लंदन: दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी नोवाक जोकोविच ने ग्रास कोर्ट पर अपनी श्रेष्ठता एक बार फिर साबित करते हुए रविवार को विंबलडन का पुरुष एकल खिताब जीत लिया. सर्बिया के जोकोविच ने सेंटर कोर्ट की घास खाकर इस सफलता का जश्न मनाया. जोकोविच ने फाइनल मुकाबले में इटली के मातेओ बेरेटीनी को 6-7, 6-4, 6-4, 6-3 से हराया. यह उनके कैरियर का 20वां ग्लैंड स्लैम है, विंबलडन में यह उनका छठा खिताब है.
अब वह सबसे अधिक ग्रैंड स्लैम जीतने के मामले में स्विस सुपरस्टार रोजर फेडरर और स्पेन के दिग्गज राफेल नडाल की बराबरी पर आ गए हैं.
बेरेटेनी पहली बार किसी ग्रैंड स्लैम के फाइनल में पहुंचे थे.
जोकोविच ने छह विंबलडन के अलावा नौ बार आस्ट्रेलियन ओपन, तीन बार अमेरिकी ओपन और दो बार फ्रेंच ओपन जीता है.
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वह आधुनिक एटीपी टूर पर सभी बिग टाइटल जीतने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं.
यानी, सभी चार ग्रैंड स्लैम टूनार्मेंट, सभी नौ एटीपी मास्टर्स इवेंट और एटीपी फाइनल.
विशेष रूप से, वह ओपन एरा में दोहरा करियर ग्रैंड स्लैम हासिल करने वाले एकमात्र खिलाड़ी होने के साथ-साथ करियर गोल्डन मास्टर्स को पूरा करने वाले एकमात्र खिलाड़ी भी हैं, जो उन्होंने दो बार किया है.
इस साल शानदार फार्म में चल रहे बेरेटेनी ने जोकोविच को चौंकाते हुए पहला सेट जीत लिया, लेकिन इसके बाद सुपर नोवाक ने उन्हें एक भी मौका नहीं दिया और लगातार तीन सेट अपने नाम करते हुए खिताब तक पहुंच गए.
जोकोविच ने शुक्रवार रात एक और विंबलडन खिताब के बारे में कहा था, मेरे लिए यह सब कुछ होगा. इसलिए मैं यहां हूं, इसलिए मैं खेल रहा हूं. मैंने कल्पना की थी कि मैं लंदन आने से पहले एक और ग्रैंड स्लैम ट्रॉफी के लिए लड़ने की स्थिति में हूं. मैंने खुद को बहुत अच्छी स्थिति में रखा.
ऑल इंग्लैंड क्लब में सातवें फाइनल में पहुंचने वाले जोकोविच, रोजर फेडरर के बाद 30 ग्रैंड स्लैम फाइनल में पहुंचने वाले दूसरे पुरुष खिलाड़ी हैं. फेडरर 31 मौकों पर ग्रैंड स्लैम के फाइनल में पहुंच चुके हैं.
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फाइनल मैच के बाद जोकोविच ने कहा, "आज का कड़ा मुकाबला एक लड़ाई से ज्यादा था. उसके पास एक बहुत शक्तिशाली खेल है. एक सच्चा इतालवी हथौड़ा है और मैंने इसे अपनी त्वचा पर आज कई बार महसूस किया है.
यह बताते हुए कि यह ट्रॉफी उनके लिए क्या मायने रखती है, जोकोविच ने वह कहानी सुनाई जो उन्होंने अक्सर पहले भी बताई है. सात साल की उम्र में अपने कमरे में ट्रॉफी की प्रतिकृति बनाकर विंबलडन जीतने का सपना देखा था.
जोकोविच ने पुरस्कार वितरण समारोह में कहा, एक बच्चे के रूप में विंबलडन जीतना मेरा सबसे बड़ा सपना था. मैं इस कहानी को सिर्फ यह याद दिलाने के लिए दोहराऊंगा कि यह कितना खास है और इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए.
एक सात साल का लड़का अपने कमरे में विंबलडन ट्रॉफी तैयार कर रहा है, और आज वही लड़का अपने छठी विंबलडन ट्रॉफी के साथ यहां खड़ा है, यह अविश्वसनीय है.
ऐसा लगता है कि 34 साल के जोकोविच, फेडरर और नडाल दोनों से आगे निकल जाएंगे. क्योंकि वह सभी प्रकार की सतहों पर खेलने के लिए पर्याप्त रूप से फिट दिखते हैं.