकिन, इसके बाद भी 1988 तक इस जेल में पंजाब राज्य का जेल मैनुअल ही लागू रहा. मौजूदा समय में दिल्ली की जेलों को दिल्ली जेल मैनुअल (2018) के अंतर्गत संचालति किया जा रहा है. इसे वर्ष 2019 में लागू किया गया था.
इस तरह बदली प्रशासनिक व्यवस्था: अगर तिहाड़ जेल से जुड़े तथ्यों की बात करें तो मार्च 1986 तक राजधानी में दिल्ली कारागार के महानिरीक्षक का कोई पूर्ण रूप से सृजित पद नहीं था. जेल का कार्यभार अतिरिक्त रूप से उपाधीक्षक कारागार द्वारा किया जाता था. 1986 में महानिरीक्षक का पूर्ण पद सृजित किया गया. इसकी कमान एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को सौंपी गई. इसके बाद जैसै-जैसे जेल में कैदियों की संख्या बढ़ती चली गई. उसी के अनुसार रोहिणी और मंडोली जेल परिसरों का निर्माण किया गया. साथ ही जेल सुधार कर्मियों के पद भी सृजित कर भर्ती की गई.
इस तरह बढ़ती गई तिहाड़ जेल की क्षमता:
- वर्ष 1980 में 740 कैदियों की क्षमता के साथ जिला जेल का निर्माण
- वर्ष 1984-85 में मौजूदा सेंट्रल जेल को जेल नंबर 1, 2 और 3 के रूप में विभाजित किया गया था, जिसमें प्रत्येक जेल के लिए क्रमशः 565, 455 और 740 कैदियों की स्वीकृत क्षमता थी.
- वर्ष 1990 में जिला जेल को सेंट्रल जेल में उन्नत किया गया और सेंट्रल जेल नंबर 4 के रूप में नामित किया गया.
- वर्ष 1996 सेंट्रल जेल नंबर 5 में किशोर कैदियों को रखने के लिए 750 कैदियों की क्षमता बढ़ाई गई.
- वर्ष 2000 में सेंट्रल जेल नंबर 6 को विशेष रूप से 400 महिला कैदियों को रखने के लिए तैयार किया गया.
- वर्ष 2003 सेंट्रल जेल नंबर 7 में 350 कैदियों को रखने की व्यवस्था की गई.
- वर्ष 2004 जिला जेल रोहिणी का निर्माण 1050 कैदियों को रखने की क्षमता के साथ किया गया.
- वर्ष 2005 सेंट्रल जेल नंबर 8 और 9 में प्रत्येक 600 कैदियों को रखने के लिए शुरू किया गया.
- वर्ष 2008 में 3500 कैदियों को रखने की क्षमता के हिसाब से मंडोली जेल परिसर का निर्माण शुरू किया गया. यह कार्य 2015 में पूरा हुआ.
- वर्ष 2016 में मंडोली जेल में जेल नंबर14 को 588 कैदियों की स्वीकृत क्षमता के साथ अक्टूबर में चालू किया गया.
- वर्ष 2016 दिसंबर माह में 980 बंदियों की स्वीकृत क्षमता वाली सेंट्रल जेल-13 भी शुरू हुई. इस जेल में मंडोली जेल परिसर का 52 बिस्तरों वाला जेल अस्पताल भी है.
- वर्ष 2017 में जेल संख्या 15 उच्च सुरक्षा जेल मार्च माह में 248 कैदियों की स्वीकृत क्षमता के साथ शुरू हुई. -वर्ष 2017 जुलाई में सेंट्रल जेल-16 में 492 कैदियों की क्षमता वाली महिला जेल शुरू हुई.
- वर्ष 2017 सितंबर में सेंट्रल जेल-12 में 980 कैदियों की मंजूरी क्षमता के साथ शुरुआत हुई.
