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ब्रॉन्ज मेडल से संतुष्ट नहीं लवलीना, कहा- Paris Olympics में गोल्ड मेडल जीत अधूरे सपने को करूंगी पूरा

टोक्यो ओलंपिक 2020 में कांस्य पदक जीतने वाली भारत की बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हैं. उनका कहना है, वह पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर अपने अधूरे सपने को पूरा करेंगी.

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बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन
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Published : Aug 12, 2021, 2:03 PM IST

हैदराबाद: टोक्यो ओलंपिक 2020 में बॉक्सिंग में कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन के लिए असफलता कभी विकल्प नहीं रहा. वह चाहे मुक्केबाजी रिंग हो या फिर पितृसत्तामक परिवार के खिलाफ आवाज उठाना. असम के गोलाघाट जिले के दूर-दराज बारा मुखिया गांव से लेकर टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचने तक उनकी कहानी अपने आप में एक मिसाल है. वह कांस्य पदक जीतने के बाद भी संतुष्ट नहीं हैं. उनका कहना है, वह पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना चाहेंगी.

बता दें, 23 साल की लवलीना ने महिलाओं के 69 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीता था. इस स्पर्धा के क्वार्टर फाइनल में लवलीना का मुकाबला पूर्व विश्व चैंपियन ताइवान की निएन चिन चेन से हुआ. लवलीना ने इस मुकाबले में चिन चेन को 4-1 से करारी शिकस्त देकर सेमीफाइनल में जगह बनाई.

यह भी पढ़ें: सुदर्शन पटनायक ने लवलीना को सैंड आर्ट के जरिये दी बधाई

लवलीना ने कहा, वह इस लड़की से चार बार हार चुकी थीं, मैं बस इतना करना चाहती थी कि उसके खिलाफ निडर होकर मुकाबला करूं. मैं पिछली हार का बदला लेने की तलाश में थी. इसके बाद लवलीना का सफर सेमीफाइनल में थम गया था. उन्हें इस मुकाबले में तुर्की की बुसेनाज ने शिकस्त दी, जिसके बाद टोक्यो ओलंपिक उनका गोल्ड मेडल जीतने का सपना टूट गया.

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मेडल लिए हुए बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन और अन्य

यह भी पढ़ें: टोक्यो ओलंपिक 2021: अपनी हार में भी लवलीना ने असम के लिए रचा इतिहास

कांस्य पदक जीतने के बावजूद लवलीन बोरगोहन खुश नहीं हैं. साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा, ओलंपिक में पदक जीतना खास होता है, मैंने इस दिन का सपना उस दिन से देखा था, जब मैंने पहली बार मुक्केबाजी करनी शुरू की थी. पदक जीतने हमेशा मेरा लक्ष्य रहा है. इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरा सपना अधूरा है, मैं टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण जीतने में असफल रही, मैं अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हूं, मेरा लक्ष्य पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के सपने के साथ जीना है.

लवलीना बोरगेहेन ने बातचीत के दौरान कहा...

प्रश्न: देश के लिए मेडल जीतकर कैसा लगता है?

उत्तर: मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मैं मेडल लेकर भारत वापस आई. लेकिन यदि मैं गोल्ड मेडल जीती होती तो खुसी जरूर मिलती.

प्रश्न: आपने जो हासिल किया है, क्या आप उससे संतुष्ट नहीं हैं?

उत्तर: मैं बहुत परेशान थी, क्योंकि मैंने कभी किसी मैच में हारने के बारे में नहीं सोचा था. मैं भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने के उद्देश्य से टोक्यो गई थी. मैं मुकाबलों के दौरान केवल स्वर्ण पदक के बारे में सोच रही थी और उस सोच ने मुझे आगे बढ़ाया. कांस्य पदक जीतने के बाद, मैंने खुद को आश्वस्त किया कि यह सिर्फ एक शुरुआत है. लक्ष्य अंत में गोल्ड मेडल जीतना है. सेमीफाइनल में हार के बाद मुझे बहुत दुख हुआ. मैं इस बात से परेशान थी कि मैं भारत को स्वर्ण पदक नहीं दिला सकी.

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बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन

प्रश्न: आपके आगमन पर आपका भव्य स्वागत किया गया. अब तक का सबसे खास इशारा क्या रहा है?

उत्तर: मुझे लगता है कि मेरे लिए सबसे अच्छी बात यह थी कि इतने सारे लोग जश्न मनाने आए और उन्होंने जो प्यार दिया, वह मेरे लिए अकल्पनीय था. यह वास्तव में अच्छा लगता है कि पदक जीतना किसी देश के लिए इतनी खुशी ला सकता है.

मीडियाकर्मी और राजनेता सहित हर कोई स्वागत कर रहा है. हम आमतौर पर किसी खिलाड़ी के पदक जीतने के बाद उसका जश्न मनाना शुरू कर देते हैं.

