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JNU शिक्षकों के समर्थन में उतरे मनोज झा, कहा- राज्यसभा में रखेंगे मुद्दा - ईटीवी भारत

JNU के प्रशासन द्वारा CCS नियमों को आधार बनाकर 48 शिक्षकों के खिलाफ चार्जशीट जारी करने पर अकादमिक जगत में विरोध हो रहा है. इसी क्रम में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में जेएनयू के उन 48 शिक्षकों के समर्थन में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

JNU शिक्षकों के समर्थन में उतरे मनोज झा etv bharat
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Published : Aug 4, 2019, 10:09 AM IST

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) प्रशासन द्वारा पिछले दिनों 48 शिक्षकों को प्रदर्शन करने को लेकर दिए गए नोटिस का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है.

अब इस पूरे मामले को लेकर DU शिक्षक संघ, विश्वभारती विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया समेत तमाम विश्वविद्यालय के संगठनों का शिक्षकों को समर्थन मिल रहा है.

जामिया समेत तमाम विश्वविद्यालय के संगठनों का शिक्षकों को मिल रहा समर्थन

राज्यसभा तक पहुंचा मामला

शनिवार को इस पूरे मामले को लेकर प्रेस क्लब में एक प्रेसवार्ता आयोजित हुई. प्रेसवार्ता में JNU के शिक्षकों को राज्यसभा सांसद प्रोफेसर मनोज झा का भी समर्थन मिला. प्रोफेसर झा ने कहा कि JNU में शिक्षकों को गलत तरीके से नोटिस दिया जा रहा है. आने वाले दिनों में इस मुद्दे को राज्यसभा में भी रखेंगे.

उन्होंने ये भी कहा कि जिस नियम का हवाला देते हुए JNU प्रशासन ने शिक्षकों पर कार्रवाई की है. वह नियमावली JNU में लागू ही नहीं होती है.

जो लोग प्रशासन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं उन्हें डरा धमकाकर एक रोबोट में तब्दील करने की कोशिश की जा रही है. जिसमें हम प्रशासन को कामयाब नहीं होने देंगे. यह केवल 48 शिक्षकों का मामला नहीं है बल्कि यह देश के तमाम विश्वविद्यालयों के शिक्षकों का मसला है.

नोटिस को गैर-कानूनी, अनैतिक बताया

जेएनयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष अतुल सूद ने कहा कि 31 जुलाई 2018 को प्रशासन से JNU को नियमों के अनुसार चलाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था.

उन्होंने ये भी कहा कि जिस केंद्रीय सिविल सेवा (CCS) रूल का हवाला देते हुए प्रशासन ने शिक्षकों को नोटिस दिया है वह शिक्षकों पर लागू ही नहीं होता है.

प्रशासन एक ऐसा माहौल पैदा करना चाहता है जिससे कोई भी शिक्षक प्रशासन के खिलाफ आवाज न उठा सकें.

अतुल सूद ने कहा कि प्रशासन ने जो नोटिस शिक्षकों को दिया है. वह गैर कानूनी, अनैतिक और उस नोटिस का कोई आधार नहीं है.

JNU के शिक्षकों ने कोई ऐसा काम नहीं किया है. जिसको लेकर प्रशासन ने शिक्षकों को नोटिस दिया है. JNU प्रशासन से तत्काल प्रभाव से शिक्षकों को दिए गए नोटिस को वापस लेने की भी मांग की है.

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) प्रशासन द्वारा पिछले दिनों 48 शिक्षकों को प्रदर्शन करने को लेकर दिए गए नोटिस का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है.

अब इस पूरे मामले को लेकर DU शिक्षक संघ, विश्वभारती विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया समेत तमाम विश्वविद्यालय के संगठनों का शिक्षकों को समर्थन मिल रहा है.

जामिया समेत तमाम विश्वविद्यालय के संगठनों का शिक्षकों को मिल रहा समर्थन

राज्यसभा तक पहुंचा मामला

शनिवार को इस पूरे मामले को लेकर प्रेस क्लब में एक प्रेसवार्ता आयोजित हुई. प्रेसवार्ता में JNU के शिक्षकों को राज्यसभा सांसद प्रोफेसर मनोज झा का भी समर्थन मिला. प्रोफेसर झा ने कहा कि JNU में शिक्षकों को गलत तरीके से नोटिस दिया जा रहा है. आने वाले दिनों में इस मुद्दे को राज्यसभा में भी रखेंगे.

उन्होंने ये भी कहा कि जिस नियम का हवाला देते हुए JNU प्रशासन ने शिक्षकों पर कार्रवाई की है. वह नियमावली JNU में लागू ही नहीं होती है.

