नई दिल्ली: दिल्ली के विधायकों का रिपोर्ट कार्ड मंगलवार को प्रजा फाउंडेशन ने जारी किया. इसकी रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा के विधायक विधानसभा में सवाल पूछने और उपस्थिति दोनों मामले में अव्वल रहे हैं. वहीं, 2020 विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है. AAP पार्टी के विधायक विधानसभा में उपस्थिति और सवाल पूछने, दोनों मामले में फिसड्डी साबित हुए हैं.
प्रजा फाउंडेशन के 2023 के रिपोर्ट कार्ड के अनुसार, शीर्ष तीन रैंक पर भाजपा के विधायक अजय कुमार महावर, मोहन सिंह बिष्ट और ओम प्रकाश शर्मा काबिज हैं. इन विधायकों ने विधानसभा में अपने संवैधानिक कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभाकर उच्चतम अंक हासिल किए हैं.
विधायकों के कार्य क्षमता का आकलन: भाजपा के तीन विधायकों ने विधानसभा सत्रों में उच्चतम उपस्थिति दर्ज की और नागरिकों के मुद्दों को उच्च संख्या में उठाया है. रिपोर्ट में 23 मार्च 2022 से 19 जनवरी 2023 के अवधि के विधायकों के कार्य क्षमता का आकलन किया गया है. रिपोर्ट कार्ड में राजधानी के कुल 70 विधायकों में से 61 विधायकों का समग्र मूल्यांकन किया गया है. दिल्ली के छह मंत्री, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और विधानसभा उपाध्यक्ष सहित शेष नौ विधायकों का इस रिपोर्ट कार्ड में मूल्यांकन नहीं किया गया है, क्योंकि वे सदन में कोई मुद्दा नहीं उठाते हैं.
निर्वाचित होने के बाद नहीं पूछा कोई सवाल: रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि दिल्ली के 4 विधायक ऐसे भी हैं, जिन्होंने 24 फरवरी 2020 को विधायक बनने के बाद से 19 जनवरी 2023 तक कभी विधानसभा में कोई सवाल नहीं पूछा. वहीं, 10 विधायक ऐसे भी हैं जिन्होंने पिछले एक साल में अपने क्षेत्र की किसी समस्या को लेकर कोई सवाल नहीं पूछा है.
विधानसभा में विधायकों की उपस्थिति घटी: प्रजा फाउंडेशन के सीईओ मिलिंद म्हस्के ने बताया कि विधानसभा सत्र में दिल्ली के विधायकों की उपस्थिति 2015 से लगातार घट रही है. 2015 में विधायकों की उपस्थिति 90 प्रतिशत थी, जो 2022 में 83 प्रतिशत हो गई. पिछले आठ वर्षों में विधायकों की वार्षिक औसतन उपस्थिति 85 प्रतिशत रही है.
विधायकों ने प्रति वर्ष 966 मुद्दे उठाए: फाउंडेशन के रिसर्च एंड एनालिसिस प्रमुख योगेश मिश्रा ने कहा कि विधानसभा की बैठकों की संख्या कम होने के परिणाम स्वरूप विधायकों को नागरिकों के मुद्दों पर भाग लेने और विचार-विमर्श करने के अवसर कम हो गए हैं. औसतन दिल्ली के विधायकों ने 2015 से 2022 तक प्रति वर्ष केवल 966 मुद्दे उठाए हैं.
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