नई दिल्ली: अंजुमन तरक्की उर्दू दिल्ली शाख की तरफ से दरियागंज में उर्दू के प्रसिद्ध शायर उस्ताद शेख इब्राहिम जौक के जन्मदिन के उपलक्ष्य में यौम-ए-जौक प्रोग्राम का आयोजन किया गया. प्रोग्राम की अध्यक्षता प्रोफेसर शरीफ हुसैन कासमी ने की. प्रोग्राम का उद्घाटन करते हुए डीयू के प्रोफेसर इब्ने कंवल ने कहा कि कभी-कभी हमारी बदकिस्मती ये होती है कि हम अपने फनकारों की कदर नहीं कर पाते.
उस्ताद जौक के जन्मदिन पर अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू दिल्ली शाख की तरफ से सेमिनार और मुशायरे का आयोजन किया गया. इब्राहिम जौक 19वीं शताब्दी के बड़े शायरों में शामिल थे और अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर के उस्ताद थे. समय ने उनके साथ ऐसा बर्ताव किया कि लोगों ने उन्हें भुला दिया. उनकी मजार पर कथित तौर पर शौचालय बना दिया गया. कुछ लोगों मे इस मजार को फिर से बनवाया.
बहुत सादगी से शेर कहते थे जौक
प्रोफेसर इब्न कंवल ने कहा कि ये बहुत अफसोस कि बात है कि हम लोग अपने फनकारों को भुला देते हैं. खुदा करे कि हम अपने कलाकारों को भविष्य में ना भूलें. बाहर के मुल्कों में लोग अपने शायरों और लेखकों को बड़ी कदर की निगाह से देखते है. उस्ताद जौक बहुत सादगी से शेर कहते थे. उस जमाने में भी उनके हज़ारों शागिर्द थे और ये सिलसिला आज भी कायम है.
उर्दू अदब से जुड़ी हस्तियां मौजूद रही
इस अवसर पर मासूम मुराद आबादी, डॉक्टर अकील अहमद, फारूक अरगली, प्रोफेसर शरीफ हुसैन कासमी ने भी उस्ताद जौक पर अपने विचार रखे. प्रोग्राम का संचालन मासूम मुराद आबादी ने किया. बाद में शामें गजल और मुशायरे का भी आयोजन किया गया. जिसमें बड़ी संख्या में उर्दू अदब से जुड़ी हस्तियां उपस्थित रहीं.