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'सेना के जवान डिलीट करें सोशल मीडिया ऐप', आदेश को HC में चुनौती

याचिका सेना के एक सेवारत अधिकारी ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि यह नीति संवैधानिक है और सेना को इसे वापस लेने के लिए कहा जाए.

delhi high court
दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Jul 13, 2020, 5:08 PM IST

नई दिल्ली: सेना को अफसरों और जवानों के लिए सोशल मीडिया पर पाबंदी के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. हाईकोर्ट इस याचिका पर कल यानी 14 जुलाई को सुनवाई करेगा.

सोशल मीडिया पर पाबंदी के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती



याचिका सेना के एक सेवारत अधिकारी ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि यह नीति संवैधानिक है और सेना को इसे वापस लेने के लिए कहा जाए. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता विदेश में रह रहे अपने परिवार के लोगों से बिना सोशल मीडिया के नहीं मिल सकता है.

वह अपने फेसबुक अकाउंट भारतीय सेना के दिशा-निर्देशों के मुताबिक जिम्मेदारी के साथ इस्तेमाल करता है. उसने कभी भी कोई गोपनीय और संवेदनशील सूचना को सोशल मीडिया पर साझा नहीं किया है.



संविधान का उल्लंघन

याचिका में कहा गया है कि सेना का दिशा-निर्देश मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. सेना का आदेश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निजता के अधिकार का हनन है. याचिका में कहा गया है कि संविधान की धारा 33 के मुताबिक सेना के मौलिक अधिकारों पर केवल संसद ही फैसला ले सकती है और सेना संसद नहीं है.

सोशल मीडिया को डिलीट करने का सेना का आदेश संविधान की धारा 21 का उल्लंघन है. एक तरफ सेना सोशल मीडिया के अकाउंट को डिलीट करने का आदेश देती है और दूसरी तरफ वो सोशल मीडिया पर सैनिकों को सुरक्षित व्यवहार अपनाने पर ट्रेनिंग देती है.

नई दिल्ली: सेना को अफसरों और जवानों के लिए सोशल मीडिया पर पाबंदी के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. हाईकोर्ट इस याचिका पर कल यानी 14 जुलाई को सुनवाई करेगा.

सोशल मीडिया पर पाबंदी के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती



याचिका सेना के एक सेवारत अधिकारी ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि यह नीति संवैधानिक है और सेना को इसे वापस लेने के लिए कहा जाए. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता विदेश में रह रहे अपने परिवार के लोगों से बिना सोशल मीडिया के नहीं मिल सकता है.

वह अपने फेसबुक अकाउंट भारतीय सेना के दिशा-निर्देशों के मुताबिक जिम्मेदारी के साथ इस्तेमाल करता है. उसने कभी भी कोई गोपनीय और संवेदनशील सूचना को सोशल मीडिया पर साझा नहीं किया है.



संविधान का उल्लंघन

याचिका में कहा गया है कि सेना का दिशा-निर्देश मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. सेना का आदेश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निजता के अधिकार का हनन है. याचिका में कहा गया है कि संविधान की धारा 33 के मुताबिक सेना के मौलिक अधिकारों पर केवल संसद ही फैसला ले सकती है और सेना संसद नहीं है.

सोशल मीडिया को डिलीट करने का सेना का आदेश संविधान की धारा 21 का उल्लंघन है. एक तरफ सेना सोशल मीडिया के अकाउंट को डिलीट करने का आदेश देती है और दूसरी तरफ वो सोशल मीडिया पर सैनिकों को सुरक्षित व्यवहार अपनाने पर ट्रेनिंग देती है.

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