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पदक की नई उम्मीद 'लवलीना'...जब एक मिठाई के कागज ने बदली मुक्केबाज की जिंदगी

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Published : Jul 30, 2021, 10:19 PM IST

असल में कभी-कभी इंसान की जिंदगी में कुछ ऐसी छोटी-छोटी घटनाएं होती हैं, जिसका उस पर गहरा प्रभाव पड़ता है. दरअसल, व्यक्ति सोचता कुछ और है और हो कुछ और जाता है. ऐसा ही बीते कुछ साल पहले महिला मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन के साथ हुआ. आइए जानते हैं मुक्केबाज की जिंदगी से जुड़ी एक छोटी से दास्तान.

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महिला मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन

हैदराबाद: भारत का टोक्यो ओलंपिक 2020 में दूसरा मेडल पक्का हो गया है. महिला बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन ने महिला 69 किलो वर्ग के क्वार्टर फाइनल में चीनी ताइपे की निएन चिन चेन को हरा दिया है. लवलीना ने सेमीफाइनल में जगह पक्की कर ली है. असम की इस मुक्केबाज ने भारत का एक और मेडल पक्का कर दिया है.

असम के गोलाघाट जिले की रहने वाली लवलिना ओलंपिक में भाग लेने वाली असम की पहली महिला खिलाड़ी हैं. लवलीना बॉक्सिंग में आने से पहले किक बॉक्सिंग करती थीं. लवलीना किक बॉक्सिंग में नेशनल लेवल पर मेडल जीत चुकी हैं.

यह भी पढ़ें: Tokyo Olympics Day 8: Medal Tally में 51वें नंबर पर भारत, इन खिलाड़ियों से 'सोने' की आस

बता दें, लवलिना ने अपनी जुड़वा बहनों लीचा और लीमा को देखकर किक बॉक्सिंग करना शुरू किया था. स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के असम रीजनल सेंटर में सिलेक्शन होने के बाद वे बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेने लगी थीं. उनकी दोनों बहनें भी किक बॉक्सिंग में नेशनल स्तर पर मेडल जीत चुकी हैं.

यह भी पढ़ें: Tokyo Olympics Day 9: ऐसा होगा 31 जुलाई का शेड्यूल, Medal के लिए दम दिखाएंगे ये खिलाड़ी

लवलीना को बचपन में काफी संघर्ष करना पड़ा. उनके पिता टिकेन बोरगोहेन की छोटी सी दुकान थी. शुरुआती दौर में लवलिना के पास ट्रैकसूट तक नहीं था. इक्विपमेंट और डाइट के लिए संघर्ष करना पड़ता था.

बता दें, लवलीना तीन बहनें हैं. लवलीना के मुताबिक, लोग यही कहा करते थे कि लड़कियां कुछ नहीं कर पाएंगी. लेकिन मेरी मां ममोनी बोरगोहेन हमेशा कहती थीं कि कुछ ऐसा करना है, जिससे आपको लोग याद रखें. लवलीना अपनी मां के इस कथन को पूरा करने के लिए एक कदम बढ़ा चुकी हैं. वे असम की पहली महिला खिलाड़ी हैं, जो ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. इन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है.

यह भी पढ़ें: Tokyo Olympics Day 9: भारत को शनिवार से शुभ की उम्मीद, पदक पक्का करने का मौका

लवलिना ने एक इंटरव्यू में बताया था, उन्होंने मोहम्मद अली से प्रभावित होकर बॉक्सिंग करना शुरू किया था. उनके पापा टिकेन बोरगोहेन एक बार बाजार से अखबार में लपेट कर मिठाई लेकर आए थे. अखबार की उस कतरन में मोहम्मद अली के बारे में छपा था. उन्होंने पापा से मोहम्मद अली के बारे में जाना. तभी से वे बॉक्सिंग में कैरियर बनाने का सपना देखने लगीं.

लवलीना जब 9वीं क्लास में थीं, तभी उनका चयन असम में साई के स्थित रीजनल सेंटर के लिए हुआ. वहां पर ही उनके खेल में सुधार हुआ. लवलीना की कोच संध्या गुरांग ने एक इंटरव्यू में बताया था, जब वह साई में आईं तो वह काफी डर के साथ खेलती थीं. यहां आने के बाद ही उसकी तकनीक में सुधार हुआ और वह खुलकर खेलने लगीं.

