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केजरीवाल सरकार का U-turn, मना करने के बाद रैपिड रेल के लिए जारी किया फंड

दिल्ली सरकार द्वारा फण्ड जारी किए जाने के बाद रैपिड रेल परियोजना को देखने वाले एनसीआर परिवहन निगम ने दिल्ली में डिजाइनिंग और मैपिंग का काम शुरू कर दिया है.

दिल्ली सरकार
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Published : Jun 12, 2019, 12:57 PM IST

Updated : Jun 12, 2019, 3:16 PM IST

नई दिल्ली: सराय काले खां से गाजियाबाद होते हुए मेरठ तक चलने वाली रैपिड रेल योजना पर दिल्ली सरकार द्वारा फण्ड जारी करने को लेकर जारी विवाद खत्म हो गया है.

32000 करोड़ रुपये होंगे खर्च
कुल 83 किलोमीटर लंबे रैपिड रेल प्रोजेक्ट को पूरा होने में तकरीबन 32000 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें से 13 किलोमीटर हिस्से का खर्च 1138 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार को वहन करना है.

Delhi Secretariat
दिल्ली सचिवालय

दिल्ली सरकार ने जारी की पहली किस्त
फण्ड देने में आनाकानी कर रही दिल्ली सरकार ने अब इसके लिए 265 करोड़ रुपये की पहली किस्त भी जारी कर दी है. दिल्ली सरकार द्वारा फण्ड जारी किए जाने के बाद रैपिड रेल परियोजना को देखने वाले एनसीआर परिवहन निगम ने दिल्ली में डिजाइनिंग और मैपिंग का काम शुरू कर दिया है. 4 से 5 माह में टेंडर भी निकाल दिए जाएंगे.

परियोजना में हुई सालभर की देरी
दिल्ली के सराय काले खां से गाजियाबाद होते हुए मेरठ तक चलने वाली कुल 83 किलोमीटर लंबे रैपिड रेल प्रोजेक्ट को पूरा होने में तकरीबन 32000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. जिसमें से 13 किलोमीटर हिस्से का खर्च 1138 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार को वहन करना था लेकिन दिल्ली सरकार ये फंड देने के लिए तैयार नहीं थी. इस वजह से योजना पर काम शुरू करने में करीब सालभर की देरी हो गई.

दिल्ली सरकार ने किया था मना
फरवरी माह में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शहरी विकास मंत्रालय को पत्र भेज साफ कहा था कि इस प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली सरकार अपने हिस्से की 1138 करोड़ रुपये की राशि देने में असमर्थ है. ऐसे में यह खर्च केंद्र सरकार उठाए.

कुछ शर्तों के साथ दिल्ली सरकार चाहती थी कि इस प्रोजेक्ट के पहले बड़े स्टेशन सराय काले खां को अंडरग्राउंड बनाया जाए, जबकि केंद्र सरकार का कहना था कि इससे लागत बढ़ जाएगी. अब ये अड़चन दूर हो गई है.

यात्रा में लगने वाला समय कम होगा
दिल्ली और एनसीआर के बीच की दूरी कम करने और सार्वजनिक परिवहन सेवा का एक और विकल्प देने के लिए रैपिड रेल प्रोजेक्ट को लेकर आम आदमी पार्टी शासित सरकार शुरू से दिलचस्पी नहीं दिखा रही थी, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार इस योजना को मंजूरी दे चुकी थी और अपने हिस्से का फंड देने के लिए भी तैयार थी.

6 साल में पूरी होगी परियोजना
इस प्रोजेक्ट का निर्माण हुआ तो दिल्ली मेरठ के बीच की दूरी तय करने में 62 मिनट लगेंगे. परियोजना 6 वर्षों में क्रियान्वित होगी. मार्च 2023 में मेरठ से साहिबाबाद तक के कॉरिडोर पर परिचालन शुरू हो जाएगा जबकि मार्च 2025 में यह पूरी कॉरिडोर बनकर तैयार हो जाएगा. दिल्ली में इसके तीन स्टेशन सराय काले खां, अशोकनगर और आनंद विहार होंगे.

इस मामले में बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता ने केजरीवाल सरकार की आलोचना में ट्विट किया है.

