नई दिल्ली : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का सदस्य बने रहने के लिए अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा अयोग्य घोषित हो गए हैं. गुरुद्वारा इलेक्शन डायरेक्टर ने धार्मिक परीक्षा देने के बाद यह फैसला किया है. बताया गया कि गुरुमुखी के परीक्षण के लिए सिरसा ने अपनी मर्जी के 46 शब्द लिखे थे जिसमें से 27 गलत थे. लिहाज़ा, अब सिरसा कमिटी के अध्यक्ष तो दूर सदस्य भी नहीं बने रह सकते.
हाल ही में जब मनजिंदर सिंह सिरसा चुनाव हार गए थे तब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से उन्हें नॉमिनेट कर दिल्ली कमेटी का सदस्य बनवाया गया था. विरोधी दलों ने दावा किया था कि मनजिंदर सिंह सिरसा कमेटी के सदस्य बनने के लिए पात्र नहीं है. इसी को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था और कोर्ट ने गुरुद्वारा चुनाव निदेशक को सिरसा का धार्मिक परीक्षण लेने के लिए कहा था.
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वहीं उन्होंने सुखो खालसा सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल के सामने गुरबाणी पढ़ने और गुरुमुखी लिखने का दावा किया और इसके लिए सर्टिफिकेट भी लगाया. चुनाव निदेशक के मुताबिक दोनों ही सर्टिफिकेट उसी दिन की तारीख के थे. कोर्ट के आदेशानुसार हो रही जांच में ये सुनिश्चित करना जरूरी था कि सिरसा पात्र हैं या नहीं. वहीं जिन संस्थानों द्वारा ये सर्टिफिकेट जारी किए गए थे वो दिल्ली कमिटी के अधीन हैं.
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गुरुद्वारा चुनाव निदेशक ने कहा कि जो व्यक्ति सुबह गुरबाणी पढ़ सकता है और लिख सकता है वह शाम को भी यह काम कर सकता है. लिहाजा, उन्होंने सिरसा को वहीं पर गुरबाणी पढ़ने और गुरुमुखी लिखने के लिए कहा.
बताया गया कि जब गुरु ग्रंथ साहिब से सिरसा को गुरमुखी पढ़ने के लिए कहा गया तो वह इसे बेहतर तरीके से पढ़ने में असमर्थ थे. वहीं गुरु ग्रंथ साहिब से जब उन्हें एक इमला लिखने को कहा गया तब उन्होंने भाषा को बहुत कठिन बताकर इससे मना कर दिया. सिरसा ने गुरमुखी में अपनी मर्जी के 46 शब्द लिखे, जिसमें से 27 गलत थे.
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इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए गुरुद्वारा चुनाव निदेशक ने मनजिंदर सिंह सिरसा को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का सदस्य बने रहने के लिए अयोग्य घोषित किया है.