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NCRTC ने निर्माण स्थलों के पास प्रदूषण रोकने के किए इंतजाम

एनसीआरटीसी ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए उसे रोकने के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है. एनसीआरटीसी ने बताया कि आरआरटीएस परियोजना को लागू करने वाली एजेंसी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों का पालन कर रही है.

NCRTC ने निर्माण स्थलों के पास प्रदूषण रोकने के लिए किये कई इंतजाम
NCRTC ने निर्माण स्थलों के पास प्रदूषण रोकने के लिए किये कई इंतजाम
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Published : Nov 2, 2022, 3:56 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली-एनसीआर की मौजूदा बिगड़ती पर्यावरणीय स्थिति को देखते हुए एनसीआरटीसी ने स्थिति से निपटने के लिए अपने प्रयासों को और तेज कर दिया है. एनसीआरटीसी (National Capital Region Transport Corporation) ने बयान जारी करते हुए कहा है कि आरआरटीएस परियोजना को लागू करने वाली एजेंसी पूरी तत्परता के साथ केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों का पालन करती है. साथ ही साथ निर्माण कार्यों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए पूरी जिम्मेदारी से अन्य उपाय भी करती रही है.

प्री-कास्ट सेगमेंट का उपयोग: बयान में बताया गया है कि परियोजना की शुरुआत से ही पर्यावरण संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, एनसीआरटीसी निर्माण के लिए प्री-कास्ट सेगमेंट का उपयोग कर रही है. प्री-कास्टिंग बेहतर गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करते हुए कार्यों के सुरक्षित और तेजी से निष्पादन में मदद करता है. यह सड़क उपयोगकर्ताओं, राहगीरों, व्यापारियों और निवासियों की असुविधा को कम करता है, और वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में कमी करता है.

धूल से होने वाले प्रदूषण की संभावना ना के बराबर: एनसीआरटीसी के मुताबिक, आनंद विहार में सुरंगों के निर्माण के लिए उपयोग किए जा रहे टनल सेगमेंट्स को कास्टिंग यार्ड में सुनिश्चित गुणवत्ता नियंत्रण के साथ नियंत्रित वातावरण में कास्ट किया जा रहा है. इन्हें ट्रेलरों पर लाद कर रात के समय साइटों पर लाया जाता है, ताकि यातायात संबंधी समस्या और लोगों को कम से कम असुविधा हो. आनंद विहार साइट पर इन-सीटू निर्माण की आवश्यकता न्यूनतम है. इसके अलावा सुरंगों से निकाली गई मिट्टी गीली होती है और ज्यादातर साइट भी गीली होती है. इसलिए इस साइट पर धूल से होने वाले प्रदूषण की संभावना न्यूनतम है.

NCRTC ने निर्माण स्थलों के पास प्रदूषण रोकने के लिए किये कई इंतजाम

ये भी पढ़ें: दिल्ली में गंभीर प्रदूषण के स्तर को अनिल कुमार ने उपराज्यपाल से स्कूलों को बंद करने की मांग की

10 कास्टिंग यार्ड स्थापित: पूरे 82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर ऐसे 10 कास्टिंग यार्ड स्थापित किए गए हैं. उनमें से प्रत्येक में इसी तरह के उपाय किए जा रहे हैं. इसके अलावा आरआरटीएस निर्माण स्थलों पर ट्रक वाशिंग प्लांट, स्प्रिंकलर और एंटी-स्मॉग गन इंस्टॉल की गई हैं. निर्माण कार्य से होने वाली धूल और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल किया जा रहा है. धूल को उड़ने से रोकने के लिए निर्माण स्थल पर पानी के टैंकरों से पानी का निरंतर छिड़काव किया जा रहा है.

स्मॉग गन के साथ वैक्यूम स्वीपिंग भी जारी: ऐसे 20 स्प्रिंकलर और 6 एंटी स्मॉग गन आनंद विहार निर्माण साइट पर एक निश्चित ऊंचाई पर लगाए गए हैं. जल छिड़काव के लिए मोबाइल वाहन भी साइट पर तैनात किए गए हैं और भविष्य में इसकी संख्या बढ़ाई भी जाएगी. एनसीआरटीसी निर्माण स्थलों के पास धूल को उड़ने से रोकने के लिए सड़कों की मशीनीकृत/वैक्यूम स्वीपिंग भी करता है.

