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Life at risk on the roads: दिल्ली में फुटपाथ पर अतिक्रमण और सड़कों में तकनीकी खामी से जा रही जानें

राजधानी दिल्ली में पैदल राहगीरों के लिए चलने लायक फुटपाथ की कमी है. जहां है भी तो वहां अतिक्रमण जैसी समस्यां बनी रहती है. इस वजह से लोग रोड के किनारे चलने को मजबूर हैं, जिस वजह से कई हादसों के मामले सामने आ रहे हैं. हर साल इस प्रकार के हादसों में मौतों की संख्या बढ़ती जा रही है.

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Published : Jul 31, 2023, 7:08 PM IST

Updated : Jul 31, 2023, 10:35 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में पैदल राहगीरों के लिए चलना काफी मुश्किल हो रहा है. पैदल यात्रियों के लिए कई मार्गों पर चलने लायक फुटपाथ नहीं हैं. वहीं, जिन मार्गों पर फुटपाथ हैं भी, वहां उन पर अतिक्रमण हो रखा है. इसी वजह से पैदल यात्रियों को फुटपाथ की बजाय सड़क पर ही चलना पड़ता है. इससे उनकी जान को खतरा रहता है. फुटपाथ की कमी या उन पर किए गए अतिक्रमण के कारण राजधानी दिल्ली में पिछले साल सड़क हादसों में 629 लोगों की जान गई थी.

दिल्ली सरकार की सड़क सुरक्षा समिति के सदस्य एवं यातायात के लिए काम करने वाले एनजीओ ट्रैक्स के अध्यक्ष अनुराग कुलश्रेष्ठ ने बताया कि दिल्ली में सड़क पार करना और सड़क के किनारे चलना खतरे से खाली नहीं है. राजधानी में तमाम सुविधाओं में बावजूद सड़क हादसों में सर्वाधिक राहगीरों की मौत हो रही है. इसका कारण यह है कि हमारे देश में रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाते समय पैदल यात्रियों का ध्यान ही नहीं रखा जाता है. विभिन्न सिविक एजेंसियां सड़क, फ्लाईओवर आदि बनाते समय सिर्फ यातायात का ध्यान रखते हैं. पैदल यात्री हमेशा से उपेक्षित रह जाता है. सड़क हादसों में राहगीरों की मौत का सबसे बड़ा कारण उनके लिए सुरक्षा इंतजाम नहीं होना है. उनके लिए न तो सड़क पार करने की उचित व्यवस्था है और न ही सड़क पर चलने के लिए लगातार फुटपाथ हैं. रात में कई जगह अंधेरा होने के चलते भी राहगीर हादसों का शिकार हो जाते हैं.

"पैदल चलने वालों के लिए सड़कों पर पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर न होने के कारण पैदल यात्रियों की मौतें होती हैं. पिछले दो साल के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि राजधानी दिल्ली में सड़क हादसों में मरने वाले लोगों में 47 से 50 प्रतिशत तक पैदल यात्री होते हैं. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पैदल यात्रियों को लगातार फुटपाथ नहीं मिल पाता है. इसकी वजह से उन्हें सड़क पर चलना पड़ता है. नियम के अनुसार हर 500 मीटर पर पैदल यात्रियों के लिए सड़क पार करने की व्यवस्था होनी चाहिए. यह चाहे फुटओवर ब्रिज के रूप में हो, सब वे के रूप में हो या फिर ट्रेफिक लाइट वाले जेबरा क्रॉसिंग के रूप में. लेकिन सड़क बनाते समय इस नियम का पालन नहीं हो रहा है. यूटीपैक को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी प्रोजेक्ट पास करते समय इन नियमों का पालन जरूर किया जाए.

