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मशहूर उर्दू शायर शेख इब्राहिम जौक के जन्मदिन पर कार्यक्रम का आयोजन

प्रोफेसर इब्न कंवल ने कहा कि ये बहुत अफसोस कि बात है कि हम लोग अपने फनकारों को भुला देते हैं. खुदा करे कि हम अपने कलाकारों को भविष्य में ना भूलें. बाहर के मुल्कों में लोग अपने शायरों और लेखकों को बड़ी कदर की निगाह से देखते है.

उर्दू शायर उस्ताद जौक
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Published : Nov 24, 2019, 7:50 AM IST

नई दिल्ली: अंजुमन तरक्की उर्दू दिल्ली शाख की तरफ से दरियागंज में उर्दू के प्रसिद्ध शायर उस्ताद शेख इब्राहिम जौक के जन्मदिन के उपलक्ष्य में यौम-ए-जौक प्रोग्राम का आयोजन किया गया. प्रोग्राम की अध्यक्षता प्रोफेसर शरीफ हुसैन कासमी ने की. प्रोग्राम का उद्घाटन करते हुए डीयू के प्रोफेसर इब्ने कंवल ने कहा कि कभी-कभी हमारी बदकिस्मती ये होती है कि हम अपने फनकारों की कदर नहीं कर पाते.

सादगी से शेर कहते थे जौक- डीयू प्रोफसर

उस्ताद जौक के जन्मदिन पर अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू दिल्ली शाख की तरफ से सेमिनार और मुशायरे का आयोजन किया गया. इब्राहिम जौक 19वीं शताब्दी के बड़े शायरों में शामिल थे और अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर के उस्ताद थे. समय ने उनके साथ ऐसा बर्ताव किया कि लोगों ने उन्हें भुला दिया. उनकी मजार पर कथित तौर पर शौचालय बना दिया गया. कुछ लोगों मे इस मजार को फिर से बनवाया.

On Urdu poet Ustad Zauq birhtday Yaum-E-Zauq program organised in Dariyaganj
मौजूद रही उर्दू अदब से जुड़ी हस्तियां

बहुत सादगी से शेर कहते थे जौक
प्रोफेसर इब्न कंवल ने कहा कि ये बहुत अफसोस कि बात है कि हम लोग अपने फनकारों को भुला देते हैं. खुदा करे कि हम अपने कलाकारों को भविष्य में ना भूलें. बाहर के मुल्कों में लोग अपने शायरों और लेखकों को बड़ी कदर की निगाह से देखते है. उस्ताद जौक बहुत सादगी से शेर कहते थे. उस जमाने में भी उनके हज़ारों शागिर्द थे और ये सिलसिला आज भी कायम है.

उर्दू अदब से जुड़ी हस्तियां मौजूद रही
इस अवसर पर मासूम मुराद आबादी, डॉक्टर अकील अहमद, फारूक अरगली, प्रोफेसर शरीफ हुसैन कासमी ने भी उस्ताद जौक पर अपने विचार रखे. प्रोग्राम का संचालन मासूम मुराद आबादी ने किया. बाद में शामें गजल और मुशायरे का भी आयोजन किया गया. जिसमें बड़ी संख्या में उर्दू अदब से जुड़ी हस्तियां उपस्थित रहीं.

नई दिल्ली: अंजुमन तरक्की उर्दू दिल्ली शाख की तरफ से दरियागंज में उर्दू के प्रसिद्ध शायर उस्ताद शेख इब्राहिम जौक के जन्मदिन के उपलक्ष्य में यौम-ए-जौक प्रोग्राम का आयोजन किया गया. प्रोग्राम की अध्यक्षता प्रोफेसर शरीफ हुसैन कासमी ने की. प्रोग्राम का उद्घाटन करते हुए डीयू के प्रोफेसर इब्ने कंवल ने कहा कि कभी-कभी हमारी बदकिस्मती ये होती है कि हम अपने फनकारों की कदर नहीं कर पाते.

सादगी से शेर कहते थे जौक- डीयू प्रोफसर

उस्ताद जौक के जन्मदिन पर अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू दिल्ली शाख की तरफ से सेमिनार और मुशायरे का आयोजन किया गया. इब्राहिम जौक 19वीं शताब्दी के बड़े शायरों में शामिल थे और अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर के उस्ताद थे. समय ने उनके साथ ऐसा बर्ताव किया कि लोगों ने उन्हें भुला दिया. उनकी मजार पर कथित तौर पर शौचालय बना दिया गया. कुछ लोगों मे इस मजार को फिर से बनवाया.

