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Health Safety and Environment के क्षेत्र में हैं करियर के ढेर सारे अवसर, जानें कैसे करें शुरुआत

समय के साथ युवाओं के सामने ढेर सारे करियर ऑप्शंस आ चुके हैं, जिनमें वे अपना भविष्य बना सकते हैं. इन्हीं में एक है हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वायरनमेंट, जिसमें रोजगार के अपार अवसर हैं. आइए जानते हैं, कैसे कर सकते हैं इस क्षेत्र में प्रवेश और इसके लिए कौन से कोर्सेज उपलब्ध हैं.

Health Safety and Environment
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Published : Jun 5, 2023, 5:12 PM IST

नई दिल्ली: देश के युवाओं का आकर्षण अब जॉब आरिएंटेड कोर्सेस की ओर तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे बहुत से कोर्स हैं, जिनके द्वारा एक अच्छी जॉब आसानी से मिल सकती है. ऐसा ही एक क्षेत्र हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वायरनमेंट भी है, जिसमें रोजगार के बड़े अवसर हैं. खासतौर पर प्राकृतिक आपदाओं और आग लगने जैसी घटनाओं के मामलों ने इस क्षेत्र में करियर के अवसरों को और ज्यादा बढ़ा दिया है.

माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में प्रशिक्षत और अनुभवी युवाओं की मांग और तेजी से बढ़ेगी. इसलिए जो लोग इस क्षेत्र में करियर की बुलंदी तक पहुंचना चाहते हैं, वे डिप्लोमा से लेकर ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के कोर्सेज कर सकते हैं. ट्रेड डिप्लोमा इन हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वायरनमेंट का कोर्स करने के लिए अभ्यर्थी का 12वीं या इसके समकक्ष पास होना अनिवार्य है. यह कोर्स 18 महीने का होता है. साथ ही फायर टेक्नॉलॉजी एंड इंडस्ट्रियल मैनेजमेंट का सर्टिफिकेट कोर्स भी किया जा सकता है. हालांकि फायरमैन, सब ऑफिसर, असिस्टेंट डिवीजनल ऑफिसर, डिवीजनल ऑफिसर जैसे पदों के लिए अलग अलग कोर्स किए जा सकते हैं.

हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वायरनमेंट से जुड़े लोगों को आमतौर पर सामान्य सेवाओं से जुड़ा मान लिया जाता है. खास बात है कि यह कोर्स करने के बाद औद्योगिक क्षेत्र में ऐसे प्रशिक्षित युवाओं की मांग ज्यादा है. सरकारी और निजी क्षेत्र में अब 'मल्टी टास्क सर्विस' का चलन तेजी से बढ़ा है. इसका मतलब ये है कि ऐसा व्यक्ति जो कई तरह की जिम्मेदारी उठा सकता हो. यानी जो युवा हेल्थ सेफ्टी एवं एन्वायरनमेंट, डिजास्टर मैनेजमेंट के साथ फायर फाइटिंग और हेल्थ सेफ्टी मैनेजमेंट का भी प्रशिक्षण ले चुके होते हैं, उन्हें नौकरी में प्राथमिकता दी जाती है. किसी बड़ी कंपनी और औद्योगिक संस्थान में ऐसे कर्मचारियों के पद नाम अलग हो सकते हैं, लेकिन इनका काम एक ही होता है.

कार्य का स्वरूप: हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वायरनमेंट इंजीनियर का मुख्य काम, आपदा या दुर्घटना के कारणों का पता लगाना और उसकी रोकथाम करना होता है. साथ ही आग, पानी और दूसरी तरह की आपदाओं से बचाव की जिम्मेदारी भी इन्हीं लोगों की होती है. फायर फाइटिंग सिविल, इलेक्ट्रीकल, एंवॉयरमेंटल इंजीनियरिंग भी इसी से जुड़ा क्षेत्र है. मसलन महामारी की रोकथाम के उपायों से संबंधित यंत्रों की तकनीकी जानकारी, स्प्रिंकलर सिस्टम, अलार्म, केमिकल या सैनेटाइजर की बौछार का सबसे स्टीक इस्तेमाल, कम से कम समय और संसाधनों में ज्यादा से ज्यादा जान और काम की रक्षा करना उसका उद्देश्य होता है.

