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'मदर्स डे' मां रुक्मणि का फूलों, बिंदी और आलता से हुआ श्रृंगार - फूलों बिंदी और आलता से मां रुक्मणी का श्रृंगार

द्वारका के इस्कॉन मंदिर में मदर्स डे के मौके पर 'मदर्स डे सेलिब्रेशन' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जहां माता रुक्मणी को गेंदा, गुलाब और चमेली के फूलों से सजा कर मां को महारानी की तरह तैयार कर उनकी पूजा की गई और उनका आशीर्वाद लिया गया.

dwarka iskon mothers day
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Published : May 9, 2022, 9:38 AM IST

नई दिल्ली: द्वारका के इस्कॉन मंदिर में मदर्स डे के मौके पर रविवार को 'मदर्स डे सेलिब्रेशन' कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां माता रुक्मणी को गेंदा, गुलाब और चमेली के फूलों से सजा कर मां को महारानी की तरह तैयार कर उनकी पूजा की गई और उनका आशीर्वाद लिया गया.

मां बिना किसी शर्त, बिना किसी भेदभाव के प्रेम करना और देना जानती है. जीवन भर हमारी खुशियों की परवाह करते हुए अपना जीवन बिता देती है. उसका प्रेम शुद्ध और अनंत है. शायद इसलिए कहते हैं की भगवान हर जगह नहीं हो सकते, इसलिए उन्होंने माँ बनाई. मां की जितनी प्रशंसा और प्रेमपूर्वक सेवा की जाए, उतनी कम है. इसी उद्देश्य और सोच के साथ मदर्स डे को मां को समर्पित करते हुए उनकी सेवा की गई.

'मदर्स डे' मां रुक्मणि का फूलों, बिंदी और आलता से हुआ श्रृंगार

रविवार को शाम साढे 5 बजे से शुरू हुए इस कार्यक्रम में बच्चों और उनकी मां के साथ मंदिर की रौनक और भी बढ़ गयी. मंदिर के प्रांगण में बच्चों ने ममता को सलाम किया. 8 से 14 वर्ष तक के बच्चों ने फूलों, बिंदी और आलता से अपनी माओं का श्रृंगार किया.

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नई दिल्ली: द्वारका के इस्कॉन मंदिर में मदर्स डे के मौके पर रविवार को 'मदर्स डे सेलिब्रेशन' कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां माता रुक्मणी को गेंदा, गुलाब और चमेली के फूलों से सजा कर मां को महारानी की तरह तैयार कर उनकी पूजा की गई और उनका आशीर्वाद लिया गया.

मां बिना किसी शर्त, बिना किसी भेदभाव के प्रेम करना और देना जानती है. जीवन भर हमारी खुशियों की परवाह करते हुए अपना जीवन बिता देती है. उसका प्रेम शुद्ध और अनंत है. शायद इसलिए कहते हैं की भगवान हर जगह नहीं हो सकते, इसलिए उन्होंने माँ बनाई. मां की जितनी प्रशंसा और प्रेमपूर्वक सेवा की जाए, उतनी कम है. इसी उद्देश्य और सोच के साथ मदर्स डे को मां को समर्पित करते हुए उनकी सेवा की गई.

'मदर्स डे' मां रुक्मणि का फूलों, बिंदी और आलता से हुआ श्रृंगार

रविवार को शाम साढे 5 बजे से शुरू हुए इस कार्यक्रम में बच्चों और उनकी मां के साथ मंदिर की रौनक और भी बढ़ गयी. मंदिर के प्रांगण में बच्चों ने ममता को सलाम किया. 8 से 14 वर्ष तक के बच्चों ने फूलों, बिंदी और आलता से अपनी माओं का श्रृंगार किया.

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