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पुलिस और सीबीआई अधिकारी बन 13 लाख की ठगी, जालसाजों ने पार्सल में संदिग्ध सामान होने की कही बात

नोएडा से ठगी का एक अलग मामला सामने आया है. यहां कंबोडिया भेजे गए कुरियर में संदिग्ध सामान होने की बात कहकर ठगों ने एक व्यक्ति से 13 लाख 28 हजार रुपये ठग लिए. जालसाजों ने पुलिस और सीबीआई अधिकारी बनकर पीड़ित को जेल भेजने के नाम पर डराया. साइबर क्राइम इस मामले की जांच कर रही है. Cyber Fraud Case In NCR

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 23, 2023, 1:58 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: साइबर अपराधी आए दिन नए-नए तरीके अपना कर लोगों के साथ ठगी करते हैं. ऐसा ही कुछ रविवार को साइबर क्राइम थाने में शिकायत मिली है. कंबोडिया भेजे जाने वाले कोरियर में 50 से अधिक पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड और संदिग्ध सामान होने की बात बता कह कर ठगों ने एक व्यक्ति को झांसे में लिया और जेल भेजने का डर दिखाकर 13 लाख 28 हजार 85 रुपये की ठगी कर ली. जबरन खाते में रकम ट्रांसफर कराई गई. पीड़ित ने मामले की शिकायत साइबर क्राइम थाने सेक्टर 36 नोएडा में की है. थाना पुलिस मामले की जांच करने मे जुटी हुई है.

महागुन मॉर्डन सोसायटी निवासी दीपक पाठक ने बताया कि कुछ दिन पूर्व एक टोलफ्री नंबर से उनके मोबाइल पर कॉल आई थी. फोन करने वाले ने दीपक को बताया कि कॉल के संबंध में ऑपरेटर से ज्यादा जानकारी लेने के लिए उसे मोबाइल पर एक दबाना होगा. ऐसा करने पर कॉल दूसरे नंबर पर डायवर्ट हो गई. इसके बाद कॉल से जुड़े ऑपरेटर अरविंद ने शिकायतकर्ता को बताया कि उसके नाम से एक पार्सल कंबोडिया निवासी जॉन को भेजा रहा रहा है, जिसमें 16 पासपोर्ट, 48 क्रेडिट कार्ड और कई अन्य संदिग्ध सामान हैं. पार्सल लखनऊ कस्टम विभाग के पास जमा होने की बात उसने बताई.

पीड़ित ने ऑपरेटर को बताया कि उसने किसी जॉन नाम के व्यक्ति को पार्सल नहीं भेजा है, तो अरविंद ने उसे संकट में फंसने की बात कहते हुए कॉल लखनऊ पुलिस को ट्रांसफर कर दी. यहां अलीगंज थाने से कोई दिनेश कुमार नाम का कथित पुलिसकर्मी जुड़ा और उसने पीड़ित को मोबाइल पर स्काइप अप्लीकेशन डाउनलोड करने को कहा. अप्लीकेशन आइडी लेने के बाद कथित पुलिसकर्मी ने कॉल पर रहते हुए वॉयरलेस के माध्यम से कंट्रोल रूम से कनेक्ट किया. इसमें वॉयरलेस पर पीड़ित को तुरंत गिरफ्तार करने की बात कही गई. इसके बाद कथित पुलिसकर्मी और उसके साथियों ने पीड़ित को जेल भेजने का डर दिखाया. काफी अनुरोध करने पर कथित पुलिसकर्मी ने पीड़ित की बात अपने कथित आला अधिकारी कुलदीप से कराई.

कथित आला अधिकारी ने शिकायतकर्ता को जेल भेजने का डर दिखाते हुए सहयोग करने की बात कही और पूरे मामले की समीक्षा करने को भी कहा. उसी दिन रात में कुलदीप ने स्काइप पर दोबारा कॉल की और पीड़ित से 25 हजार रुपये की मांग की. यह रकम पीड़ित के खाते में अनियमितता की जांच के एवज में मांगी गई. पीड़ित ने डर के कारण रकम ट्रांसफर कर दी. इसके बाद संबंधित अधिकारी ने जांच के नाम पर पीड़ित से बैंक संबंधी सारे दस्तावेज ले लिए. इसके बाद पीड़ित की बात एक कथित सीबीआई अधिकारी से कराई गई. सीबीआई अधिकारी ने पीड़ित को बताया कि उसका नाम तीन करोड़ 80 लाख रुपये के एक घोटाले में आया है, जिसके तार काठमांडू से जुड़े हुए हैं. सीबीआई अधिकारी ने इस मामले में पीड़ित की बेल कराने के लिए कुल घोटाले का एक प्रतिशत यानि तीन लाख 80 हजार रुपये की मांग की. इसके बाद पीड़ित ने डर के कारण तीन लाख 55 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए. 25 हजार वह पहले ही ट्रांसफर कर चुका था.

ठगों ने कोर्ट की दूसरी पार्टी को ठगी का एक प्रतिशत रकम देने की मांग सीबीआई अधिकारी ने की. पीड़ित ने यह रकम भी ट्रांसफर कर दी. इसके बाद भी ठगों ने नहीं माने और दो लाख 18 हजार 85 रुपये, एक लाख, दो लाख और 50 हजार रुपये चार बार में ट्रांसफर कराए. पीड़ित पर जब और पैसे ट्रांसफर करने का दबाव बनाया जाने लगा तो उसे ठगी की आशंका हुई और उसने पैसे देने से मना कर दिया. इसके बाद ठगों ने संबंधित नंबर को बंद कर दिया. पीड़ित की शिकायत पर पुलिस मामले की जांच कर रही है.

