नई दिल्ली: मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पटपड़गंज के डाक्टरों ने तीन तकनीकों के साथ आधुनिक मिनिमल हार्ट इनवेसिव तकनीक के जरिए एक मरीज को नया जीवन दिया है. जानकारी के अनुसार मरीज को जबरदस्त हार्ट अटैक आया था. इसके साथ ही मरीज अडवान्सड किडनी रोग, निमोनिया, एनीमिया, अनियंत्रित डायबिटीज से भी पीड़ित था. ऐसे में मरीज का इलाज करना बेहद मुश्किल था. मरीज के हाथ की आर्टरी के जरिए यह प्रक्रिया की गई, उस दौरान वह जगा हुआ था.
अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉक्टर पवन कुमार शर्मा ने बताया कि जिस समय मरीज को अस्पताल लाया गया था. उस समय उन्हें छाती में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. मरीज का किडनी फंक्शन भी ठीक नहीं था. जांच करने पर पता चला कि मरीज को गंभीर हार्ट अटैक आया है, जिसकी वजह से हार्ट फेलियर हो गया था. ईको में पता चला कि उनका दिल सिर्फ 30 फीसदी क्षमता के साथ ही पम्प कर रहा था. इसके बाद एंजियोग्राफी की गई, जिसमें पता चला कि मरीज की बाईं मेन डीएस और मेन एलएडी आर्टरी में 95 फीसदी ब्लॉकेज (स्टेनोसिस) है. उनकी मुख्य आटरीज में बहुत ज़्यादा कैल्शियम जमा था और दाईं आर्टरी भी काम नहीं कर रहा था.
इन आधुनिक तकनीकों के जरिए हुआ ईलाज: मरीज की उम्र (79) एवं अन्य बीमारियों को देखते हुए डॉ पवन शर्मा ने तीन आधुनिक तकनीकों को एक साथ अपनाने का फैसला लिया, ताकि मरीज की जान बचाया जा सकें. इसमें इम्पेला हार्ट पम्प (दुनिया का सबसे छोटा आर्टिफिशियल हार्ट सपोर्ट, डेंस कैल्शियम कटिंग के साथ), ऑर्बिटल आर्टेक्टोमी बैलून (हार्ट की आर्टरी के कैल्शियम को छोटे हिस्सों में काट देता है, जो सर्कुलेशन के साथ बाहर आ जाते हैं और स्टेंटिंग की जा सकती है) और इंट्रावैस्कुलर अल्ट्रासाउंड (आईवीयूएस-बैलून कैमरा जो हार्ट की आर्टरी में देख सकता है) का उपयोग किया गया.
भारत में पहली बार अपनाई गई ये तकनीक: डॉ पवन कुमार शर्मा ने दावा किया कि तीनों आधुनिक तकनीक का यह संयोजन भारत में पहली बार इस्तेमाल किया गया है. इस तकनीक का उपयोग चुनिंदा मामलों में सीएबीजी ओपन बायपास के विकल्प के रूप में किया जा सकता है. इस मामले में मरीज के कई अंग ठीक से फंक्शन नहीं कर रहे थे. मरीज हार्ट फेलियर, हार्ट अटैक, किडनी फेलियर, निमोनिया, एनीमिया, तथा बाई मेन आर्टरी में गंभीर एवं जटिल ब्लॉकेज से पीड़ित था. इस प्रक्रिया का फायदा यह है कि मरीज के जागते समय ही पूरी प्रक्रिया हो जाती है. इसमें किसी तरह का चीरा लगाने या एनेस्थीसिया देने की जरूरत नहीं होती है. प्रक्रिया हाथ की आर्टरी से की जाती है, इसलिए मरीज प्रक्रिया के तुरंत बाद भी चल-फिर सकता है.
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