क्या है शैक्षणिक योग्यता: इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए डिग्री की जरूरत तो है ही, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरत विशेष योग्यताओं की है. हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वायरनमेंट विशेषज्ञ के अंदर साहस और धैर्य के साथ लीडरशिप व तुरंत निर्णय लेने की क्षमता का होना जरूरी है. ताकि किसी भी बड़ी दुर्घटना को कंट्रोल किया जा सके. डिप्लोमा या डिग्री में दाखिले के लिए 12वीं पास होना अनिवार्य है. इसमें प्रवेश के लिए ऑल इंडिया एंट्रेंस एक्जाम होता है. इसके लिए केमिस्ट्री के साथ फिजिक्स या गणित विषय में 50 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है.

फिजिकल इलिजेबिलिटी: इस फील्ड में करियर बनाने के लिए शारीरिक योग्यता भी देखी जाती है. पुरुषों के लिए न्यूनतम लंबाई 165 सेंटीमीटर, वजन 50 किलोग्राम, वहीं महिलाएं की लंबाई 157 सेंटीमीटर और वजन कम से कम 46 किलोग्राम होना जरूरी है. साथ ही दोनों का आई विजन 6/6 होनी चाहिए और उम्र 19 साल से 23 साल के अंदर होनी चाहिए.

यहां मिलेगा रोजगार: दिल्ली कॉलेज ऑफ फायर सेफ्टी इंजीनियरिंग के डायरेक्टर जिले सिंह लाकड़ा का कहना है कि, इस फील्ड में रोजगार की अपार संभावनाएं है. पहले सिर्फ महानगरों में फायर स्टेशन होते थे, लेकिन आज हर जिले में फायर स्टेशन हैं. इसके अलावा औद्योगिक एवं कारोबारी क्षेत्र का भी तेजी से विस्तार हुआ है. अब हर सरकारी व गैरसरकारी संस्थानों में हेल्थ सेफ्टी एंड एनवायरनमेंट इंजीनियर्स की नियुक्तियां होती हैं. ऐसे विशेषज्ञों की जरूरत अग्निशमन विभाग के अलावा आर्किटेक्चर और बिल्डिंग कंसट्रक्शन, इंश्योरेंस एसेसमेंट, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, रिफाइनरी, गैस फैक्ट्री, निर्माण उद्योग, प्लास्टिक, हॉस्पिटैलिटी उद्योग, एलपीजी तथा केमिकल्स प्लांट, बहुमंजिला इमारत व एयरपोर्ट आदि जगहों पर इनकी अच्छी-खासी डिमांड है.

अलग-अलग कोर्स: इस फील्ड में करियर बनाने के लिए डिप्लोमा इन हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वायरनमेंट, डिप्लोमा इन फायर फाइटिंग, पीजी डिप्लोमा इन फायर एंड सेफ्टी इंजीनियरिंग, बीएससी इन फायर इंजीनियरिंग, फायर टेक्नालॉजी एंड इंडस्ट्रियल सेफ्टी मैनेजमेंट, इंडस्ट्रियल सेफ्टी सुपरवाइजर, रेस्कयू एंड फायर फाइटिंग, जैसे कोर्स किए जा सकते हैं. इनकी अवधि 6 महीने से लेकर तीन साल तक है. कोर्स के दौरान हेल्थ, सेफ्टी एवं पर्यावरण प्रबंधन के साथ विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से बचने सहित किसी भी प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा से बचाव की तकनीकी जानकारी से लेकर जान-माल के बचाव के साइंटिफिक फॉर्मूले की जानकारी दी जाती है. इसमें आग पर काबू पाने, खतरों का सामना करने, उपकरणों का प्रयोग करने आदि के गुण सिखाए जाते हैं.

