नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के विधायक और दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन अमानत उल्लाह खान ने मस्जिद फतेहपुरी में काम करने वाले कर्मचारियों को धमकी दी है. उन्होंने कर्मचारियों को धमकाते हुए कहा कि यदि उन्होंने कोर्ट केस वापस नहीं लिया तो उन्हें वेतन नहीं दिया जाएगा.
10 महीने से नहीं मिली सैलरी
पिछले 10 माह से दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के इन कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है. पहले ये कहा जा रहा था कि बोर्ड में चेयरमैन नहीं हैं. इसलिए वेतन नहीं मिल सकता, लेकिन चेयरमैन के आ जाने के बाद भी सभी इमामों, मुअज़नों और अन्य कर्मचारियों को वेतन दे दिया गया है, लेकिन फतेहपुरी मस्जिद में काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया.
केस वापस लेने पर ही सैलरी देने की धमकी
Etv भारत से बात करते हुए एक कर्मचारी मोहम्मद शाहिद ने कहा कि उन्हें पिछले महीने से सैलरी नहीं मिली है. जब भी बोर्ड में बात की तो अलग-अलग कारण बता दिया जाता था, लेकिन चेयरमैन के आने के बाद सब को सैलरी मिल गई. बस हमें ही सैलरी नहीं दी गई. इस बात को लेकर चैयरमैन से मिलने पहुंचे तो उन्होंने सीधे तौर पर धमकी दे डाली कि यदि उन्होंने कोर्ट केस वापस नहीं लिया तो सैलरी नहीं दी जाएगी.
मेहनताना देने से साफ इंकार
कर्मचारी का कहना है कि उन्होंने कोर्ट में केस अपने अधिकारों के लिए डाला हुआ है. हमें भी अन्य कर्मचारियों की तरह वे सारी सुविधाएं मिलनी चाहिए, जो सरकार ने हमारे लिए तय की हैं. फतेहपुरी मस्जिद के मुअज़न अब्दुल मोमिन ने कहा कि मैं 11 साल से यहां मुअज़न हूं. जब चेयरमैन आये तो हमें लगा कि हमारे लिए कुछ अच्छा करेंगे, लेकिन उन्होंने साफ इंकार कर दिया कि पहले केस वापस लो तभी सैलरी मिलेगी.
गुजर-बसर करना मुश्किल
उन्होंने कहा कि कोर्ट केस तो मदरसा आलिया के टीचर्स ने भी डाला हुआ है और अन्य जगहों के कर्मचारियों ने भी अलग-अलग मामलों में वक़्फ़ बोर्ड के खिलाफ केस डाला हुआ है. सबको वेतन जारी कर दिया गया, लेकिन सिर्फ हम पर ये ज़ुल्म किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि गुज़र-बसर बड़ी मुश्किल से हो रहा है. इमाम साहब से भी कर्जा लिया है और लोगों से भी कर्ज़ा लेकर गुज़ारा कर रहे हैं, जिनकी अदायगी भी करनी है.
15 साल पहले दायर किया था केस
फतेहपुरी मस्जिद में काम करने वाले दरबानों ने 15 साल पहले लेबर कोर्ट में हफ़्तवारी छुट्टी, बोनस, पीएफ और अन्य सुविधाओं के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जो मामला आज भी कोर्ट में चल रहा है.