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दिल्ली जल बोर्ड ने ऐतिहासिक धरोहर को ध्वस्त कर बनवा दिया आलीशान बंगला, तत्कालीन CEO को नोटिस

पुरातत्व विभाग ने 2021 में जिसे ऐतिहासिक धरोहर घोषित कर रखा था, उसी को ध्वस्त करके दिल्ली जल बोर्ड ने अपने CEO के लिए आलीशान बंगला बना दिया है. इस मामले को लेकर बुधवार को सतर्कता विभाग ने दिल्ली जल बोर्ड के तत्कालीन सीईओ को स्मारक को ध्वस्त करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

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Published : Apr 27, 2023, 5:04 PM IST

Updated : Apr 27, 2023, 7:40 PM IST

नई दिल्ली: पुरातत्व विभाग ने जिसे ऐतिहासिक धरोहर घोषित कर रखा था, दिल्ली जल बोर्ड ने उसे ध्वस्त करके उसकी जगह अपने सीईओ के लिए आलीशान बंगला बना दिया. जनवरी 2021 में दिल्ली जल बोर्ड के लाजपत नगर स्थित परिसर में 15वीं शताब्दी के एक स्मारक का दौरा करने के बाद पुरातत्व विभाग ने जल बोर्ड को पत्र लिखकर इस स्मारक के लिए एक प्रवेश द्वार देने की मांग की थी. लेकिन जनवरी 2023 में जब एएसआई के अधिकारी फिर से साइट पर पहुंचे तो देखा कि ऐतिहासिक धरोहर की जगह एक आलीशान बंगला बना हुआ है.

बताया गया कि यह बंगला जल बोर्ड के सीईओ का सरकारी आवास है. इस मामले को लेकर बुधवार को सतर्कता विभाग ने दिल्ली जल बोर्ड के तत्कालीन सीईओ 2007 बैच के आईएएस अधिकारी उदित प्रकाश राय को स्मारक को कथित रूप से ध्वस्त करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इस धरोहर को 1418 में सैय्यद वंश के शासन में बनवाया गया था. इसका उल्लेख एएसआई की मुसलमानों और हिंदू स्मारकों की सूची में महल के रूप में दर्ज है. यह ईंट और लाल बलुआ पत्थर से बना था.

सतर्कता विभाग ने कारण बताओ नोटिस में कहा है कि जल बोर्ड परिसर में ही था. अब उसकी जगह पर नया बंगला बना है. बंगले को 700 वर्गमीटर में बनया गया है. जबकि टाइप 8 क्वार्टर के लिए सिर्फ 403 वर्गमीटर की जगह निर्धारित है. जबकि जल बोर्ड के तत्कालीन सीईओ उदित प्रकाश राय टाइप 5 आवास के हकदार थे. नोटिस के मुताबिक, प्रोजेक्ट पर करीब 4 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. पुरातत्व विभाग दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति और भाषा विभाग के अंतर्गत आता है. विभाग स्थानीय महत्व के प्राचीन स्मारकों की रक्षा और संरक्षण के लिए उत्तरदायी है.

इसे भी पढ़ें: Parents Teachers Meeting: 30 अप्रैल को मेगा पीटीएम का आयोजन, शिक्षक ही कर रहे विरोध, जानें वजह

पुरातत्व विभाग और जल बोर्ड के अधिकारियों ने इस साल जनवरी में एक संयुक्त निरीक्षण के बाद रिपोर्ट पेश की थी. इसमें कहा गया था कि दिसंबर 2020 में विभाग के अधिकारियों को यहां दो संरचनाएं मिलीं. इनमें से एक प्रवेश द्वार और दूसरा उक्त महल का मुख्य भवन था. जनवरी 2023 के निरीक्षण दल ने पाया कि साइट पर केवल एक संरचना यानी गेटवे ही बचा है. सतर्कता विभाग ने अपने नोटिस में कहा है कि जल बोर्ड के इंजीनियरों ने तत्कालीन सीईओ उदित प्रकाश राय के निर्देश पर ऐतिहासिक धरोहर को ध्वस्त किया है. राय को यह तथ्य पता था कि एक ऐतिहासिक स्मारक है. राय को दो सप्ताह में नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है.