  • मेरठ-दिल्ली ट्रांसिट सिस्टम मामले मे
    31000 करोड़ ₹ के प्रोजेक्ट मे दिल्ली सरकार का हिस्सा 1100 करोड़ ₹,5 साल मे देने है
    लेकिन लिखा कि पैसा नही है।

    दुसरी शर्त
    सरायें काले खा पर भूतल स्टेशन बने,ख़र्च 4000 करोड़ ₹ और समय अधिक।

    चुनाव देख केजरीवाल का यू-टर्न,
    अब कोई शर्त नही !

    — Vijender Gupta (@Gupta_vijender) June 12, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

नई दिल्ली: सराय काले खां से गाजियाबाद होते हुए मेरठ तक चलने वाली रैपिड रेल योजना पर दिल्ली सरकार द्वारा फण्ड जारी करने को लेकर जारी विवाद खत्म हो गया है.

32000 करोड़ रुपये होंगे खर्च
कुल 83 किलोमीटर लंबे रैपिड रेल प्रोजेक्ट को पूरा होने में तकरीबन 32000 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें से 13 किलोमीटर हिस्से का खर्च 1138 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार को वहन करना है.

Delhi Secretariat
दिल्ली सचिवालय

दिल्ली सरकार ने जारी की पहली किस्त
फण्ड देने में आनाकानी कर रही दिल्ली सरकार ने अब इसके लिए 265 करोड़ रुपये की पहली किस्त भी जारी कर दी है. दिल्ली सरकार द्वारा फण्ड जारी किए जाने के बाद रैपिड रेल परियोजना को देखने वाले एनसीआर परिवहन निगम ने दिल्ली में डिजाइनिंग और मैपिंग का काम शुरू कर दिया है. 4 से 5 माह में टेंडर भी निकाल दिए जाएंगे.

परियोजना में हुई सालभर की देरी
दिल्ली के सराय काले खां से गाजियाबाद होते हुए मेरठ तक चलने वाली कुल 83 किलोमीटर लंबे रैपिड रेल प्रोजेक्ट को पूरा होने में तकरीबन 32000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. जिसमें से 13 किलोमीटर हिस्से का खर्च 1138 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार को वहन करना था लेकिन दिल्ली सरकार ये फंड देने के लिए तैयार नहीं थी. इस वजह से योजना पर काम शुरू करने में करीब सालभर की देरी हो गई.

दिल्ली सरकार ने किया था मना
फरवरी माह में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शहरी विकास मंत्रालय को पत्र भेज साफ कहा था कि इस प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली सरकार अपने हिस्से की 1138 करोड़ रुपये की राशि देने में असमर्थ है. ऐसे में यह खर्च केंद्र सरकार उठाए.

कुछ शर्तों के साथ दिल्ली सरकार चाहती थी कि इस प्रोजेक्ट के पहले बड़े स्टेशन सराय काले खां को अंडरग्राउंड बनाया जाए, जबकि केंद्र सरकार का कहना था कि इससे लागत बढ़ जाएगी. अब ये अड़चन दूर हो गई है.

यात्रा में लगने वाला समय कम होगा
दिल्ली और एनसीआर के बीच की दूरी कम करने और सार्वजनिक परिवहन सेवा का एक और विकल्प देने के लिए रैपिड रेल प्रोजेक्ट को लेकर आम आदमी पार्टी शासित सरकार शुरू से दिलचस्पी नहीं दिखा रही थी, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार इस योजना को मंजूरी दे चुकी थी और अपने हिस्से का फंड देने के लिए भी तैयार थी.

6 साल में पूरी होगी परियोजना
इस प्रोजेक्ट का निर्माण हुआ तो दिल्ली मेरठ के बीच की दूरी तय करने में 62 मिनट लगेंगे. परियोजना 6 वर्षों में क्रियान्वित होगी. मार्च 2023 में मेरठ से साहिबाबाद तक के कॉरिडोर पर परिचालन शुरू हो जाएगा जबकि मार्च 2025 में यह पूरी कॉरिडोर बनकर तैयार हो जाएगा. दिल्ली में इसके तीन स्टेशन सराय काले खां, अशोकनगर और आनंद विहार होंगे.

इस मामले में बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता ने केजरीवाल सरकार की आलोचना में ट्विट किया है.