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नई दिल्ली/नोएडा: साइबर अपराधी आए दिन नए-नए तरीके अपना कर लोगों के साथ ठगी करते हैं. ऐसा ही कुछ रविवार को साइबर क्राइम थाने में शिकायत मिली है. कंबोडिया भेजे जाने वाले कोरियर में 50 से अधिक पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड और संदिग्ध सामान होने की बात बता कह कर ठगों ने एक व्यक्ति को झांसे में लिया और जेल भेजने का डर दिखाकर 13 लाख 28 हजार 85 रुपये की ठगी कर ली. जबरन खाते में रकम ट्रांसफर कराई गई. पीड़ित ने मामले की शिकायत साइबर क्राइम थाने सेक्टर 36 नोएडा में की है. थाना पुलिस मामले की जांच करने मे जुटी हुई है.

महागुन मॉर्डन सोसायटी निवासी दीपक पाठक ने बताया कि कुछ दिन पूर्व एक टोलफ्री नंबर से उनके मोबाइल पर कॉल आई थी. फोन करने वाले ने दीपक को बताया कि कॉल के संबंध में ऑपरेटर से ज्यादा जानकारी लेने के लिए उसे मोबाइल पर एक दबाना होगा. ऐसा करने पर कॉल दूसरे नंबर पर डायवर्ट हो गई. इसके बाद कॉल से जुड़े ऑपरेटर अरविंद ने शिकायतकर्ता को बताया कि उसके नाम से एक पार्सल कंबोडिया निवासी जॉन को भेजा रहा रहा है, जिसमें 16 पासपोर्ट, 48 क्रेडिट कार्ड और कई अन्य संदिग्ध सामान हैं. पार्सल लखनऊ कस्टम विभाग के पास जमा होने की बात उसने बताई.

पीड़ित ने ऑपरेटर को बताया कि उसने किसी जॉन नाम के व्यक्ति को पार्सल नहीं भेजा है, तो अरविंद ने उसे संकट में फंसने की बात कहते हुए कॉल लखनऊ पुलिस को ट्रांसफर कर दी. यहां अलीगंज थाने से कोई दिनेश कुमार नाम का कथित पुलिसकर्मी जुड़ा और उसने पीड़ित को मोबाइल पर स्काइप अप्लीकेशन डाउनलोड करने को कहा. अप्लीकेशन आइडी लेने के बाद कथित पुलिसकर्मी ने कॉल पर रहते हुए वॉयरलेस के माध्यम से कंट्रोल रूम से कनेक्ट किया. इसमें वॉयरलेस पर पीड़ित को तुरंत गिरफ्तार करने की बात कही गई. इसके बाद कथित पुलिसकर्मी और उसके साथियों ने पीड़ित को जेल भेजने का डर दिखाया. काफी अनुरोध करने पर कथित पुलिसकर्मी ने पीड़ित की बात अपने कथित आला अधिकारी कुलदीप से कराई.

कथित आला अधिकारी ने शिकायतकर्ता को जेल भेजने का डर दिखाते हुए सहयोग करने की बात कही और पूरे मामले की समीक्षा करने को भी कहा. उसी दिन रात में कुलदीप ने स्काइप पर दोबारा कॉल की और पीड़ित से 25 हजार रुपये की मांग की. यह रकम पीड़ित के खाते में अनियमितता की जांच के एवज में मांगी गई. पीड़ित ने डर के कारण रकम ट्रांसफर कर दी. इसके बाद संबंधित अधिकारी ने जांच के नाम पर पीड़ित से बैंक संबंधी सारे दस्तावेज ले लिए. इसके बाद पीड़ित की बात एक कथित सीबीआई अधिकारी से कराई गई. सीबीआई अधिकारी ने पीड़ित को बताया कि उसका नाम तीन करोड़ 80 लाख रुपये के एक घोटाले में आया है, जिसके तार काठमांडू से जुड़े हुए हैं. सीबीआई अधिकारी ने इस मामले में पीड़ित की बेल कराने के लिए कुल घोटाले का एक प्रतिशत यानि तीन लाख 80 हजार रुपये की मांग की. इसके बाद पीड़ित ने डर के कारण तीन लाख 55 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए. 25 हजार वह पहले ही ट्रांसफर कर चुका था.

ठगों ने कोर्ट की दूसरी पार्टी को ठगी का एक प्रतिशत रकम देने की मांग सीबीआई अधिकारी ने की. पीड़ित ने यह रकम भी ट्रांसफर कर दी. इसके बाद भी ठगों ने नहीं माने और दो लाख 18 हजार 85 रुपये, एक लाख, दो लाख और 50 हजार रुपये चार बार में ट्रांसफर कराए. पीड़ित पर जब और पैसे ट्रांसफर करने का दबाव बनाया जाने लगा तो उसे ठगी की आशंका हुई और उसने पैसे देने से मना कर दिया. इसके बाद ठगों ने संबंधित नंबर को बंद कर दिया. पीड़ित की शिकायत पर पुलिस मामले की जांच कर रही है.

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