- सी वेल मुरुगन, चीफ साइंटिस्ट (ट्रैफिक इंजिनियरिंग), सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट"

होनी चाहिए ये व्यवस्था:

अनुराग कुलश्रेष्ठ ने बताया कि पैदल यात्री के लिए सुरक्षित फुटपाथ की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि वह सड़क पर चल रहे वाहनों से दूर रहें. उनके चलने और सड़क पार करने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. इनमें बच्चे, बुजुर्ग, महिला और दिव्यांग का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. सड़कों पर संरचना व सुविधाओं पर सुधार की आवश्यकता है. फुटपाथ राहगीरों की सुरक्षा के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन अधिकांश फुटपाथ अतिक्रमण, क्षतिग्रस्त, तारों के बिखरे रहने, मैनहोल ढक्कन के अभाव आदि से ग्रस्त हैं. राजधानी दिल्ली के ज्यादातर फुटपाथ पर पेड़ लगे होने के कारण लोगों को चलने की जगह नहीं मिल पाती है. पैरों के चारों तरफ कच्ची जमीन छोड़ने के नियम के कारण फुटपाथ पर चलने की जगह बचती ही नहीं है. इसलिए मजबूरी में राहगीरों को सड़क पर चलना पड़ता है. अनुराग ने बताया कि कई जगह तो फुटपाथ 1 फुट से भी ज्यादा ऊंचे होते हैं, जबकि नियम के मुताबिक उत्पाद की ऊंचाई 4 से 6 इंच के बीच होनी चाहिए ताकि राजगीर आसानी से उस पर चढ़ सके.

हादसों के कारण
हादसों के कारण

इसलिए भी होते हैं हादसे:

पैदल यात्री कई बार इसलिए भी वाहनों के शिकार हो जाते हैं, क्योंकि वाहन चालक बहुत तेज रफ्तार में गाड़ी चलाते हैं. ऐसे में उनकी जरा सी लापरवाही से किसी न किसी पैदल यात्री को हादसे का शिकार बनना पड़ जाता है. नशे में वाहन चलाने और नियमों का उल्लंघन करने के कारण भी सड़क हादसे होते हैं.

हादसों में हुई राहगीरों की मौत
हादसों में हुई राहगीरों की मौत

पैदल यात्री भी बरतते हैं लापरवाही:

कई बार यह भी देखा गया है कि हादसे के जिम्मेदार पैदल यात्री भी होते हैं. पैदल यात्री जेब्रा क्रासिंग से सड़क पार नहीं करते हैं. वाहनों से उतरते और चढ़ते समय ध्यान नहीं देते हैं और सड़क पर चलते समय मोबाइल पर गाने सुनना और बात करना भी पैदल यात्रियों के लिए आम बात है. इस कारण में सड़क हादसे का शिकार हो जाते हैं.

इसे भी पढ़ें: Ghaziabad Road Accident: बीते 8 दिन में सड़क हादसों में गई 9 लोगों की जान, जानें क्या है पुलिस की तैयारी

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में पैदल राहगीरों के लिए चलना काफी मुश्किल हो रहा है. पैदल यात्रियों के लिए कई मार्गों पर चलने लायक फुटपाथ नहीं हैं. वहीं, जिन मार्गों पर फुटपाथ हैं भी, वहां उन पर अतिक्रमण हो रखा है. इसी वजह से पैदल यात्रियों को फुटपाथ की बजाय सड़क पर ही चलना पड़ता है. इससे उनकी जान को खतरा रहता है. फुटपाथ की कमी या उन पर किए गए अतिक्रमण के कारण राजधानी दिल्ली में पिछले साल सड़क हादसों में 629 लोगों की जान गई थी.

दिल्ली सरकार की सड़क सुरक्षा समिति के सदस्य एवं यातायात के लिए काम करने वाले एनजीओ ट्रैक्स के अध्यक्ष अनुराग कुलश्रेष्ठ ने बताया कि दिल्ली में सड़क पार करना और सड़क के किनारे चलना खतरे से खाली नहीं है. राजधानी में तमाम सुविधाओं में बावजूद सड़क हादसों में सर्वाधिक राहगीरों की मौत हो रही है. इसका कारण यह है कि हमारे देश में रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाते समय पैदल यात्रियों का ध्यान ही नहीं रखा जाता है. विभिन्न सिविक एजेंसियां सड़क, फ्लाईओवर आदि बनाते समय सिर्फ यातायात का ध्यान रखते हैं. पैदल यात्री हमेशा से उपेक्षित रह जाता है. सड़क हादसों में राहगीरों की मौत का सबसे बड़ा कारण उनके लिए सुरक्षा इंतजाम नहीं होना है. उनके लिए न तो सड़क पार करने की उचित व्यवस्था है और न ही सड़क पर चलने के लिए लगातार फुटपाथ हैं. रात में कई जगह अंधेरा होने के चलते भी राहगीर हादसों का शिकार हो जाते हैं.

