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Guru Pradosh Vrat 2023: आषाढ़ का पहला प्रदोष व्रत आज, जानें पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गुरु प्रदोष व्रत बहुत ही प्रभावी उपाय माना जाता है. इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.

आषाढ़ का पहला प्रदोष व्रत आज
आषाढ़ का पहला प्रदोष व्रत आज
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Published : Jun 15, 2023, 10:22 AM IST

आषाढ़ का पहला प्रदोष व्रत आज

नई दिल्ली: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. 15 जून गुरुवार को गुरु प्रदोष व्रत है. यह आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत है. गुरू प्रदोष व्रत रखने और इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करने से वह प्रसन्न होते हैं. इससे जीवन में सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य और स्थिरता की प्राप्ति होती है. कष्टों से मुक्ति मिलती है. मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि गुरु प्रदोष का व्रत करने से दो गायों के दान करने जितना पुण्य की प्राप्ति होती है.

पूजा का मुहूर्त:

  1. पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 जून 2023 को 08:32 AM से शुरू हो रही है.
  2. त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 16 जून 2023 को सुबह 08 बजकर 39 मिनट पर होगी.
  3. गुरु प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त - शुभ मुहूर्त 02 घंटे 01 मिनट का रहेगा.
  4. पूजन का समय शाम 07 बजकर 20 मिनट से रात 09 बजकर 21 मिनट तक रहेगा.

पूजा करने की सही विधि और नियम: प्रदोष व्रत के दिन सूर्य उदय से पहले उठना चाहिए. उठकर स्नान कर और साफ-सुथरे कपड़े पहनकर गुरु प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए. घर के मंदिर को साफ कर फिर भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए. ध्यान रखें कि इस व्रत के दौरान शाम की पूजा का विशेष महत्व होता है. इस दिन शाम की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

प्रदोष व्रत के दिन ओम नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें. ऐसा करने से शरीर और मन शांत रहता है. साथ ही रूद्र मंत्र का जाप करना भी बेहद फलदाई माना गया है. ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं भगवान शिव तक पहुंचती है और पूर्ण होती है.

बता दें कि प्रदोष व्रत करने से करने से समाज में प्रतिष्ठा, धन की प्राप्ति और मन की शांति मिलती है. इसके पीछे एक पौराणिक आख्यान है. एक बार चंद्रमा को तपेदिक रोग हो गया. रोग असाध्य था. उनको मृत्यु तुल्य कष्ट हो रहा था. उन्होंने भगवान शिव की आराधना की. भगवान शिव ने उनको संजीवनी मंत्र से स्वस्थ किया. उस दिन त्रयोदशी तिथि थी. इसलिए प्रदोष व्रत को मुख्य रूप से स्वास्थ्य और संपत्ति के लिए शुभ मानते हैं.

ये भी पढ़ें: Yogini Ekadashi 2023 : जानिए पूजा के 3 खास मुहूर्त, योगिनी एकादशी व्रत के पारण का सही समय

नोट: यह सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है. यहां यह बताना जरूरी है कि ETV Bharat किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

ये भी पढ़ें: Yogini Ekadashi 2023 : ये है पूजा विधि और व्रत के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां

आषाढ़ का पहला प्रदोष व्रत आज

नई दिल्ली: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. 15 जून गुरुवार को गुरु प्रदोष व्रत है. यह आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत है. गुरू प्रदोष व्रत रखने और इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करने से वह प्रसन्न होते हैं. इससे जीवन में सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य और स्थिरता की प्राप्ति होती है. कष्टों से मुक्ति मिलती है. मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि गुरु प्रदोष का व्रत करने से दो गायों के दान करने जितना पुण्य की प्राप्ति होती है.

पूजा का मुहूर्त:

  1. पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 जून 2023 को 08:32 AM से शुरू हो रही है.
  2. त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 16 जून 2023 को सुबह 08 बजकर 39 मिनट पर होगी.
  3. गुरु प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त - शुभ मुहूर्त 02 घंटे 01 मिनट का रहेगा.
  4. पूजन का समय शाम 07 बजकर 20 मिनट से रात 09 बजकर 21 मिनट तक रहेगा.

पूजा करने की सही विधि और नियम: प्रदोष व्रत के दिन सूर्य उदय से पहले उठना चाहिए. उठकर स्नान कर और साफ-सुथरे कपड़े पहनकर गुरु प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए. घर के मंदिर को साफ कर फिर भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए. ध्यान रखें कि इस व्रत के दौरान शाम की पूजा का विशेष महत्व होता है. इस दिन शाम की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

प्रदोष व्रत के दिन ओम नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें. ऐसा करने से शरीर और मन शांत रहता है. साथ ही रूद्र मंत्र का जाप करना भी बेहद फलदाई माना गया है. ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं भगवान शिव तक पहुंचती है और पूर्ण होती है.

बता दें कि प्रदोष व्रत करने से करने से समाज में प्रतिष्ठा, धन की प्राप्ति और मन की शांति मिलती है. इसके पीछे एक पौराणिक आख्यान है. एक बार चंद्रमा को तपेदिक रोग हो गया. रोग असाध्य था. उनको मृत्यु तुल्य कष्ट हो रहा था. उन्होंने भगवान शिव की आराधना की. भगवान शिव ने उनको संजीवनी मंत्र से स्वस्थ किया. उस दिन त्रयोदशी तिथि थी. इसलिए प्रदोष व्रत को मुख्य रूप से स्वास्थ्य और संपत्ति के लिए शुभ मानते हैं.

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नोट: यह सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है. यहां यह बताना जरूरी है कि ETV Bharat किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

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