प्रमुख संस्थान-

  • दिल्ली कॉलेज ऑफ फायर सेफ्टी इंजीनियरिंग, नई दिल्ली,
    www.dcfse.com
  • इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी, मैदान गढ़ी, नई दिल्ली
    www.ignou.ac.in
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फायर, डिजास्टर एंड एन्वायरमेंट मैनेजेंट, नागपुर
    www.nifdem.com

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नई दिल्ली: देश के युवाओं का आकर्षण अब जॉब आरिएंटेड कोर्सेस की ओर तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे बहुत से कोर्स हैं, जिनके द्वारा एक अच्छी जॉब आसानी से मिल सकती है. ऐसा ही एक क्षेत्र हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वायरनमेंट भी है, जिसमें रोजगार के बड़े अवसर हैं. खासतौर पर प्राकृतिक आपदाओं और आग लगने जैसी घटनाओं के मामलों ने इस क्षेत्र में करियर के अवसरों को और ज्यादा बढ़ा दिया है.

माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में प्रशिक्षत और अनुभवी युवाओं की मांग और तेजी से बढ़ेगी. इसलिए जो लोग इस क्षेत्र में करियर की बुलंदी तक पहुंचना चाहते हैं, वे डिप्लोमा से लेकर ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के कोर्सेज कर सकते हैं. ट्रेड डिप्लोमा इन हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वायरनमेंट का कोर्स करने के लिए अभ्यर्थी का 12वीं या इसके समकक्ष पास होना अनिवार्य है. यह कोर्स 18 महीने का होता है. साथ ही फायर टेक्नॉलॉजी एंड इंडस्ट्रियल मैनेजमेंट का सर्टिफिकेट कोर्स भी किया जा सकता है. हालांकि फायरमैन, सब ऑफिसर, असिस्टेंट डिवीजनल ऑफिसर, डिवीजनल ऑफिसर जैसे पदों के लिए अलग अलग कोर्स किए जा सकते हैं.

हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वायरनमेंट से जुड़े लोगों को आमतौर पर सामान्य सेवाओं से जुड़ा मान लिया जाता है. खास बात है कि यह कोर्स करने के बाद औद्योगिक क्षेत्र में ऐसे प्रशिक्षित युवाओं की मांग ज्यादा है. सरकारी और निजी क्षेत्र में अब 'मल्टी टास्क सर्विस' का चलन तेजी से बढ़ा है. इसका मतलब ये है कि ऐसा व्यक्ति जो कई तरह की जिम्मेदारी उठा सकता हो. यानी जो युवा हेल्थ सेफ्टी एवं एन्वायरनमेंट, डिजास्टर मैनेजमेंट के साथ फायर फाइटिंग और हेल्थ सेफ्टी मैनेजमेंट का भी प्रशिक्षण ले चुके होते हैं, उन्हें नौकरी में प्राथमिकता दी जाती है. किसी बड़ी कंपनी और औद्योगिक संस्थान में ऐसे कर्मचारियों के पद नाम अलग हो सकते हैं, लेकिन इनका काम एक ही होता है.

कार्य का स्वरूप: हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वायरनमेंट इंजीनियर का मुख्य काम, आपदा या दुर्घटना के कारणों का पता लगाना और उसकी रोकथाम करना होता है. साथ ही आग, पानी और दूसरी तरह की आपदाओं से बचाव की जिम्मेदारी भी इन्हीं लोगों की होती है. फायर फाइटिंग सिविल, इलेक्ट्रीकल, एंवॉयरमेंटल इंजीनियरिंग भी इसी से जुड़ा क्षेत्र है. मसलन महामारी की रोकथाम के उपायों से संबंधित यंत्रों की तकनीकी जानकारी, स्प्रिंकलर सिस्टम, अलार्म, केमिकल या सैनेटाइजर की बौछार का सबसे स्टीक इस्तेमाल, कम से कम समय और संसाधनों में ज्यादा से ज्यादा जान और काम की रक्षा करना उसका उद्देश्य होता है.

