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वीरधवल खाड़े ने फीना विश्व कप में पदक जीतने को चुनौतीपूर्ण बताया

गुरुवार से शुरू होने वाले फीना विश्व कप में वीरधवल खाड़े 50, 100 और 200 मीटर फ्रीस्टाइल तथा 50 मीटर बैकस्ट्रोक में भाग लेंगे.

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Published : Nov 6, 2019, 10:38 AM IST

नई दिल्ली: भारतीय अनुभवी तैराक वीरधवल खाड़े का मानना है कि आगामी फीना विश्व कप में पदक जीतना उनके लिए मुश्किल काम होगा, लेकिन इसमें अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे.

वीरधवल गुरुवार से कतर के दोहा में शुरू होने जा रहे तीन दिवसीय सातवें और अंतिम फीना विश्व कप में 50, 100 और 200 मीटर फ्रीस्टाइल तथा 50 मीटर बैकस्ट्रोक में भाग लेंगे.

वीरधवल ने कहा, "मेरी निजी इच्छा है कि मैं विश्व कप में पदक जीतूं. ये मुश्किल काम होगा, लेकिन मुझे लगता है कि इसे हासिल किया जा सकता है."

FINA WC
गुरुवार से शुरू होगा फीना विश्व कप

वीरधवल ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में 50, 100 और 200 मीटर फ्रीस्टाइल में भाग लिया था, जहां उन्होंने 100 मीटर में भारतीय राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था. हालांकि क्वालीफिकेशन हीट जीतने के बावजूद वे सेमीफाइनल में प्रवेश करने से चूक गए थे.

उन्होंने कहा, "एक युवा तैराक के रूप में ओलंपिक में भाग लेना मेरे लिए काफी अच्छा अनुभव रह था. विश्व के सर्वश्रेष्ठ तैराकों के साथ खुद की प्रतिस्पर्धा करने के बाद मुझे लगा कि अभी मुझे कुछ बदलने की जरूरत है."

वीरधवल खाड़े,
वीरधवल खाड़े, FINA WC

29 वर्षीय वीरधवल ने 2010 एशियाई खेलों में 50 मीटर बटरफ्लाई वर्ग में कांस्य पदक जीता था. उन्होंने साथ ही इस बात पर भी अपनी राय रखी, क्योंकि भारतीय तैराक ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाते.

अर्जुन अवॉर्डी वीरधवल ने कहा, "भारत में कभी भी तैराकी को लेकर प्रतिस्पर्धात्मक संस्कृति नहीं रही है. तैराकी कोई ऐसा खेल नहीं है जिसे आज के समय में हर कोई कर सकता है. इसके अलावा भारतीय माता-पिता भी अपने बच्चे को तैराकी में जाने की इजाजत नहीं देते हैं."

नई दिल्ली: भारतीय अनुभवी तैराक वीरधवल खाड़े का मानना है कि आगामी फीना विश्व कप में पदक जीतना उनके लिए मुश्किल काम होगा, लेकिन इसमें अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे.

वीरधवल गुरुवार से कतर के दोहा में शुरू होने जा रहे तीन दिवसीय सातवें और अंतिम फीना विश्व कप में 50, 100 और 200 मीटर फ्रीस्टाइल तथा 50 मीटर बैकस्ट्रोक में भाग लेंगे.

वीरधवल ने कहा, "मेरी निजी इच्छा है कि मैं विश्व कप में पदक जीतूं. ये मुश्किल काम होगा, लेकिन मुझे लगता है कि इसे हासिल किया जा सकता है."

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गुरुवार से शुरू होगा फीना विश्व कप

वीरधवल ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में 50, 100 और 200 मीटर फ्रीस्टाइल में भाग लिया था, जहां उन्होंने 100 मीटर में भारतीय राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था. हालांकि क्वालीफिकेशन हीट जीतने के बावजूद वे सेमीफाइनल में प्रवेश करने से चूक गए थे.

उन्होंने कहा, "एक युवा तैराक के रूप में ओलंपिक में भाग लेना मेरे लिए काफी अच्छा अनुभव रह था. विश्व के सर्वश्रेष्ठ तैराकों के साथ खुद की प्रतिस्पर्धा करने के बाद मुझे लगा कि अभी मुझे कुछ बदलने की जरूरत है."

वीरधवल खाड़े,
वीरधवल खाड़े, FINA WC

29 वर्षीय वीरधवल ने 2010 एशियाई खेलों में 50 मीटर बटरफ्लाई वर्ग में कांस्य पदक जीता था. उन्होंने साथ ही इस बात पर भी अपनी राय रखी, क्योंकि भारतीय तैराक ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाते.

अर्जुन अवॉर्डी वीरधवल ने कहा, "भारत में कभी भी तैराकी को लेकर प्रतिस्पर्धात्मक संस्कृति नहीं रही है. तैराकी कोई ऐसा खेल नहीं है जिसे आज के समय में हर कोई कर सकता है. इसके अलावा भारतीय माता-पिता भी अपने बच्चे को तैराकी में जाने की इजाजत नहीं देते हैं."

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नई दिल्ली: भारतीय अनुभवी तैराक वीरधवल खाड़े का मानना है कि आगामी फीना विश्व कप में पदक जीतना उनके लिए मुश्किल काम होगा, लेकिन इसमें अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे.



वीरधवल गुरुवार से कतर के दोहा में शुरू होने जा रहे तीन दिवसीय सातवें और अंतिम फीना विश्व कप में 50, 100 और 200 मीटर फ्रीस्टाइल तथा 50 मीटर बैकस्ट्रोक में भाग लेंगे.



वीरधवल ने कहा, "मेरी निजी इच्छा है कि मैं विश्व कप में पदक जीतूं. ये मुश्किल काम होगा, लेकिन मुझे लगता है कि इसे हासिल किया जा सकता है."



वीरधवल ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में 50, 100 और 200 मीटर फ्रीस्टाइल में भाग लिया था, जहां उन्होंने 100 मीटर में भारतीय राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था. हालांकि क्वालीफिकेशन हीट जीतने के बावजूद वे सेमीफाइनल में प्रवेश करने से चूक गए थे.



उन्होंने कहा, "एक युवा तैराक के रूप में ओलंपिक में भाग लेना मेरे लिए काफी अच्छा अनुभव रह था. विश्व के सर्वश्रेष्ठ तैराकों के साथ खुद की प्रतिस्पर्धा करने के बाद मुझे लगा कि अभी मुझे कुछ बदलने की जरूरत है."



29 वर्षीय वीरधवल ने 2010 एशियाई खेलों में 50 मीटर बटरफ्लाई वर्ग में कांस्य पदक जीता था. उन्होंने साथ ही इस बात पर भी अपनी राय रखी, क्योंकि भारतीय तैराक ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाते.



अर्जुन अवॉर्डी वीरधवल ने कहा, "भारत में कभी भी तैराकी को लेकर प्रतिस्पर्धात्मक संस्कृति नहीं रही है. तैराकी कोई ऐसा खेल नहीं है जिसे आज के समय में हर कोई कर सकता है. इसके अलावा भारतीय माता-पिता भी अपने बच्चे को तैराकी में जाने की इजाजत नहीं देते हैं."


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