नई दिल्लीः मुसलमानों का दूसरा बड़ा त्यौहार ईद-उल-अजहा करीब है. कोरोना की वजह से इस साल ऑनलाइन जानवर खरीदने का सिलसिला शुरू हुआ है. वहीं कुछ लोग जानवर की कुर्बानी के बजाय उस रकम को गरीबों की मदद के लिए देने की भी बात कह रहे हैं.
कुर्बानी एक इबादत
इन सभी मसलों को लेकर ऐंग्लो अरेबिक स्कूल के मस्जिद के इमाम मौलाना मुफ्ती कासिम कासमी ने ईटीवी भारत से खास बात की. मुफ्ती कासिम ने कहा कि कुर्बानी एक इबादत है. इसमें अल्लाह के नाम से जानवर को कुर्बान किया जाता है. कुरान में अल्लाह ताला ने फरमाया है कि तुम बेहतरीन माल को अल्लाह की राह में खर्च करो.
ऑनलाइन खरीददारी ठीक नहीं
मुफ्ती कासिम ने कहा कि मौजूदा दौर में जानवर को ऑनलाइन खरीदने का सिलसिला शुरू हुआ है, जो उलेमाओं की नजर में ठीक नहीं है. मुफ्ती कासिम ने कहा कि कुछ लोग कोरोना वायरस की वजह से इस साल कुर्बानी ना करके उस रकम को गरीबों को देने की बात कर रहे हैं. लेकिन इसे आप ये समझ लें कि कुर्बानी हो गई, ऐसा हरगिज नहीं हो सकता.
अच्छी नस्ल के जानवर की कुर्बानी जरूरी
कुर्बानी तभी होगी जब आप अल्लाह की राह में जानवर को जिबह करेंगे. मुफ्ती कासीम ने कहा कि खूबसूरत और अच्छी नस्ल के जानवर को खरीद कर कुर्बानी करनी चाहिए. सिर्फ उसका वजन ना देखा जाए. उसकी नस्ल और उसकी खूबसूरती का भी ख्याल रखना चाहिए.