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दिल्ली हाईकोर्ट ने इंटरसेक्स शिशुओं पर लिंग चयनात्मक सर्जरी के लिए मसौदा नीति की स्थिति पर सरकार से मांगी रिपोर्ट

इंटरसेक्स शिशुओं और बच्चों पर लिंग-चयनात्मक सर्जरी से संबंधित मसौदा नीति पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार से अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है. सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने वे दिल्ली सरकार के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी करने के नहीं हैं.

Delhi Commission for Protection of Child Rights
Delhi Commission for Protection of Child Rights
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 13, 2023, 10:55 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने इंटरसेक्स शिशुओं और बच्चों पर लिंग-चयनात्मक (बच्चों का लिंग बदलने के लिए) सर्जरी से संबंधित मसौदा नीति की स्थिति के संबंध में दिल्ली सरकार से नवीनतम रिपोर्ट मांगी है. गैर-सरकारी वित्त पोषित ट्रस्ट सृष्टि मदुरै एजुकेशनल रिसर्च फाउंडेशन द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) में सरकार से दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) की सिफारिशों को लागू करने और इस पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने की मांग की गई है.

अदालत को सूचित किया गया कि ऐसी नीति का मसौदा तैयार करने के लिए स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) द्वारा मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) के डीन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है. अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि अदालत के निर्देशों के बावजूद प्रतिवादियों ने कोई कार्रवाई नहीं की. याचिका में अदालत के 27 सितंबर, 2022 के आदेश का अनुपालन न करने का आरोप लगाया गया है. उस आदेश में, लिंग-चयनात्मक सर्जरी के संबंध में डीसीपीसीआर द्वारा दी गई सिफारिशों पर उचित निर्णय लेने के लिए राज्य को आठ सप्ताह का समय दिया गया था.

यह भी पढ़ें-रेप के आरोपी आध्यात्मिक उपदेशक वीरेंद्र देव दीक्षित का बैंक खाता हो सकता है फ्रीज, दिल्ली हाईकोर्ट ने दी मंजूरी

न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि मैं अवमानना नोटिस जारी करने का इच्छुक नहीं हूं. प्रतिवादी (दिल्ली सरकार) को मसौदा नीति की स्थिति का संकेत देने वाली अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए मामले को आठ सप्ताह के बाद सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. प्राथमिक याचिका में डीसीपीसीआर ने सिफारिश की थी कि दिल्ली सरकार जीवन-घातक स्थितियों को छोड़कर, इंटरसेक्स शिशुओं और बच्चों पर चिकित्सकीय रूप से अनावश्यक लिंग-चयनात्मक सर्जरी पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करे.

यह भी पढ़ें-Delhi High Court: कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की जमानत याचिका पर सुनवाई 22 सितंबर तक टली

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने इंटरसेक्स शिशुओं और बच्चों पर लिंग-चयनात्मक (बच्चों का लिंग बदलने के लिए) सर्जरी से संबंधित मसौदा नीति की स्थिति के संबंध में दिल्ली सरकार से नवीनतम रिपोर्ट मांगी है. गैर-सरकारी वित्त पोषित ट्रस्ट सृष्टि मदुरै एजुकेशनल रिसर्च फाउंडेशन द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) में सरकार से दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) की सिफारिशों को लागू करने और इस पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने की मांग की गई है.

अदालत को सूचित किया गया कि ऐसी नीति का मसौदा तैयार करने के लिए स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) द्वारा मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) के डीन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है. अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि अदालत के निर्देशों के बावजूद प्रतिवादियों ने कोई कार्रवाई नहीं की. याचिका में अदालत के 27 सितंबर, 2022 के आदेश का अनुपालन न करने का आरोप लगाया गया है. उस आदेश में, लिंग-चयनात्मक सर्जरी के संबंध में डीसीपीसीआर द्वारा दी गई सिफारिशों पर उचित निर्णय लेने के लिए राज्य को आठ सप्ताह का समय दिया गया था.

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न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि मैं अवमानना नोटिस जारी करने का इच्छुक नहीं हूं. प्रतिवादी (दिल्ली सरकार) को मसौदा नीति की स्थिति का संकेत देने वाली अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए मामले को आठ सप्ताह के बाद सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. प्राथमिक याचिका में डीसीपीसीआर ने सिफारिश की थी कि दिल्ली सरकार जीवन-घातक स्थितियों को छोड़कर, इंटरसेक्स शिशुओं और बच्चों पर चिकित्सकीय रूप से अनावश्यक लिंग-चयनात्मक सर्जरी पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करे.

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