यह भी पढ़ें: टोक्यो ओलंपिक: धाकड़ पंच से लवलीना का मेडल पक्का, Silver के लिए वर्ल्ड नंबर-1 से होगा मुकाबला

बता दें, लवलिना साल 2018 और 2019 में हुए वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं. दिल्ली में आयोजित पहले इंडियन ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में सिल्वर और गुवाहाटी में आयोजित दूसरे इंडियन ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं. इसके अलावा लवलीना साल 2017 में एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं. साल 2018 कॉमनेवल्थ गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं.

हैदराबाद: भारत का टोक्यो ओलंपिक 2020 में दूसरा मेडल पक्का हो गया है. महिला बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन ने महिला 69 किलो वर्ग के क्वार्टर फाइनल में चीनी ताइपे की निएन चिन चेन को हरा दिया है. लवलीना ने सेमीफाइनल में जगह पक्की कर ली है. असम की इस मुक्केबाज ने भारत का एक और मेडल पक्का कर दिया है.

असम के गोलाघाट जिले की रहने वाली लवलिना ओलंपिक में भाग लेने वाली असम की पहली महिला खिलाड़ी हैं. लवलीना बॉक्सिंग में आने से पहले किक बॉक्सिंग करती थीं. लवलीना किक बॉक्सिंग में नेशनल लेवल पर मेडल जीत चुकी हैं.

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बता दें, लवलिना ने अपनी जुड़वा बहनों लीचा और लीमा को देखकर किक बॉक्सिंग करना शुरू किया था. स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के असम रीजनल सेंटर में सिलेक्शन होने के बाद वे बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेने लगी थीं. उनकी दोनों बहनें भी किक बॉक्सिंग में नेशनल स्तर पर मेडल जीत चुकी हैं.

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लवलीना को बचपन में काफी संघर्ष करना पड़ा. उनके पिता टिकेन बोरगोहेन की छोटी सी दुकान थी. शुरुआती दौर में लवलिना के पास ट्रैकसूट तक नहीं था. इक्विपमेंट और डाइट के लिए संघर्ष करना पड़ता था.

बता दें, लवलीना तीन बहनें हैं. लवलीना के मुताबिक, लोग यही कहा करते थे कि लड़कियां कुछ नहीं कर पाएंगी. लेकिन मेरी मां ममोनी बोरगोहेन हमेशा कहती थीं कि कुछ ऐसा करना है, जिससे आपको लोग याद रखें. लवलीना अपनी मां के इस कथन को पूरा करने के लिए एक कदम बढ़ा चुकी हैं. वे असम की पहली महिला खिलाड़ी हैं, जो ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. इन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है.

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लवलिना ने एक इंटरव्यू में बताया था, उन्होंने मोहम्मद अली से प्रभावित होकर बॉक्सिंग करना शुरू किया था. उनके पापा टिकेन बोरगोहेन एक बार बाजार से अखबार में लपेट कर मिठाई लेकर आए थे. अखबार की उस कतरन में मोहम्मद अली के बारे में छपा था. उन्होंने पापा से मोहम्मद अली के बारे में जाना. तभी से वे बॉक्सिंग में कैरियर बनाने का सपना देखने लगीं.

लवलीना जब 9वीं क्लास में थीं, तभी उनका चयन असम में साई के स्थित रीजनल सेंटर के लिए हुआ. वहां पर ही उनके खेल में सुधार हुआ. लवलीना की कोच संध्या गुरांग ने एक इंटरव्यू में बताया था, जब वह साई में आईं तो वह काफी डर के साथ खेलती थीं. यहां आने के बाद ही उसकी तकनीक में सुधार हुआ और वह खुलकर खेलने लगीं.

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बता दें, लवलिना साल 2018 और 2019 में हुए वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं. दिल्ली में आयोजित पहले इंडियन ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में सिल्वर और गुवाहाटी में आयोजित दूसरे इंडियन ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं. इसके अलावा लवलीना साल 2017 में एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं. साल 2018 कॉमनेवल्थ गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं.

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