नई दिल्ली: पटियाला हाउस कोर्ट ने जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला राशिद को अंतरिम राहत दी है. भारतीय सेना पर ट्वीट करने के मामले में दर्ज FIR के मामले में शेहला राशिद की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.
एडिशनल सेशंस जज पवन कुमार जैन ने शेहला राशिद को जांच में सहयोग करने का आदेश दिया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 5 नवंबर को होगी. 5 नवंबर तक शेहला राशिद की कोई गिरफ्तारी नहीं होगी.
देशद्रोह की धारा के तहत मुकदमा दर्ज
वकील आलोक अलख श्रीवास्तव की ओर से दर्ज शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने शेहला राशिद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए, 153ए, 153, 504 और धारा 505 के तहत FIR दर्ज किया है.
कोर्ट में की थी अंतरिम सुरक्षा की मांग
FIR दर्ज होने के बाद शेहला राशिद ने पटियाला हाउस कोर्ट में गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा की मांग की थी. सुनवाई के दौरान शेहला राशिद की ओर से वकील अकरम खान और शारिक इकबाल ने कोर्ट से कहा कि 17 अगस्त को शेहला राशिद के ट्वीट को आधार बनाते हुए FIR दर्ज किया गया है.
शेहला राशिद जांच में सहयोग के लिए तैयार
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि अभी दिल्ली पुलिस ने शेहला राशिद को कोई नोटिस जारी नहीं किया है. शेहला राशिद की ओर से कहा गया कि वो जांच में सहयोग देने के लिए तैयार है.
'जांच में लगेगा 6 हफ्ते का समय'
दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस संबंध में सेना की ओर से कोई शिकायत नहीं मिली है. पुलिस का कहना है कि इस मामले में जांच के लिए उसे समय चाहिए. दिल्ली पुलिस ने कहा कि इसकी जांच में 6 हफ्ते का समय लगेगा.
उसके बाद कोर्ट ने कहा कि इस मामले की विस्तृत जांच की जरुरत है. कोर्ट ने शेहला राशिद को जांच में सहयोग करने और जांच अधिकारी के बुलाने पर जांच में शामिल होने का निर्देश दिया है.
देशद्रोह और समुदाय के बीच वैमनस्य फैलाने का आरोप
वकील आलोक अलख श्रीवास्तव ने पिछले 19 अगस्त को दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. आलोक अलख श्रीवास्तव ने आरोप लगाया है कि शेहला ने अपने ट्वीट्स के जरिये भारतीय सेना पर निराधार आरोप लगाए हैं. आलोक अलख श्रीवास्तव ने शेहला राशीद के खिलाफ देशद्रोह और समुदाय के बीच वैमनस्य फैलाने के आरोप में FIR दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की थी.
टवीट को आधार बनाकर की कार्रवाई की मांग
शेहला राशिद के 18 अगस्त के ट्वीट्स को वकील आलोक अलख श्रीवास्तव ने अपनी शिकायत में आधार बनाया है और शेहला के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए, 153, 153 ए, 504, 505 और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई किये जाने की मांग की है.