नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. जानकारी के अनुसार पुरुषों को होने वाले कैंसर में सबसे अधिक हिस्सा मुंह का कैंसर, फेंफड़ों का कैंसर और गले के कैंसर का है. वहीं, महिलाओं में सर्वाधिक स्तन कैंसर के मामले पाए जा रहे हैं. दिल्ली की महिलाओं में कैंसर के कुल मामलों में 26 प्रतिशत मामले सिर्फ स्तन कैंसर के हैं.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) कैंसर सेंटर और एम्स नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट झज्जर की प्रमुख डॉ. सुषमा भटनागर के अनुसार दिल्ली में हर साल कैंसर के करीब 21,538 मामले आते हैं. इनमें 11,435 पुरुष और 10,103 महिलाएं के मामले शामिल हैं. आधे से ज्यादा मरीजों का इलाज एम्स कैंसर सेंटर कर रहा है.
ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल के पूर्व वैज्ञानिक डॉ राम एस उपाध्याय कैंसर के बढ़ते मामलों का तीन प्रमुख कारण बताते हैं. ये कारण हैं एजिंग, इमेजिंग और रेडिएशन.
एजिंग: कैंसर के मामलों के बढ़ने का प्रमुख कारण इंसान की उम्र भी है. डॉक्टर राम एस उपाध्याय का कहना है कि विभिन्न अध्ययन में यह बात सामने आई है कि आदमी की उम्र पहले 45 से 50 साल होती थी, जो अब बढ़कर 72 से 75 साल तक हो गई है. प्रत्येक व्यक्ति में कैंसर होने की सात प्रतिशत संभावना होती है. जब शरीर में कोई ऐसे सेल का निर्माण होता है जिससे कैंसर होने की संभावना हो तो शरीर के अंदर मौजूद जींस उसे नष्ट कर देते हैं. लेकिन, उम्र बढ़ने के बाद (60 साल) ये जींस कमजोर पड़ जाते हैं. इसका कारण खराब जीवन शैली भी हो सकती है.
इमेजिंग: कुछ लोगों को कई बार अधिक एक्स-रे, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड अधिक कराने के कारण रेडिएशन का असर भी शरीर पर होता है. ये भी आगे चलकर कैंसर का कारण बनता है. इसलिए जब तक बहुत अधिक आवश्यक न हो, तब तक एमआरआई, एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड जैसे चिकित्सकीय परीक्षणों से बचना चाहिए.
रेडिएशन: कुछ लोग ऐसी जगहों पर काम करते हैं, जहां पर रेडिएशन का खतरा अधिक होता है. उनके ऊपर भी रेडिएशन का असर होता है. 10 से 15 साल बाद यह कैंसर के रूप में उभरकर सामने आता है. परमाणु ऊर्जा संयंत्र आदि में रेडिएशन बहुत अधिक होता है.
दिल्ली के बच्चों में सबसे ज्यादा कैंसर: एम्स कैंसर सेंटर के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एस.वी. एस. देव ने बताया कि देश में सबसे ज्यादा कैंसर का खतरा दिल्ली के बच्चों को है. एम्स द्वारा संचालित दिल्ली कैंसर रजिस्ट्री की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के बच्चों में सबसे अधिक कैंसर पाया गया है. यहां के 3.9 प्रतिशत बच्चों में कैंसर मिला है, जबकि देश में यह दर 0.7 से 3.1 प्रतिशत के बीच है. बच्चों में लिम्फोमा, ल्यूकेमिया, न्यूरोब्लास्टोमा नाम का कैंसर पाया जा रहा है. हालांकि, डाक्टरों का कहना है कि बच्चों में कैंसर के 80 से 90 प्रतिशत मामले ठीक हो जाते हैं. डा. देव का कहना है कि राष्ट्रीय राजधानी में जन्म से 74 साल की उम्र के बीच हर छह में से एक पुरुष और हर सात में से एक महिला को कैंसर होने का खतरा है.
दिल्ली के प्रमुख कैंसर सर्जन और स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ डॉ. अंशुमान का कहना है कि दिल्ली में कामकाज और पढ़ाई के लिए देश के हर राज्य से युवा आते हैं. इसलिए यहां युवाओं की आबादी सर्वाधिक है. आजकल युवाओं में ही सबसे अधिक तंबाकू और धूम्रपान की लत बढ़ रही है. इसलिए तंबाकू व धूम्रपान से मुंह, गले, जीभ और फेंफड़े का कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. इसके अलावा भी दिल्ली में कैंसर बढ़ने के कई कारण हैं. हालांकि देश में कैंसर के इलाज की तकनीकें भी विकसित हो रही हैं, लेकिन मरीजों की संख्या जिस तेजी के साथ बढ़ रही है. उसके हिसाब से नाकाफी है.