नई दिल्ली: 1984 के सिख विरोधी दंगों में सज्जन कुमार को सजा मिलने के बाद अब इस मामले में आरोपित पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ भी उसी तरह से कानूनी प्रक्रिया शुरू हो गई है. सज्जन कुमार को 33 साल बाद वर्ष 2018 में उम्र कैद की सजा मिली थी. अब टाइटलर के मामले में भी सीबीआई द्वारा 20 मई को फिर से सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की गई थी. मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा चार्जशीट पर संज्ञान लेने के चलते शनिवार को टाइटलर को कोर्ट में पेश होना पड़ा.
नीली पेंट और सफेद टी शर्ट में टाइटलर कोर्ट रूम में दाखिल हुए. टाइटलर के कोर्ट पहुंचने से पहले उनकी पत्नी जेनिफर टाइटलर बेल बांड फर्निश करने के लिए कोर्ट पहुंच गई थी, लेकिन वकील के राउज एवेन्यू स्थित मजिस्ट्रेट कोर्ट आने में देरी के चलते बेल बांड की प्रक्रिया पूरी करने में आधे घंटे का समय लगा. इस दौरान टाइटलर कोर्ट रूम में सोफे पर बैठकर प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार करते रहे. इसके बाद टाइटलर और उनकी पत्नी ने बांड पर अपने हस्ताक्षर किए. कोर्ट ने बांड में टाइटलर की अग्रिम जमानत के लिए गवाहों और सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और कोर्ट की अनुमति के बिना देश छोड़ने की शर्त भी रखी है.
शनिवार को बेल बांड की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कोर्ट ने बांड को स्वीकार करते हुए चार्जशीट की एक कॉपी टाइटलर को देने का निर्देश दिया. साथ ही चार्जशीट की स्क्रूटनी के लिए 10 अगस्त तक का समय देते हुए 11 अगस्त को 2 बजे मामले की अगली सुनवाई तय कर दी. टाइटलर के वकील मनु शर्मा ने कोर्ट से केस से संबंधित पिछला 40 साल के रिकॉर्ड की कॉपी भी सीबीआई से दिलाने की मांग की. इस पर जज विधि गुप्ता ने कहा कि इस कोर्ट से 40 साल का रिकॉर्ड मिलना मुश्किल है. 2007 में दाखिल हुई चार्जशीट की कॉपी और अन्य दस्तावेज दिए जा सकते हैं. इस पर सीबीआई के वकील ने अपने पास उपलब्ध रिकॉर्ड की कॉपी देने की बात कही है.
यह था मामला: देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को उनके सिख अंगरक्षकों के द्वारा गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी. उसके ठीक एक दिन बाद 1 नवंबर, 1984 को पुल बंगश क्षेत्र में तीन सिखों की हत्या कर दी गई थी, साथ ही एक गुरुद्वारे में आग लगा दी गई थी. सीबीआई चार्जशीट में कहा था कि टाइटलर ने गुरुद्वारे में इकट्ठा हुई भीड़ को उकसाया, जिसके बाद गुरुद्वारे में आग लगाई गई और तीन सिखों ठाकुर सिंह, बादल सिंह तथा गुरु चरण सिंह की हत्या कर दी गई. सीबीआई ने इस संबंध में टाइटलर के खिलाफ आईपीसी की धारा 147 (दंगा), 109 (उकसाने) के साथ धारा 302 (हत्या) के आरोप लगाए थे.
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