बीजेपी ने की जांच की मांग

इस पूरे मामले में दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच के आदेश देने का अनुरोध किया है. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने कहा है कि 600 मीटर के बंगले को बनाने में सामान्य तौर पर करीब रुपए 15 करोड़ का खर्च आता है. आश्चर्य की बात है कि यह बजट कैसे स्वीकृत हुआ और तत्कालीन सीईओ उदित प्रकाश और उनके तत्कालीन प्रभारी मंत्री सत्येंद्र जैन की निर्माण राशि स्वीकृत करने में भूमिका की जांच की जानी चाहिए.

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नई दिल्ली: पुरातत्व विभाग ने जिसे ऐतिहासिक धरोहर घोषित कर रखा था, दिल्ली जल बोर्ड ने उसे ध्वस्त करके उसकी जगह अपने सीईओ के लिए आलीशान बंगला बना दिया. जनवरी 2021 में दिल्ली जल बोर्ड के लाजपत नगर स्थित परिसर में 15वीं शताब्दी के एक स्मारक का दौरा करने के बाद पुरातत्व विभाग ने जल बोर्ड को पत्र लिखकर इस स्मारक के लिए एक प्रवेश द्वार देने की मांग की थी. लेकिन जनवरी 2023 में जब एएसआई के अधिकारी फिर से साइट पर पहुंचे तो देखा कि ऐतिहासिक धरोहर की जगह एक आलीशान बंगला बना हुआ है.

बताया गया कि यह बंगला जल बोर्ड के सीईओ का सरकारी आवास है. इस मामले को लेकर बुधवार को सतर्कता विभाग ने दिल्ली जल बोर्ड के तत्कालीन सीईओ 2007 बैच के आईएएस अधिकारी उदित प्रकाश राय को स्मारक को कथित रूप से ध्वस्त करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इस धरोहर को 1418 में सैय्यद वंश के शासन में बनवाया गया था. इसका उल्लेख एएसआई की मुसलमानों और हिंदू स्मारकों की सूची में महल के रूप में दर्ज है. यह ईंट और लाल बलुआ पत्थर से बना था.

सतर्कता विभाग ने कारण बताओ नोटिस में कहा है कि जल बोर्ड परिसर में ही था. अब उसकी जगह पर नया बंगला बना है. बंगले को 700 वर्गमीटर में बनया गया है. जबकि टाइप 8 क्वार्टर के लिए सिर्फ 403 वर्गमीटर की जगह निर्धारित है. जबकि जल बोर्ड के तत्कालीन सीईओ उदित प्रकाश राय टाइप 5 आवास के हकदार थे. नोटिस के मुताबिक, प्रोजेक्ट पर करीब 4 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. पुरातत्व विभाग दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति और भाषा विभाग के अंतर्गत आता है. विभाग स्थानीय महत्व के प्राचीन स्मारकों की रक्षा और संरक्षण के लिए उत्तरदायी है.

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पुरातत्व विभाग और जल बोर्ड के अधिकारियों ने इस साल जनवरी में एक संयुक्त निरीक्षण के बाद रिपोर्ट पेश की थी. इसमें कहा गया था कि दिसंबर 2020 में विभाग के अधिकारियों को यहां दो संरचनाएं मिलीं. इनमें से एक प्रवेश द्वार और दूसरा उक्त महल का मुख्य भवन था. जनवरी 2023 के निरीक्षण दल ने पाया कि साइट पर केवल एक संरचना यानी गेटवे ही बचा है. सतर्कता विभाग ने अपने नोटिस में कहा है कि जल बोर्ड के इंजीनियरों ने तत्कालीन सीईओ उदित प्रकाश राय के निर्देश पर ऐतिहासिक धरोहर को ध्वस्त किया है. राय को यह तथ्य पता था कि एक ऐतिहासिक स्मारक है. राय को दो सप्ताह में नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है.

बीजेपी ने की जांच की मांग

इस पूरे मामले में दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच के आदेश देने का अनुरोध किया है. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने कहा है कि 600 मीटर के बंगले को बनाने में सामान्य तौर पर करीब रुपए 15 करोड़ का खर्च आता है. आश्चर्य की बात है कि यह बजट कैसे स्वीकृत हुआ और तत्कालीन सीईओ उदित प्रकाश और उनके तत्कालीन प्रभारी मंत्री सत्येंद्र जैन की निर्माण राशि स्वीकृत करने में भूमिका की जांच की जानी चाहिए.

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Last Updated : Apr 27, 2023, 7:40 PM IST
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