क्या है शैक्षणिक योग्यता: इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए डिग्री की जरूरत तो है ही, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरत विशेष योग्यताओं की है. हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वायरनमेंट विशेषज्ञ के अंदर साहस और धैर्य के साथ लीडरशिप व तुरंत निर्णय लेने की क्षमता का होना जरूरी है. ताकि किसी भी बड़ी दुर्घटना को कंट्रोल किया जा सके. डिप्लोमा या डिग्री में दाखिले के लिए 12वीं पास होना अनिवार्य है. इसमें प्रवेश के लिए ऑल इंडिया एंट्रेंस एक्जाम होता है. इसके लिए केमिस्ट्री के साथ फिजिक्स या गणित विषय में 50 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है.

फिजिकल इलिजेबिलिटी: इस फील्ड में करियर बनाने के लिए शारीरिक योग्यता भी देखी जाती है. पुरुषों के लिए न्यूनतम लंबाई 165 सेंटीमीटर, वजन 50 किलोग्राम, वहीं महिलाएं की लंबाई 157 सेंटीमीटर और वजन कम से कम 46 किलोग्राम होना जरूरी है. साथ ही दोनों का आई विजन 6/6 होनी चाहिए और उम्र 19 साल से 23 साल के अंदर होनी चाहिए.

यहां मिलेगा रोजगार: दिल्ली कॉलेज ऑफ फायर सेफ्टी इंजीनियरिंग के डायरेक्टर जिले सिंह लाकड़ा का कहना है कि, इस फील्ड में रोजगार की अपार संभावनाएं है. पहले सिर्फ महानगरों में फायर स्टेशन होते थे, लेकिन आज हर जिले में फायर स्टेशन हैं. इसके अलावा औद्योगिक एवं कारोबारी क्षेत्र का भी तेजी से विस्तार हुआ है. अब हर सरकारी व गैरसरकारी संस्थानों में हेल्थ सेफ्टी एंड एनवायरनमेंट इंजीनियर्स की नियुक्तियां होती हैं. ऐसे विशेषज्ञों की जरूरत अग्निशमन विभाग के अलावा आर्किटेक्चर और बिल्डिंग कंसट्रक्शन, इंश्योरेंस एसेसमेंट, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, रिफाइनरी, गैस फैक्ट्री, निर्माण उद्योग, प्लास्टिक, हॉस्पिटैलिटी उद्योग, एलपीजी तथा केमिकल्स प्लांट, बहुमंजिला इमारत व एयरपोर्ट आदि जगहों पर इनकी अच्छी-खासी डिमांड है.

अलग-अलग कोर्स: इस फील्ड में करियर बनाने के लिए डिप्लोमा इन हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वायरनमेंट, डिप्लोमा इन फायर फाइटिंग, पीजी डिप्लोमा इन फायर एंड सेफ्टी इंजीनियरिंग, बीएससी इन फायर इंजीनियरिंग, फायर टेक्नालॉजी एंड इंडस्ट्रियल सेफ्टी मैनेजमेंट, इंडस्ट्रियल सेफ्टी सुपरवाइजर, रेस्कयू एंड फायर फाइटिंग, जैसे कोर्स किए जा सकते हैं. इनकी अवधि 6 महीने से लेकर तीन साल तक है. कोर्स के दौरान हेल्थ, सेफ्टी एवं पर्यावरण प्रबंधन के साथ विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से बचने सहित किसी भी प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा से बचाव की तकनीकी जानकारी से लेकर जान-माल के बचाव के साइंटिफिक फॉर्मूले की जानकारी दी जाती है. इसमें आग पर काबू पाने, खतरों का सामना करने, उपकरणों का प्रयोग करने आदि के गुण सिखाए जाते हैं.

प्रमुख संस्थान-

  • दिल्ली कॉलेज ऑफ फायर सेफ्टी इंजीनियरिंग, नई दिल्ली,
    www.dcfse.com
  • इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी, मैदान गढ़ी, नई दिल्ली
    www.ignou.ac.in
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फायर, डिजास्टर एंड एन्वायरमेंट मैनेजेंट, नागपुर
    www.nifdem.com

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