  • मेरठ-दिल्ली ट्रांसिट सिस्टम मामले मे
    31000 करोड़ ₹ के प्रोजेक्ट मे दिल्ली सरकार का हिस्सा 1100 करोड़ ₹,5 साल मे देने है
    लेकिन लिखा कि पैसा नही है।

    दुसरी शर्त
    सरायें काले खा पर भूतल स्टेशन बने,ख़र्च 4000 करोड़ ₹ और समय अधिक।

    चुनाव देख केजरीवाल का यू-टर्न,
    अब कोई शर्त नही !

    — Vijender Gupta (@Gupta_vijender) June 12, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
Intro:नोट- प्रतीकात्मक विसुअल लगा लें।

- रैपिड रेल परियोजना को अब लगेंगे पंख

नई दिल्ली. दिल्ली के सराय काले खां से गाजियाबाद होते हुए मेरठ तक चलने वाली रैपिड रेल योजना पर निर्माण कार्य शुरू होने को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा फण्ड जारी करने को लेकर जारी विवाद खत्म हो गया है. कुल 83 किलोमीटर लंबे रैपिड रेल प्रोजेक्ट को पूरा होने में तकरीबन 32000 करोड़ रुपए खर्च होंगे. जिसमें से 13 किलोमीटर हिस्से का खर्च 1138 करोड़ रुपए दिल्ली सरकार को वहन करना है. फण्ड देने में आनाकानी कर रही दिल्ली सरकार ने अब इसके लिए 265 करोड़ रुपये की पहली किस्त भी जारी कर दी है.

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Body:दिल्ली सरकार द्वारा फण्ड जारी किए जाने के बाद रैपिड रेल परियोजना को देखने वाले एनसीआर परिवहन निगम ने दिल्ली में डिजाइनिंग और मैपिंग का काम शुरू कर दिया है 4 से 5 माह में टेंडर भी निकाल दिए जाएंगे

रैपिड रेल को लेकर लंबे समय से चल रहा था विवाद

दिल्ली के सराय काले खां से गाजियाबाद होते हुए मेरठ तक चलने वाली कुल 83 किलोमीटर लंबे रैपिड रेल प्रोजेक्ट को पूरा होने में तकरीबन 32000 करोड़ रुपए खर्च होंगे. जिसमें से 13 किलोमीटर हिस्से का खर्च 1138 करोड़ रुपए दिल्ली सरकार को वहन करना है लेकिन दिल्ली सरकार यह फंड देने के लिए तैयार नहीं थी. इस वजह से योजना पर काम शुरू करने में करीब सालभर की देरी हो गयी.

गत फरवरी माह में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शहरी विकास मंत्रालय को पत्र भेज साफ कहा था इस प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली सरकार के हिस्से की 1138 करोड़ रुपए की राशि देने में असमर्थ है. ऐसे में यह खर्च केंद्र सरकार उठाएं. उस वक्त भी सैद्धांतिक तौर पर सहमति दे दी गई थी. लेकिन कुछ शर्तों के साथ दिल्ली सरकार चाहती थी कि इस प्रोजेक्ट के पहले बड़े स्टेशन सराय काले खां को अंडरग्राउंड बनाया जाए. जबकि केंद्र सरकार का कहना है कि इससे लागत बढ़ जाएगी. अब यह अड़चन दूर हो गयी है.

दिल्ली से मेरठ जाने में लगेंगे कुल 62 मिनट

दिल्ली और एनसीआर के बीच की दूरी कम करने तथा सार्वजनिक परिवहन सेवा का एक और विकल्प देने के लिए रैपिड रेल प्रोजेक्ट को लेकर आम आदमी पार्टी शासित सरकार शुरू से दिलचस्पी नहीं दिखा रही थी. जबकि उत्तर प्रदेश सरकार इस योजना को मंजूरी दे चुकी है और अपने हिस्से का फंड देने के लिए भी तैयार है. इस प्रोजेक्ट का निर्माण हुआ तो दिल्ली मेरठ के बीच की दूरी तय करने में 62 मिनट लगेंगे. परियोजना 6 वर्षों में क्रियान्वित होगी. मार्च 2023 में मेरठ से साहिबाबाद तक के कॉरिडोर पर परिचालन शुरू हो जाएगा जबकि मार्च 2025 में यह पूरी कॉरिडोर बनकर तैयार हो जाएगा. दिल्ली में इसके तीन स्टेशन सराय काले खां, अशोकनगर और आनंद विहार होंगे.

समाप्त, आशुतोष झा


Conclusion:
Last Updated : Jun 12, 2019, 3:16 PM IST
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