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Tis Hazari violence case: दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएचसीबीए के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला सहित 12 वकीलों को किया बरी

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Published : Jul 28, 2023, 4:16 PM IST

तीस हजारी कोर्ट 2006 हिंसा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएचसीबीए के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला सहित 12 वकीलों को बरी कर दिया है.

दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने 2006 में तीस हजारी कोर्ट में हुई हिंसा और तोड़फोड़ से संबंधित मामले में दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला सहित करीब 12 वकीलों को आरोपमुक्त कर दिया. साथ ही दिल्ली बार एसोसिएशन (डीबीए) के पूर्व अध्यक्ष संजीव नासियार को भी बरी कर दिया है. इन सभी पर कोर्ट की आपराधिक अवमानना का मुकदमा पंजीकृत हुआ था.

बता दें, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल, न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर और न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता की पीठ ने 14 अक्टूबर, 2022 को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो आज सुनाया गया.

क्या है पूरा मामला: 2006 में घटना के समय वकील कुछ अदालतों को तीस हजारी से रोहिणी स्थानांतरित करने के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे. तभी विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप धारण कर लिया. प्रदर्शनकारी वकीलों ने दो दर्जन से अधिक अदालत कक्षों में कुर्सियां फेंकी, कंप्यूटर तोड़ दिए और अदालती रिकॉर्ड को भी काफी नुकसान पहुंचाया. दिल्ली हाईकोर्ट की एक पूर्ण अदालत ने तत्कालीन जिला न्यायाधीश एसएन ढींगरा द्वारा दायर रिपोर्ट पर ध्यान दिया और दोषी वकीलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया.

25 वकीलों पर था अवमानना का आरोप: न्यायालय ने तीस हजारी हिंसा मामले पर संज्ञान लिया और अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू की गई. मामले में कुल 25 वकीलों को कथित अवमाननाकर्ता के रूप में आरोपित किया गया था. हालांकि, उनमें से 13 को अदालत के द्वारा पहले ही आरोप मुक्त कर दिया गया था. बाकी बचे वकीलों को आज आरोपमुक्त किया गया है.

ये भी पढ़ें: 1984 Anti Sikh Riots: कोर्ट ने जगदीश टाइटलर को भेजा समन, 5 अगस्त को कोर्ट में पेश होंगे

ये भी पढ़ें: Delhi Riots Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपी पूर्व आप पार्षद ताहिर हुसैन को पांच मामलों में जमानत दी

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने 2006 में तीस हजारी कोर्ट में हुई हिंसा और तोड़फोड़ से संबंधित मामले में दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला सहित करीब 12 वकीलों को आरोपमुक्त कर दिया. साथ ही दिल्ली बार एसोसिएशन (डीबीए) के पूर्व अध्यक्ष संजीव नासियार को भी बरी कर दिया है. इन सभी पर कोर्ट की आपराधिक अवमानना का मुकदमा पंजीकृत हुआ था.

बता दें, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल, न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर और न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता की पीठ ने 14 अक्टूबर, 2022 को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो आज सुनाया गया.

क्या है पूरा मामला: 2006 में घटना के समय वकील कुछ अदालतों को तीस हजारी से रोहिणी स्थानांतरित करने के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे. तभी विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप धारण कर लिया. प्रदर्शनकारी वकीलों ने दो दर्जन से अधिक अदालत कक्षों में कुर्सियां फेंकी, कंप्यूटर तोड़ दिए और अदालती रिकॉर्ड को भी काफी नुकसान पहुंचाया. दिल्ली हाईकोर्ट की एक पूर्ण अदालत ने तत्कालीन जिला न्यायाधीश एसएन ढींगरा द्वारा दायर रिपोर्ट पर ध्यान दिया और दोषी वकीलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया.

25 वकीलों पर था अवमानना का आरोप: न्यायालय ने तीस हजारी हिंसा मामले पर संज्ञान लिया और अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू की गई. मामले में कुल 25 वकीलों को कथित अवमाननाकर्ता के रूप में आरोपित किया गया था. हालांकि, उनमें से 13 को अदालत के द्वारा पहले ही आरोप मुक्त कर दिया गया था. बाकी बचे वकीलों को आज आरोपमुक्त किया गया है.

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