On Urdu poet Ustad Zauq birhtday Yaum-E-Zauq program organised in Dariyaganj
मौजूद रही उर्दू अदब से जुड़ी हस्तियां

बहुत सादगी से शेर कहते थे जौक
प्रोफेसर इब्न कंवल ने कहा कि ये बहुत अफसोस कि बात है कि हम लोग अपने फनकारों को भुला देते हैं. खुदा करे कि हम अपने कलाकारों को भविष्य में ना भूलें. बाहर के मुल्कों में लोग अपने शायरों और लेखकों को बड़ी कदर की निगाह से देखते है. उस्ताद जौक बहुत सादगी से शेर कहते थे. उस जमाने में भी उनके हज़ारों शागिर्द थे और ये सिलसिला आज भी कायम है.

उर्दू अदब से जुड़ी हस्तियां मौजूद रही
इस अवसर पर मासूम मुराद आबादी, डॉक्टर अकील अहमद, फारूक अरगली, प्रोफेसर शरीफ हुसैन कासमी ने भी उस्ताद जौक पर अपने विचार रखे. प्रोग्राम का संचालन मासूम मुराद आबादी ने किया. बाद में शामें गजल और मुशायरे का भी आयोजन किया गया. जिसमें बड़ी संख्या में उर्दू अदब से जुड़ी हस्तियां उपस्थित रहीं.

Intro:नई दिल्ली।
अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू दिल्ली शाख की तरफ से आज दरिया गंज में उर्दू के प्रसिद्ध शायर उस्ताद शेख इब्राहिम ज़ौक़ के जन्म दिन के उपलक्ष में यौम ज़ौक़ प्रोग्राम का आयोजन किया गया।प्रोग्राम की अध्यक्षता प्रोफेसर शरीफ हुसैन क़ासमी ने की।प्रोग्राम का उद्घाटन करते हुए दिल्ली विश्विद्यालय के प्रोफेसर इब्ने कंवल ने कहा कि कभी कभी हमारी बदकिस्मती ये होती है कि हम अपने फनकारों की कदर नही कर पाते।Body:उस्ताद ज़ोक को जन्म दिन पर याद किया गया।
अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू दिल्ली शाख की तरफ से सेमिनार और मुशायरे का आयोजन
नई दिल्ली।
अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू दिल्ली शाख की तरफ से आज दरिया गंज में उर्दू के प्रसिद्ध शायर उस्ताद शेख इब्राहिम ज़ौक़ के जन्म दिन के उपलक्ष में यौम ज़ौक़ प्रोग्राम का आयोजन किया गया।प्रोग्राम की अध्यक्षता प्रोफेसर शरीफ हुसैन क़ासमी ने की।प्रोग्राम का उद्घाटन करते हुए दिल्ली विश्विद्यालय के प्रोफेसर इब्ने कंवल ने कहा कि कभी कभी हमारी बदकिस्मती ये होती है कि हम अपने फनकारों की कदर नही कर पाते।इब्राहिम ज़ौक़ 19 वी शताब्दी के बड़े शायरों में शामिल थे और अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफर के उस्ताद थे।समय ने उनके साथ ऐसा बर्ताव क्या की लोगो ने उन्हें भुला दिया उनका मज़ार पर कथित तौर पर शैचालय बना दिया गया कुछ लोगो मे इस मज़ार को वापस दर्याफत कर उसे फिर से बनवाया ।प्रोफेसर इब्न कंवल ने कहा कि ये बहुत अफसोस कि बात है कि हम लोग अपने फनकारों को भुला देते हैं।खुदा करे कि हम अपने कलाकारों को भविष्य में ना भूले,बाहर के मुल्को में लोग अपने शायरों ओर लेखकों को बड़ी कदर की निगाह से देखते है।उस्ताद ज़ोक बहुत सादगी से शेयर कहते थे उस ज़माने में भी उनके हज़ारो शागिर्द थे और यह सिलसिला आज भी है।
इस अवसर पर मासूम मुराद आबादी,डॉक्टर अकील अहमद,फ़ारूक़ अरगली,प्रोफैसर शरीफ हुसैन क़ासमी ने भी उस्ताद ज़ोक पर अपने विचार रखे।प्रोग्राम का संचालन मासूम मुराद आबादी ने किया।बाद में शामें ग़ज़ल और मुशायरे का भी आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में उर्दू अदब से जुड़ी हस्तियां उपस्थित रहीं।Conclusion:सेमिनार
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प्रोफेस्सर इब्न कंवल
दिल्ली विश्वविद्यालय
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