"पैदल चलने वालों के लिए सड़कों पर पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर न होने के कारण पैदल यात्रियों की मौतें होती हैं. पिछले दो साल के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि राजधानी दिल्ली में सड़क हादसों में मरने वाले लोगों में 47 से 50 प्रतिशत तक पैदल यात्री होते हैं. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पैदल यात्रियों को लगातार फुटपाथ नहीं मिल पाता है. इसकी वजह से उन्हें सड़क पर चलना पड़ता है. नियम के अनुसार हर 500 मीटर पर पैदल यात्रियों के लिए सड़क पार करने की व्यवस्था होनी चाहिए. यह चाहे फुटओवर ब्रिज के रूप में हो, सब वे के रूप में हो या फिर ट्रेफिक लाइट वाले जेबरा क्रॉसिंग के रूप में. लेकिन सड़क बनाते समय इस नियम का पालन नहीं हो रहा है. यूटीपैक को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी प्रोजेक्ट पास करते समय इन नियमों का पालन जरूर किया जाए.

- सी वेल मुरुगन, चीफ साइंटिस्ट (ट्रैफिक इंजिनियरिंग), सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट"

होनी चाहिए ये व्यवस्था:

अनुराग कुलश्रेष्ठ ने बताया कि पैदल यात्री के लिए सुरक्षित फुटपाथ की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि वह सड़क पर चल रहे वाहनों से दूर रहें. उनके चलने और सड़क पार करने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. इनमें बच्चे, बुजुर्ग, महिला और दिव्यांग का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. सड़कों पर संरचना व सुविधाओं पर सुधार की आवश्यकता है. फुटपाथ राहगीरों की सुरक्षा के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन अधिकांश फुटपाथ अतिक्रमण, क्षतिग्रस्त, तारों के बिखरे रहने, मैनहोल ढक्कन के अभाव आदि से ग्रस्त हैं. राजधानी दिल्ली के ज्यादातर फुटपाथ पर पेड़ लगे होने के कारण लोगों को चलने की जगह नहीं मिल पाती है. पैरों के चारों तरफ कच्ची जमीन छोड़ने के नियम के कारण फुटपाथ पर चलने की जगह बचती ही नहीं है. इसलिए मजबूरी में राहगीरों को सड़क पर चलना पड़ता है. अनुराग ने बताया कि कई जगह तो फुटपाथ 1 फुट से भी ज्यादा ऊंचे होते हैं, जबकि नियम के मुताबिक उत्पाद की ऊंचाई 4 से 6 इंच के बीच होनी चाहिए ताकि राजगीर आसानी से उस पर चढ़ सके.

हादसों के कारण
हादसों के कारण

इसलिए भी होते हैं हादसे:

पैदल यात्री कई बार इसलिए भी वाहनों के शिकार हो जाते हैं, क्योंकि वाहन चालक बहुत तेज रफ्तार में गाड़ी चलाते हैं. ऐसे में उनकी जरा सी लापरवाही से किसी न किसी पैदल यात्री को हादसे का शिकार बनना पड़ जाता है. नशे में वाहन चलाने और नियमों का उल्लंघन करने के कारण भी सड़क हादसे होते हैं.

हादसों में हुई राहगीरों की मौत
हादसों में हुई राहगीरों की मौत

पैदल यात्री भी बरतते हैं लापरवाही:

कई बार यह भी देखा गया है कि हादसे के जिम्मेदार पैदल यात्री भी होते हैं. पैदल यात्री जेब्रा क्रासिंग से सड़क पार नहीं करते हैं. वाहनों से उतरते और चढ़ते समय ध्यान नहीं देते हैं और सड़क पर चलते समय मोबाइल पर गाने सुनना और बात करना भी पैदल यात्रियों के लिए आम बात है. इस कारण में सड़क हादसे का शिकार हो जाते हैं.

इसे भी पढ़ें: Ghaziabad Road Accident: बीते 8 दिन में सड़क हादसों में गई 9 लोगों की जान, जानें क्या है पुलिस की तैयारी

Last Updated : Jul 31, 2023, 10:35 PM IST
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