नई दिल्ली/गाजियाबाद: महंगाई लगातार आम आदमी की कमर तोड़ने का काम कर रही है. लोगों की कमाई जस की तस बनी हुई है. जबकि रोजमर्रा की चीजों समेत हर चीज पर महंगाई बढ़ रही है. कुल मिलाकर आम लोग बढ़ती महंगाई से परेशान है. ऐसे में 1 अप्रैल से आम लोगों को महंगाई का एक और तगड़ा झटका लगने जा रहा है. दरअसल, अब 1 अप्रैल से डायबिटीज, दिल की बीमारी, पैंकिलर्स, एंटीबायोटिक दवाओं के दाम बढ़ जाएंगे.
ड्रग प्राइसिंग कंट्रोल ऑर्डर 2013 के तहत आने वाली 800 से अधिक दवाओं और फॉर्मूलेशन की खुदरा कीमतें शनिवार से बढ़ जाएंगी, क्योंकि नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने दवा कंपनियों को 1 अप्रैल से उनके द्वारा उत्पादित दवाओं की खुदरा मूल्य में 12 प्रतिशत तक वृद्धि करने की अनुमति दी है.
आम आदमी के पास ये है विकल्प: वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीपी त्यागी के मुताबिक, दवाई के दामों में इजाफा होने के बाद आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के ऊपर महंगाई का एक और बोझ लद जाएगा. हालांकि, दवाई के रेटों में इजाफा हो रहा है, तो ऐसे में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र एक बेहतर विकल्प के रूप में आम आदमी के लिए मौजूद है. प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र से जेनेरिक दवाइयां खरीद सकते हैं.
जेनेरिक दवाइयों के दाम 40 से 50% तक कम होते हैं. साथ ही रिटेल फार्मेसी पर भी जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध होती है. महंगी दवाइयों को खरीदने में जो लोग सक्षम नहीं है, वह जेनेरिक दवाइयां खरीद सकते हैं. हालांकि दिल की बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों में कॉम्प्रोमाइज करना ठीक नहीं होगा. डॉक्टर से परामर्श के दौरान प्रिस्क्रिप्शन पर दवाई के साल्ट लिखवा सकते हैं, जिससे आसानी से जेनेरिक दवाई मिल सके.
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आम जनता पर पड़ेगा बोझ: गाजियाबाद केमिस्ट एसोसिएशन के सचिव अमित बंसल के मुताबिक दवाइयों के दाम बढ़ने से आम आदमी पर आर्थिक बोझ और अधिक होगा. दवाई के दाम में इजाफा होने के बाद होलसेल और रिटेल विक्रेताओं पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. दवाई के दाम बढ़ने से कुल मिलाकर प्रभाव सिर्फ उपभोक्ता पर ही पड़ेगा.
बाजार में जेनेरिक दवाइयां मौजूद है, लेकिन कई दवाइयां ऐसी हैं जिनके जेनेरिक अल्टरनेटिव बाजार में मौजूद नहीं है. ऐसे में उपभोक्ता के लिए कोई विकल्प मौजूद नहीं है. कई उपभोक्ताओं के मन में यह सवाल रहता है कि जेनेरिक दवाइयां काम नहीं करती है, ऐसा नहीं है. जेनेरिक दवाइयां काम करती है, क्योंकि अगर कोई दवाई काम नहीं करेगी तो उसका मार्केट पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. जेनेरिक दवाई बनाने वाली कंपनियों का प्रयास रहता है कि उनकी दवाई 100% काम करें.
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