हैदराबाद: 17 साल की उम्र में टेनिस सेंसेशन बनने वाली मारिया शारापोवा ने 32 साल की उम्र में इसे अलविदा कह दिया. पिछले कई सालों से अपने कंधे की चोट को लेकर मारिया शारापोवा का प्रदर्शन अपने निचले स्तर पर पहुंच गया था. जिसके बाद 15 महीनों का बैन लगने के बाद टेनिस कोर्ट पर वापसी करने के बावजूद वो कभी अपना जलवा न बिखेर सकीं. उनके फैंस को उम्मीद थी कि वो वापसी कर सकती हैं लेकिन संन्यास को लेकर इस फैसले के बाद फैंस में भी खासा निराशा का मौहोल है. खुद मारिया भी संन्यास की घोषणा करते वक्त काफी भावूक नजर आईं.
मारिया का करियर कई मायनों में अहम था. लोकप्रियता की बात की जाए तो टेनिस की दुनिया में दर्शकों का ध्यान खींचने में मारिया काफी सफल रही थीं. उनके बेधड़क शॉट्स ने टेनिस की ओर कई स्पोर्ट्स फैंस का ध्यान अपनी ओर खींचा था. रूस की इस खिलाड़ी ने अपने करियर में न सिर्फ अपने खेल बल्कि अपनी सुंदरता को लेकर भी काफी सुर्खियां बटोरी थीं.
मारिया शारावोपवा का करियर
5 बार की ग्रैंडस्लैम चैंपियन मारिया शारापोवा ने 2004 में 17 साल की उम्र में अपना पहला ग्रैंडस्लैम फाइनल खेला था. उस मुकाबले में उनका सामना वर्ल्ड नंबर 1 सेरेना विलियमस से हुआ था. सेरेना को फाइनल में हराकर विंबलडन ग्रैंडस्लैम चैंपियन बनने के बाद वो एक टेनिस सेंसेशन के रूप में देखी जाने लगी थीं. इसके बाद टेनिस में अपनी जगह बना चुकीं मारिया ने अपने प्रदर्शन से दर्शकों का दिल जीतना जारी रखा. 2006 में मात्र 19 साल की उम्र में शारापोवा ने यूएस ओपन अपने नाम किया. 2012 में फ्रेंच ओपन जीतकर उन्होंने अपना करियर स्लैम पूरा किया.
4 साल की उम्र में टेनिस खेलना शुरू किया
रूस की टेनिस स्टार खिलाड़ी मारिया ने एक टेनिस खिलाड़ी बनने का सपना काफी छोटी उम्र में देखा था. शारापोवा तब 4 साल की थी जब उन्होंने रैकेट थामा. जब मारिया 7 साल की हुई तब उनका परिवार रूस से अमेरिका शिफ्ट हो गया. अमेरिका पहुंचकर मारिया ने टेनिस की हर एक बारीकी सीखी.
2016 में लगा डोपिंग का बैन
साल 2016 में शारापोवा पर प्रदर्शन क्षमता को बढ़ाने वाली दवा (मेलडोनियम तत्व की डोपिंग) के सेवन का दोषी पाया गया. इसके चलते उन पर दो साल का प्रतिबंध लगा, जिसे बाद उनके बैन को घटा कर 15 महीने का कर दिया गया.
कॉन्ट्रोवर्सी से भी रहा है पुराना नाता
मारिया शारापोवा कॉन्ट्रोवर्सीे से भी जुड़ी रही हैं. उनके और कनाडा की टेनिस खिलाड़ी यूजीन बुचर्ड के बीच हुए विवाद ने भी काफी सुर्खियां बटोरी थीं. एक समय था जब मारिया की तरह यूजीन भी काफी कम उम्र में ग्रैंडस्लैम का फाइनल खेलने के लिए पहुंच गई थीं और उनका सामना मारिया से ही हुआ था लेकिन वो फाइनल हार गईं. बचपन से शारापोवा को आइडल मानने वाली बुचर्ड ने शारापोवा के डोप बैन को लेकर उन्हें 'चीटर' कहा था.
बुचर्ड ने शारापोवा को लेकर दिए एक बयान में कहा था, "हां, मैं बचपन से शारापोवा को आइडल मानती आ रही हूं. मैंने उन्हें 2004 विंबलडन में देखा था और मुझे याद है कि वो फाइनल में थीं और जो वो कर रही थीं वो मुझे बहुत अच्छा लगा तो मैंने सोचा कि मुझे भी वही करना हैं."