जो लोग प्रशासन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं उन्हें डरा धमकाकर एक रोबोट में तब्दील करने की कोशिश की जा रही है. जिसमें हम प्रशासन को कामयाब नहीं होने देंगे. यह केवल 48 शिक्षकों का मामला नहीं है बल्कि यह देश के तमाम विश्वविद्यालयों के शिक्षकों का मसला है.

नोटिस को गैर-कानूनी, अनैतिक बताया

जेएनयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष अतुल सूद ने कहा कि 31 जुलाई 2018 को प्रशासन से JNU को नियमों के अनुसार चलाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था.

उन्होंने ये भी कहा कि जिस केंद्रीय सिविल सेवा (CCS) रूल का हवाला देते हुए प्रशासन ने शिक्षकों को नोटिस दिया है वह शिक्षकों पर लागू ही नहीं होता है.

प्रशासन एक ऐसा माहौल पैदा करना चाहता है जिससे कोई भी शिक्षक प्रशासन के खिलाफ आवाज न उठा सकें.

अतुल सूद ने कहा कि प्रशासन ने जो नोटिस शिक्षकों को दिया है. वह गैर कानूनी, अनैतिक और उस नोटिस का कोई आधार नहीं है.

JNU के शिक्षकों ने कोई ऐसा काम नहीं किया है. जिसको लेकर प्रशासन ने शिक्षकों को नोटिस दिया है. JNU प्रशासन से तत्काल प्रभाव से शिक्षकों को दिए गए नोटिस को वापस लेने की भी मांग की है.

Intro:नई दिल्ली ।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पिछले दिनों 48 शिक्षकों को प्रदर्शन करने को लेकर दिए गए नोटिस का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब इस पूरे मामले को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ, विश्वभारती विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया सहित तमाम विश्वविद्यालय के संगठनों का शिक्षकों को समर्थन मिल रहा है. वहीं शनिवार को इस पूरे मामले को लेकर प्रेस क्लब में आयोजित हुई प्रेसवार्ता में जेएनयू के शिक्षकों को राज्यसभा सांसद प्रोफेसर मनोज झा का भी समर्थन मिला. इस मौके पर उन्होंने वर्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह केवल जेएनयू के 48 शिक्षकों का मामला नहीं है. उन्होंने कहा कि वह इस पूरे मामले को राज्यसभा में भी रखेंगे और शिक्षकों को पूरी तरह न्याय दिला कर रहेंगे.



Body:वहीं राज्यसभा सांसद प्रोफेसर मनोज झा ने कहा कि यह केवल 48 शिक्षकों का मामला नहीं है बल्कि यह देश के तमाम विश्वविद्यालयों के शिक्षकों का मसला है. उन्होंने कहा कि जिस नियम का हवाला देते हुए जेएनयू प्रशासन ने शिक्षकों पर कार्रवाई की है. वह नियमावली जेएनयू में लागू ही नहीं होती है. साथ ही कहा कि जो लोग प्रशासन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. उन्हें डरा धमकाकर एक रोबोट में तब्दील करने की कोशिश की जा रही है जिसमें हम प्रशासन को कामयाब नहीं होने देंगे. प्रोफेसर झा ने कहा कि जेएनयू में शिक्षकों को गलत तरीके से नोटिस दिया जा रहा है आने वाले दिनों में इस मुद्दे को राज्यसभा में भी रखेंगे.

वहीं जेएनयू प्रशासन द्वारा 48 शिक्षकों को दिए गए नोटिस को लेकर जेएनयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष अतुल सूद ने कहा कि प्रशासन ने जो नोटिस शिक्षकों को दिया है. वह गैर कानूनी, अनैतिक और उस नोटिस का कोई आधार नहीं है. जेएनयू के शिक्षकों ने कोई ऐसा काम नहीं किया है. जिसको लेकर प्रशासन ने शिक्षकों को नोटिस दिया है. वहीं उन्होंने जेएनयू प्रशासन से तत्काल प्रभाव से शिक्षकों को दिए गए नोटिस को वापस लेने की भी मांग की है. उन्होंने कहा कि जिस सीसीएस रूल का हवाला देते हुए प्रशासन ने शिक्षकों को नोटिस दिया है वह शिक्षकों पर लागू ही नहीं होता है.




Conclusion:जेएनयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष अतुल सूद ने कहा कि 31 जुलाई 2018 को प्रशासन से जेएनयू को नियमों के अनुसार चलाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था. उन्होंने कहा कि जो भी कोई जेएनयू प्रशासन से नियम के मुताबिक काम करने की बात कह रहा है. उसी के खिलाफ है जेएनयू प्रशासन नोटिस जारी कर रहा है जो कि गलत है. साथ ही कहा कि इस तरीके से शिक्षकों को नोटिस देकर वह शिक्षकों को डराना चाहता है और प्रशासन एक ऐसा माहौल पैदा करना चाह रहा है जिससे कोई भी शिक्षक प्रशासन के खिलाफ आवाज न उठा सकें.
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