प्रश्न: क्या आपको लगता है कि शुरुआत से ही ध्यान दिया जाना चाहिए? जब आपने बॉक्सिंग का अभ्यास करना शुरू किया तो क्या आपके लिए यह मुश्किल था?

उत्तर: हां, शुरुआत में यह थोड़ा मुश्किल था. यह सही है कि लोग आपको तभी नोटिस करते हैं, जब आप मेडल जीतते हैं. मुझे लगता है कि जब खिलाड़ी तैयारी कर रहे होते हैं तो उन पर ध्यान देना अच्छा नहीं होता. यह आपको परेशान कर सकता है. अगर कोई आपके पास आकर कहता है कि आप बहुत अच्छा कर रहे हैं तो आपकी तैयारी में बाधा आ सकती है. यह अच्छा है कि यह सब पदक जीतने के बाद होता है. हमने अपना 100 प्रतिशत दिया है और उसके बाद हम इसका लुत्फ उठाने के लायक हैं. लोग केवल परिणामों से खुश होंगे.

प्रश्न: जब आपने शुरुआत की थी तो आप मुश्किलों की बात कर रही थी?

उत्तर: जब मैंने शुरुआत की थी तो समर्थन प्राप्त करने में कठिनाइयां थीं. लेकिन जैसे-जैसे मैं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेलों में आगे बढ़ी, मुझे पर्याप्त समर्थन मिला. सरकार, SAI (भारतीय खेल प्राधिकरण), BFI (भारतीय मुक्केबाजी महासंघ), वे वहां थे. उनकी वजह से ही खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं. बेशक, यह शुरुआत के दौरान होता है, क्योंकि आपको सभी को साबित करना होता है और तभी वे आपका विश्वास हासिल करेंगे और विश्वास करेंगे कि आप अच्छा करेंगे.

यह भी पढ़ें: Tokyo Olympics: लवलीना ने हार कर भी रचा इतिहास, जीता ब्रॉन्ज मेडल

आपको खुद पर भी विश्वास करना होगा और दूसरों को साबित करना होगा कि आप काफी अच्छे हैं और तभी लोग आप पर विश्वास करने लगते हैं. इससे पहले, मैंने मार्शल आर्ट्स खेला और फिर बॉक्सिंग में चली गई. जब मैंने बॉक्सिंग की ओर रुख किया तो मुझे कई समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा, क्योंकि SAI हमेशा हमारी मदद के लिए मौजूद था. हमें उनसे हर उपकरण और हर तरह का सहयोग मिला.

हैदराबाद: टोक्यो ओलंपिक 2020 में बॉक्सिंग में कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन के लिए असफलता कभी विकल्प नहीं रहा. वह चाहे मुक्केबाजी रिंग हो या फिर पितृसत्तामक परिवार के खिलाफ आवाज उठाना. असम के गोलाघाट जिले के दूर-दराज बारा मुखिया गांव से लेकर टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचने तक उनकी कहानी अपने आप में एक मिसाल है. वह कांस्य पदक जीतने के बाद भी संतुष्ट नहीं हैं. उनका कहना है, वह पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना चाहेंगी.

बता दें, 23 साल की लवलीना ने महिलाओं के 69 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीता था. इस स्पर्धा के क्वार्टर फाइनल में लवलीना का मुकाबला पूर्व विश्व चैंपियन ताइवान की निएन चिन चेन से हुआ. लवलीना ने इस मुकाबले में चिन चेन को 4-1 से करारी शिकस्त देकर सेमीफाइनल में जगह बनाई.

यह भी पढ़ें: सुदर्शन पटनायक ने लवलीना को सैंड आर्ट के जरिये दी बधाई

लवलीना ने कहा, वह इस लड़की से चार बार हार चुकी थीं, मैं बस इतना करना चाहती थी कि उसके खिलाफ निडर होकर मुकाबला करूं. मैं पिछली हार का बदला लेने की तलाश में थी. इसके बाद लवलीना का सफर सेमीफाइनल में थम गया था. उन्हें इस मुकाबले में तुर्की की बुसेनाज ने शिकस्त दी, जिसके बाद टोक्यो ओलंपिक उनका गोल्ड मेडल जीतने का सपना टूट गया.

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मेडल लिए हुए बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन और अन्य

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कांस्य पदक जीतने के बावजूद लवलीन बोरगोहन खुश नहीं हैं. साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा, ओलंपिक में पदक जीतना खास होता है, मैंने इस दिन का सपना उस दिन से देखा था, जब मैंने पहली बार मुक्केबाजी करनी शुरू की थी. पदक जीतने हमेशा मेरा लक्ष्य रहा है. इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरा सपना अधूरा है, मैं टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण जीतने में असफल रही, मैं अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हूं, मेरा लक्ष्य पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के सपने के साथ जीना है.

