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फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित - former promoter of Fortis Healthcare

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर और रैनबैक्सी कंपनी के पूर्व प्रमोटर शिवेंद्र सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.

delhi high court
दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Jul 16, 2020, 8:11 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर और रैनबैक्सी कंपनी के पूर्व प्रमोटर शिवेंद्र सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस अनूप जयराम भांभानी ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.

फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित
अभियोजन दर्ज कर चुका है शिकायत

पिछले 22 जून को कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी किया था. शिवेंद्र सिंह की ओर से वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने कहा कि ईडी ने इस मामले में अभियोजन शिकायत दर्ज कर चुका है, इसलिए शिवेंद्र सिंह तो जेल में रखने का कोई मतलब नहीं बनता है. इस मामले में आरोपी के खिलाफ साक्ष्य दस्तावेजी हैं, इसलिए गवाहों को प्रभावित करने या साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने की कोई गुंजाइश नहीं है.


'पैसे का ट्रांजेक्शन जटिल तरीके से किया गया'

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईडी के वकील अमित महाजन से पूछा कि आरोपी को जेल में रखने की जरुरत क्यों है. तब अमित महाजन ने कहा कि इस मामले में पैसे का ट्रांजेक्शन जटिल तरीके से किया गया है और पैसे कहां-कहां और कैसे-कैसे गया, इसका पता लगाना मुश्किल काम है. उन्होंने कहा कि अगर शिवेंद्र सिंह को जमानत दी गई तो जांच पर असर पड़ सकता है.


ट्रायल कोर्ट खारिज कर चुका है जमानत

पिछले 17 जून को साकेत कोर्ट ने शिवेंद्र सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दिया था. साकेत कोर्ट ने कहा था कि आरोपी के खिलाफ आर्थिक अपराध की साजिश रचने के गंभीर आरोप हैं. कोर्ट ने कहा था कि आरोपी ने अनसिक्योर्ड लोन लिया और विभिन्न कंपनियों में ट्रांसफर किया. कोर्ट ने कहा था कि आरोपी इतना शातिर है कि उसने एक फोन की तस्करी की थी जिसे ईडी में हिरासत के दौरान जब्त किया गया था. सुनवाई के दौरान शिवेंद्र सिंह की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए ईडी ने कहा था कि घर से खाना मंगाकर खाने और अपने परिवार के सदस्यों से मिलने की छूट का लाभ उठाते हुए उसने अपने ड्राईवर से फोन मंगवाया. इस फोन से वह वाशरुम में लोगों बात करता था. इस तरह के शातिर अपराधी को अगर जमानत पर छोड़ा गया तो वो साक्ष्यों से छेड़छाड़ करेगा और गवाहों को प्रभावित करेगा.



आरईएल के साथ धोखाधड़ी का मामला

ईडी ने कहा था कि रेलिगेयर एंटरप्राईजेज लिमिटेड (आरईएल) के साथ धोखाधड़ी की गई. रेलिगेयर कंपनी में रहते हुए शिवेंद्र सिंह ने बैंकों से 2300 करोड़ रुपये का कर्ज लिया और उस पैसे को गलत तरीके से अपनी सहायक कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया और बैंक का कर्ज जानबूझकर नहीं चुकाया. इस मामले में शिवेंद्र समेत आरोपियों को ईओडब्ल्यू ने 10 अक्टूबर 2019 को गिरफ्तार किया था. शिवेंद्र के अलावा इस मामले में मलविंदर सिंह, सुनील गोधवानी, कवि अरोड़ा और अनिल सक्सेना को गिरफ्तार किया गया था. हाईकोर्ट ने पिछले 18 जून को अनिल सक्सेना को नियमित जमानत दे दिया था.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर और रैनबैक्सी कंपनी के पूर्व प्रमोटर शिवेंद्र सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस अनूप जयराम भांभानी ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.

फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित
अभियोजन दर्ज कर चुका है शिकायत

पिछले 22 जून को कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी किया था. शिवेंद्र सिंह की ओर से वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने कहा कि ईडी ने इस मामले में अभियोजन शिकायत दर्ज कर चुका है, इसलिए शिवेंद्र सिंह तो जेल में रखने का कोई मतलब नहीं बनता है. इस मामले में आरोपी के खिलाफ साक्ष्य दस्तावेजी हैं, इसलिए गवाहों को प्रभावित करने या साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने की कोई गुंजाइश नहीं है.


'पैसे का ट्रांजेक्शन जटिल तरीके से किया गया'

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईडी के वकील अमित महाजन से पूछा कि आरोपी को जेल में रखने की जरुरत क्यों है. तब अमित महाजन ने कहा कि इस मामले में पैसे का ट्रांजेक्शन जटिल तरीके से किया गया है और पैसे कहां-कहां और कैसे-कैसे गया, इसका पता लगाना मुश्किल काम है. उन्होंने कहा कि अगर शिवेंद्र सिंह को जमानत दी गई तो जांच पर असर पड़ सकता है.


ट्रायल कोर्ट खारिज कर चुका है जमानत

पिछले 17 जून को साकेत कोर्ट ने शिवेंद्र सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दिया था. साकेत कोर्ट ने कहा था कि आरोपी के खिलाफ आर्थिक अपराध की साजिश रचने के गंभीर आरोप हैं. कोर्ट ने कहा था कि आरोपी ने अनसिक्योर्ड लोन लिया और विभिन्न कंपनियों में ट्रांसफर किया. कोर्ट ने कहा था कि आरोपी इतना शातिर है कि उसने एक फोन की तस्करी की थी जिसे ईडी में हिरासत के दौरान जब्त किया गया था. सुनवाई के दौरान शिवेंद्र सिंह की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए ईडी ने कहा था कि घर से खाना मंगाकर खाने और अपने परिवार के सदस्यों से मिलने की छूट का लाभ उठाते हुए उसने अपने ड्राईवर से फोन मंगवाया. इस फोन से वह वाशरुम में लोगों बात करता था. इस तरह के शातिर अपराधी को अगर जमानत पर छोड़ा गया तो वो साक्ष्यों से छेड़छाड़ करेगा और गवाहों को प्रभावित करेगा.



आरईएल के साथ धोखाधड़ी का मामला

ईडी ने कहा था कि रेलिगेयर एंटरप्राईजेज लिमिटेड (आरईएल) के साथ धोखाधड़ी की गई. रेलिगेयर कंपनी में रहते हुए शिवेंद्र सिंह ने बैंकों से 2300 करोड़ रुपये का कर्ज लिया और उस पैसे को गलत तरीके से अपनी सहायक कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया और बैंक का कर्ज जानबूझकर नहीं चुकाया. इस मामले में शिवेंद्र समेत आरोपियों को ईओडब्ल्यू ने 10 अक्टूबर 2019 को गिरफ्तार किया था. शिवेंद्र के अलावा इस मामले में मलविंदर सिंह, सुनील गोधवानी, कवि अरोड़ा और अनिल सक्सेना को गिरफ्तार किया गया था. हाईकोर्ट ने पिछले 18 जून को अनिल सक्सेना को नियमित जमानत दे दिया था.

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