एनसीआरटीसी ने प्रदूषण नियंत्रण उपायों के कार्यान्वयन की निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए एक विशेष कार्य बल का गठन किया है, जिसमें एनसीआरटीसी के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं.

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नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली-एनसीआर की मौजूदा बिगड़ती पर्यावरणीय स्थिति को देखते हुए एनसीआरटीसी ने स्थिति से निपटने के लिए अपने प्रयासों को और तेज कर दिया है. एनसीआरटीसी (National Capital Region Transport Corporation) ने बयान जारी करते हुए कहा है कि आरआरटीएस परियोजना को लागू करने वाली एजेंसी पूरी तत्परता के साथ केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों का पालन करती है. साथ ही साथ निर्माण कार्यों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए पूरी जिम्मेदारी से अन्य उपाय भी करती रही है.

प्री-कास्ट सेगमेंट का उपयोग: बयान में बताया गया है कि परियोजना की शुरुआत से ही पर्यावरण संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, एनसीआरटीसी निर्माण के लिए प्री-कास्ट सेगमेंट का उपयोग कर रही है. प्री-कास्टिंग बेहतर गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करते हुए कार्यों के सुरक्षित और तेजी से निष्पादन में मदद करता है. यह सड़क उपयोगकर्ताओं, राहगीरों, व्यापारियों और निवासियों की असुविधा को कम करता है, और वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में कमी करता है.

धूल से होने वाले प्रदूषण की संभावना ना के बराबर: एनसीआरटीसी के मुताबिक, आनंद विहार में सुरंगों के निर्माण के लिए उपयोग किए जा रहे टनल सेगमेंट्स को कास्टिंग यार्ड में सुनिश्चित गुणवत्ता नियंत्रण के साथ नियंत्रित वातावरण में कास्ट किया जा रहा है. इन्हें ट्रेलरों पर लाद कर रात के समय साइटों पर लाया जाता है, ताकि यातायात संबंधी समस्या और लोगों को कम से कम असुविधा हो. आनंद विहार साइट पर इन-सीटू निर्माण की आवश्यकता न्यूनतम है. इसके अलावा सुरंगों से निकाली गई मिट्टी गीली होती है और ज्यादातर साइट भी गीली होती है. इसलिए इस साइट पर धूल से होने वाले प्रदूषण की संभावना न्यूनतम है.

NCRTC ने निर्माण स्थलों के पास प्रदूषण रोकने के लिए किये कई इंतजाम

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10 कास्टिंग यार्ड स्थापित: पूरे 82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर ऐसे 10 कास्टिंग यार्ड स्थापित किए गए हैं. उनमें से प्रत्येक में इसी तरह के उपाय किए जा रहे हैं. इसके अलावा आरआरटीएस निर्माण स्थलों पर ट्रक वाशिंग प्लांट, स्प्रिंकलर और एंटी-स्मॉग गन इंस्टॉल की गई हैं. निर्माण कार्य से होने वाली धूल और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल किया जा रहा है. धूल को उड़ने से रोकने के लिए निर्माण स्थल पर पानी के टैंकरों से पानी का निरंतर छिड़काव किया जा रहा है.

स्मॉग गन के साथ वैक्यूम स्वीपिंग भी जारी: ऐसे 20 स्प्रिंकलर और 6 एंटी स्मॉग गन आनंद विहार निर्माण साइट पर एक निश्चित ऊंचाई पर लगाए गए हैं. जल छिड़काव के लिए मोबाइल वाहन भी साइट पर तैनात किए गए हैं और भविष्य में इसकी संख्या बढ़ाई भी जाएगी. एनसीआरटीसी निर्माण स्थलों के पास धूल को उड़ने से रोकने के लिए सड़कों की मशीनीकृत/वैक्यूम स्वीपिंग भी करता है.

एनसीआरटीसी ने प्रदूषण नियंत्रण उपायों के कार्यान्वयन की निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए एक विशेष कार्य बल का गठन किया है, जिसमें एनसीआरटीसी के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं.

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