लवलीना बोरगेहेन ने बातचीत के दौरान कहा...

प्रश्न: देश के लिए मेडल जीतकर कैसा लगता है?

उत्तर: मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मैं मेडल लेकर भारत वापस आई. लेकिन यदि मैं गोल्ड मेडल जीती होती तो खुसी जरूर मिलती.

प्रश्न: आपने जो हासिल किया है, क्या आप उससे संतुष्ट नहीं हैं?

उत्तर: मैं बहुत परेशान थी, क्योंकि मैंने कभी किसी मैच में हारने के बारे में नहीं सोचा था. मैं भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने के उद्देश्य से टोक्यो गई थी. मैं मुकाबलों के दौरान केवल स्वर्ण पदक के बारे में सोच रही थी और उस सोच ने मुझे आगे बढ़ाया. कांस्य पदक जीतने के बाद, मैंने खुद को आश्वस्त किया कि यह सिर्फ एक शुरुआत है. लक्ष्य अंत में गोल्ड मेडल जीतना है. सेमीफाइनल में हार के बाद मुझे बहुत दुख हुआ. मैं इस बात से परेशान थी कि मैं भारत को स्वर्ण पदक नहीं दिला सकी.

Interview of Lovlina Borgohain  Lovlina Borgohain  Boxer Lovlina Borgohain  बॉक्सर लवलीना बोरगेहेन  पेरिस ओलंपिक  lovlina borgohain  boxing  tokyo olympics  paris olympics 2024  टोक्यो ओलंपिक 2020
बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन

प्रश्न: आपके आगमन पर आपका भव्य स्वागत किया गया. अब तक का सबसे खास इशारा क्या रहा है?

उत्तर: मुझे लगता है कि मेरे लिए सबसे अच्छी बात यह थी कि इतने सारे लोग जश्न मनाने आए और उन्होंने जो प्यार दिया, वह मेरे लिए अकल्पनीय था. यह वास्तव में अच्छा लगता है कि पदक जीतना किसी देश के लिए इतनी खुशी ला सकता है.

मीडियाकर्मी और राजनेता सहित हर कोई स्वागत कर रहा है. हम आमतौर पर किसी खिलाड़ी के पदक जीतने के बाद उसका जश्न मनाना शुरू कर देते हैं.

प्रश्न: क्या आपको लगता है कि शुरुआत से ही ध्यान दिया जाना चाहिए? जब आपने बॉक्सिंग का अभ्यास करना शुरू किया तो क्या आपके लिए यह मुश्किल था?

उत्तर: हां, शुरुआत में यह थोड़ा मुश्किल था. यह सही है कि लोग आपको तभी नोटिस करते हैं, जब आप मेडल जीतते हैं. मुझे लगता है कि जब खिलाड़ी तैयारी कर रहे होते हैं तो उन पर ध्यान देना अच्छा नहीं होता. यह आपको परेशान कर सकता है. अगर कोई आपके पास आकर कहता है कि आप बहुत अच्छा कर रहे हैं तो आपकी तैयारी में बाधा आ सकती है. यह अच्छा है कि यह सब पदक जीतने के बाद होता है. हमने अपना 100 प्रतिशत दिया है और उसके बाद हम इसका लुत्फ उठाने के लायक हैं. लोग केवल परिणामों से खुश होंगे.

प्रश्न: जब आपने शुरुआत की थी तो आप मुश्किलों की बात कर रही थी?

उत्तर: जब मैंने शुरुआत की थी तो समर्थन प्राप्त करने में कठिनाइयां थीं. लेकिन जैसे-जैसे मैं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेलों में आगे बढ़ी, मुझे पर्याप्त समर्थन मिला. सरकार, SAI (भारतीय खेल प्राधिकरण), BFI (भारतीय मुक्केबाजी महासंघ), वे वहां थे. उनकी वजह से ही खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं. बेशक, यह शुरुआत के दौरान होता है, क्योंकि आपको सभी को साबित करना होता है और तभी वे आपका विश्वास हासिल करेंगे और विश्वास करेंगे कि आप अच्छा करेंगे.

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आपको खुद पर भी विश्वास करना होगा और दूसरों को साबित करना होगा कि आप काफी अच्छे हैं और तभी लोग आप पर विश्वास करने लगते हैं. इससे पहले, मैंने मार्शल आर्ट्स खेला और फिर बॉक्सिंग में चली गई. जब मैंने बॉक्सिंग की ओर रुख किया तो मुझे कई समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा, क्योंकि SAI हमेशा हमारी मदद के लिए मौजूद था. हमें उनसे हर उपकरण और हर तरह का सहयोग मिला.

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