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बर्लिन हार्ट के साथ पांच महीने तक जीवित रहने वाली बच्ची का डॉक्टरों ने किया सफल हृदय प्रत्यारोपण

दिल्ली के अस्पताल में संयुक्त अरब अमीरात से आई दो साल की बच्ची को नई जिंदगी दी है. दो वर्षीय मासूम कार्डियोमायोपैथी की बीमारी से ग्रसित थी, जो मार्च 2023 में नई दिल्ली आई थी.

doctors perform heart transplant on two year old
doctors perform heart transplant on two year old
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 1, 2023, 3:20 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली के अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की एक दो वर्षीय बच्ची का जीवनरक्षक हृदय प्रत्यारोपण कर उसको एक नई जिंदगी दी है. डॉक्टरों के अनुसार, दो वर्षीय मासूम कार्डियोमायोपैथी की बीमारी से ग्रसित थी. ये हृदय की मांसपेशियों की बीमारी है जो हृदय के लिए शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त पंप करना कठिन बना देती है और जिससे हार्ट फेल जैसी गंभीर समस्या होती है.

बच्ची को मार्च 2023 में अपोलो अस्पताल लाया गया : बच्ची को मार्च 2023 में अपोलो अस्पताल लाया गया. उसे बर्लिन हार्ट यानी कृत्रिम हृदय नामक एक विशेष उपकरण प्रत्यारोपित किया गया.जिसके बाद बीते 29 जुलाई को उसकी हालत में सुधार हुआ. वह बर्लिन हार्ट के साथ पांच महीने तक जीवित रहने वाली और भारत में ट्रांसप्लांट कराने वाली एकमात्र मरीज है. कृत्रिम हृदय के सहारे जिंदा रहने के बाद बच्ची में असली हृदय ट्रांसप्लांट किया गया.

अपोलो अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग का कमाल : अपोलो अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. भबानंद दास और बाल चिकित्सा और सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. जोथी मुथु, कार्डियोथोरेसिक, हृदय और फेफड़े प्रत्यारोपण सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. मुकेश गोयल और कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. ए. के. गंजू की टीम के साथ साथ एनेस्थीसिया टीम ने हृदय प्रत्यारोपण सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया.

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राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) की अहम भूमिका : डॉक्टरों ने बताया कि राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) की ओर से समय पर सूचना मिलने और मुंबई के बाई जेरबाई वाडिया अस्पताल के सहयोग से यह कामयाबी हासिल हो पाई है. कुछ सप्ताह पहले रोगी को एक और स्ट्रोक हुआ, जिसके चलते डॉक्टरों ने उसके लिए एक उपयुक्त दिल की तलाश शुरू की. अस्पताल ने नोटो के अधिकारियों से इसी साल मार्च में हृदय आवंटित करने का अनुरोध किया. तब से डॉक्टरों की टीम सूचना की प्रतिक्षा कर रही थी.

एक पांच वर्षीय ब्रेन डेड मरीज का लगाया गया हार्ट: अधिक समय निकलने के बाद हृदय प्रत्यारोपण की तत्काल आवश्यकता को देखते हुए डॉक्टरों ने नोटो से फिर अनुरोध किया गया. इसके बाद अपोलो अस्पताल ने मुंबई में बाई जेरबाई वाडिया हॉस्पिटल फॉर चिल्ड्रन में एक पांच वर्षीय ब्रेन डेड मरीज का हृदय बच्ची को आवंटित किया गया. यह बच्ची ऊंचाई से गिरने के कारण ब्रेन डेड हो गई थी.

मुंबई से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर लाया गया हार्ट : हृदय को सफलतापूर्वक निकाल कर मुंबई यातायात पुलिस के सहयोग से बने ग्रीन कारिडोर की वजह से डॉक्टरों की टीम समय रहते दिल्ली लेकर आई. इसके बाद दो दिन पहले बच्ची का सफलता पूर्वक हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया. डॉ. भबानंद दास ने कहा कि बच्ची अब ठीक है. उसे दो सप्ताह बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी. हमारी टीम के समर्पण और नोटो व बाई जेरबाई वाडिया अस्पताल के सहयोग ने हमारी आशा को वास्तविकता में बदला है.

डॉक्टरों की टीम आॉपरेशन कर बेहद संतुष्ट: डॉ. मुकेश गोयल ने कहा कि हृदय प्रत्यारोपण सर्जरी को सफलतापूर्वक करने से हम बेहद खुश हैं. बच्ची पांच महीने तक भर्ती रहने के बाद असाध्य कार्डियोजेनिक शॉक और सेप्टीसीमिया से जूझती रही. हमारी टीम का समर्पण तब स्पष्ट हो गया जब 29 नबंवर को हमने बर्लिन हार्ट को प्रत्यारोपित किया, जो एक ऐतिहासिक क्षण था और 2 साल की मासूम अब समान्य जिंदगी जी पाएगी.

