नई दिल्ली : भविष्य के ओलंपिक खेलों के लिए प्रतिभा को निखारने के मकसद से खेल मंत्रालय ने शनिवार को देश की छह खेल सुविधाओं का उन्नयन करके उन्हें खेलों इंडिया राज्य उत्कृष्टता केंद्र (केआईएससीई) में बदलने की मंजूरी दी. मंत्रालय ने इसके साथ ही चार वर्षों के लिए वित्तीय सहायता के रूप में 67.32 करोड़ रुपये की मंजूरी दी.
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जिन छह केन्द्रों का उन्नयन किया जाएगा उसमें राज्य खेल अकादमी, सरजसई, गुवाहाटी (7.96 करोड़ रुपये), जेएनएस परिसर, शिलांग (8.39 करोड़ रुपये), पलजोर स्टेडियम, गंगटोक (7.91 करोड़ रुपये), नवीन खेल परिसर, सिलवासा (8.05 करोड़ रुपये), मध्य प्रदेश राज्य अकादमी (19 करोड़ रुपये), श्री शिवछत्रपति खेल परिसर, पुणे में बालेवाड़ी (16 करोड़ रुपये) शामिल है.
इसके लिए 2020-21 और उसके बाद के चार वर्षों के लिए समेकित बजट अनुमान 67.32 करोड़ रूपये है.
खेल मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि 2028 ओलंपिक में भारत को शीर्ष 10 पदक जीतने वाले देशों में से एक बनाने के सरकार के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में देश भर में खेल उत्कृष्टता केंद्र बनाने की ओर यह एक कदम है.
उन्होंने कहा, "इनमें से प्रत्येक केंद्र एक विशिष्ट खेल अनुशासन में विश्व स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करेगा और देश में मुख्य सुविधा बन जाएगा जहां उस खेल के एलीट एथलीट प्रशिक्षण लेंगे."
उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि प्रत्येक राज्य ने बड़ी सकारात्मकता और उत्साह के साथ केंद्र की इस पहल का समर्थन किया है."
केंद्रों के समर्थन में बुनियादी ढांचे के उन्नयन, खेल विज्ञान सुविधाओं की स्थापना और गुणवत्ता वाले कोच के अलावा खेल विज्ञान मानव संसाधन जैसे फिजियोथेरेपिस्ट और स्ट्रेंथ एवं कंडीशनिंग विशेषज्ञों की उपलब्धता शामिल है.
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मंत्रालय ने कहा कि वह हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में मौजूदा खेल अवसंरचना का उन्नयन कर रहा है. पूरे देश में एक मजबूत खेल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के उद्देश्य से वह केआईएससीई की स्थापना कर रहा है.
मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि प्रत्येक केआईएससीई को 14 ओलंपिक खेलों में से किसी एक खेल में समर्थन दिया जाएगा, जिसमें से एक राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश को अधिकतम तीन खेलों के लिए समर्थन दिया जाएगा.