- वर्ष 2017 अक्टूबर में सेंट्रल जेल -11 की शुरूआत 700 कैदियों की स्वीकृत क्षमता के साथ शुरू हुई.
तिहाड़ में क्षमता से 5 हजार अधिक कैदी: रोहिणी और मंडोली जेल परिसरों के निर्माण के बाद मौजूदा समय में तिहाड़ जेल की क्षमता कुल 10026 कैदियों की हो चुकी है. मौजूदा समय में यहां 15 हजार 468 कैदी हैं. यह संख्या इस जेल पर अतिरिक्त बोझ को बताने के लिए काफी है. जेल पर कैदियों की बढ़ती संख्या का दबाव बढ़ने के कारण यहां कैदियों को नहाने और शौचालय जाने के लिए भी लंबी लाइन में लगना पड़ता है. इस तरह के मामले कई बार सामने आ चुके हैं.
मंडोली में जेल परिसर की मुख्य विशेषताएं: इस परिसर में 6 जेल हैं, जिनमें से एक दोषियों के लिए, दूसरी पहली बार आए अपराधियों के लिए, तीसरी लंबी अवधि के लिए विचाराधीन कैदियों के लिए, चौथी किशोरों, पांचवी महिलाओं और छठी उच्च सुरक्षा कैदियों के लिए है. सभी वार्डों में वेंटीलेशन की पर्याप्त व्यवस्था है. सीसीटीवी, ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क के लिए इनबिल्ट मैकेनिज्म है. दोहरी जल आपूर्ति प्रणाली, सौर ऊर्जा प्रणाली, आर.ओ. सिस्टम, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, और वर्षा जल संचयन की व्यवस्था है.
इन दो जेलों का निर्माण है प्रस्तावित: मौजूदा जेलों में भीड़ कम करने के लिए दिल्ली के नरेला और बापरोला इलाके में जेल बनाने का भी प्रस्ताव है. बापरोला जेल के लिए जेल विभाग ने पहले ही डीडीए को बापरोला में 40 एकड़ जमीन आवंटित करने के लिए मांग की है. अभी भी मामला प्रमुख सचिव भूमि और भवन विभाग के पास बापरोला गांव में भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी करने के लिए लंबित है. जमीन का ब्योरा मिलने के बाद जमीन की कीमत करीब 17.80 करोड़ रुपये है. यह पैसा डीडीए के पास जमा कराया जाएगा और उसके बाद लगभग 200 करोड़ रुपये का प्रावधान कर निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा.
12वीं पंचवर्षीय योजना में नरेला जेल के निर्माण के लिए 1492 बीघा 8 बिस्वा 15 बिसवांसी भूमि का अधिग्रहण किया गया और 1246 बीघा, 1 बिस्वा और 15 बिसवांसी जमीन पर डीडीए को कब्जा सौंप दिया गया है. अभी भी भूमि एवं भवन विभाग के पास शेष भूमि की अधिसूचना के संबंध में आवश्यक कार्रवाई का मामला लंबित है. डीएसआईआईडीसी के माध्यम से तिहाड़ परिसर में जेल प्रशिक्षण संस्थान के निर्माण के संबंध में एक प्रस्ताव दिल्ली सरकार के पास भी लंबित है.
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जेलों के निर्माण के बाद कम होगा दबाव: तिहाड़ जेल की महानिदेशक रहीं सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी विमला मेहरा ने बताया कि राजधानी में अपराध के मामलों में बढ़ोत्तरी होने से जेल पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है. बापरोला और नरेला में प्रस्तावित दो जेलों के निर्माण के बाद ही तिहाड़ जेल पर कुछ दबाव कम हो सकता है. उन्होंने कहा कि सिर्फ दिल्ली ही नहीं देश के अधिकांश राज्यों की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं. लंबी कानूनी प्रक्रिया और बढ़ते अपराध के चलते कैदियों की संख्या में लगातार जेल की क्षमता से अधिक बढ़ोत्तरी हो रही है.
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