ये भी पढें :चीन में फैल रही बीमारी को लेकर दिल्ली में तैयारी, दो अस्पतालों में मल्टीप्लेक्स पीसीआर की जांच की होगी सुविधा

नई दिल्ली : दिल्ली के अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की एक दो वर्षीय बच्ची का जीवनरक्षक हृदय प्रत्यारोपण कर उसको एक नई जिंदगी दी है. डॉक्टरों के अनुसार, दो वर्षीय मासूम कार्डियोमायोपैथी की बीमारी से ग्रसित थी. ये हृदय की मांसपेशियों की बीमारी है जो हृदय के लिए शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त पंप करना कठिन बना देती है और जिससे हार्ट फेल जैसी गंभीर समस्या होती है.

बच्ची को मार्च 2023 में अपोलो अस्पताल लाया गया : बच्ची को मार्च 2023 में अपोलो अस्पताल लाया गया. उसे बर्लिन हार्ट यानी कृत्रिम हृदय नामक एक विशेष उपकरण प्रत्यारोपित किया गया.जिसके बाद बीते 29 जुलाई को उसकी हालत में सुधार हुआ. वह बर्लिन हार्ट के साथ पांच महीने तक जीवित रहने वाली और भारत में ट्रांसप्लांट कराने वाली एकमात्र मरीज है. कृत्रिम हृदय के सहारे जिंदा रहने के बाद बच्ची में असली हृदय ट्रांसप्लांट किया गया.

अपोलो अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग का कमाल : अपोलो अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. भबानंद दास और बाल चिकित्सा और सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. जोथी मुथु, कार्डियोथोरेसिक, हृदय और फेफड़े प्रत्यारोपण सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. मुकेश गोयल और कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. ए. के. गंजू की टीम के साथ साथ एनेस्थीसिया टीम ने हृदय प्रत्यारोपण सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया.

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राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) की अहम भूमिका : डॉक्टरों ने बताया कि राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) की ओर से समय पर सूचना मिलने और मुंबई के बाई जेरबाई वाडिया अस्पताल के सहयोग से यह कामयाबी हासिल हो पाई है. कुछ सप्ताह पहले रोगी को एक और स्ट्रोक हुआ, जिसके चलते डॉक्टरों ने उसके लिए एक उपयुक्त दिल की तलाश शुरू की. अस्पताल ने नोटो के अधिकारियों से इसी साल मार्च में हृदय आवंटित करने का अनुरोध किया. तब से डॉक्टरों की टीम सूचना की प्रतिक्षा कर रही थी.

एक पांच वर्षीय ब्रेन डेड मरीज का लगाया गया हार्ट: अधिक समय निकलने के बाद हृदय प्रत्यारोपण की तत्काल आवश्यकता को देखते हुए डॉक्टरों ने नोटो से फिर अनुरोध किया गया. इसके बाद अपोलो अस्पताल ने मुंबई में बाई जेरबाई वाडिया हॉस्पिटल फॉर चिल्ड्रन में एक पांच वर्षीय ब्रेन डेड मरीज का हृदय बच्ची को आवंटित किया गया. यह बच्ची ऊंचाई से गिरने के कारण ब्रेन डेड हो गई थी.

मुंबई से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर लाया गया हार्ट : हृदय को सफलतापूर्वक निकाल कर मुंबई यातायात पुलिस के सहयोग से बने ग्रीन कारिडोर की वजह से डॉक्टरों की टीम समय रहते दिल्ली लेकर आई. इसके बाद दो दिन पहले बच्ची का सफलता पूर्वक हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया. डॉ. भबानंद दास ने कहा कि बच्ची अब ठीक है. उसे दो सप्ताह बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी. हमारी टीम के समर्पण और नोटो व बाई जेरबाई वाडिया अस्पताल के सहयोग ने हमारी आशा को वास्तविकता में बदला है.

डॉक्टरों की टीम आॉपरेशन कर बेहद संतुष्ट: डॉ. मुकेश गोयल ने कहा कि हृदय प्रत्यारोपण सर्जरी को सफलतापूर्वक करने से हम बेहद खुश हैं. बच्ची पांच महीने तक भर्ती रहने के बाद असाध्य कार्डियोजेनिक शॉक और सेप्टीसीमिया से जूझती रही. हमारी टीम का समर्पण तब स्पष्ट हो गया जब 29 नबंवर को हमने बर्लिन हार्ट को प्रत्यारोपित किया, जो एक ऐतिहासिक क्षण था और 2 साल की मासूम अब समान्य जिंदगी जी पाएगी.

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