नई दिल्ली : अपने खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों पर सरकारी पैनल की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे बृज भूषण शरण सिंह ने रविवार को पुष्टि की कि वह सात मई को होने वाले भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) चुनाव में अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन उन्होंने संकेत दिए कि वह महासंघ में नई भूमिका तलाश सकते हैं. डब्ल्यूएफआई ने महासचिव वीएन प्रसाद की अध्यक्षता में अपनी आम परिषद और कार्यकारी समिति की आपात बैठक में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की.
बृजभूषण डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष के रूप में चार-चार साल के तीन कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और खेल संहिता के अनुसार 12 साल तक अध्यक्ष रहने के बाद वह फिर से इस पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. बृजभूषण ने बैठक के बाद पीटीआई से कहा, 'हमें पहले चुनाव कराने थे लेकिन हाल के विवाद के कारण हम चुनाव नहीं करा पाए लेकिन हम अब आगे बढ़ेंगे. मैं खेल संहिता का पालन करूंगा और अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ूंगा'. तो क्या इसका मतलब है कि वह डब्ल्यूएफआई से नहीं जुड़े रहेंगे, उन्होंने कहा, 'मैंने कहा है कि मैं अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं करूंगा मैंने यह नहीं कहा कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा'.
बृजभूषण अभी 66 साल के हैं और उन्हें पदाधिकारी के पद के लिए चुनाव लड़ने की पात्रता हासिल करने के लिए चार साल के ‘कूलिंग ऑफ पीरयड’ (चार साल तक किसी पद पर नहीं रहना) से गुजरना होगा. हालांकि वह डब्ल्यूएफआई की पांच सदस्यीय कार्यकारी समिति के सदस्य बने रह सकते हैं. बृजभूषण का कूलिंग ऑफ पीरियड 2027 में पूरा होगा और तब तक वह 70 साल के हो जाएंगे और संहिता के अनुसार उन पर तब आयु का नियम लागू होगा और वह चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
यह देखना दिलचस्प होगा क्या उनके बेटे करण डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगे. वह अभी उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं. यह पूछे जाने पर कि देश के चोटी के पहलवानों द्वारा उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न और डराने धमकाने के आरोपों को देखते हुए क्या उन्हें एजीएम में भाग लेने की अनुमति मिल गई थी, बृजभूषण ने कहा कि उन्होंने नियमों के तहत ही काम किया है. उन्होंने कहा, 'मुझे लिखित रूप से तीन सप्ताह तक कामकाज से दूर रहने के लिए कहा गया था जिसे बाद में छह सप्ताह तक बढ़ा दिया गया था और मैंने ऐसा किया. मैं आईओए (भारतीय ओलंपिक संघ) और निगरानी पैनल की सुनवाई में उपस्थित हुआ था. मैं अब डब्ल्यूएफआई पदाधिकारी के रूप में काम कर सकता हूं. किसी नियम को तोड़ने का कोई सवाल नहीं उठता है'. बृज भूषण ने कहा, 'समिति का निष्कर्ष सरकार के पास है और मैं रिपोर्ट का इंतजार कर रहा हूं'.
बते दें कि विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और सरिता मोर सहित देश के कई शीर्ष पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई प्रमुख पर महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने और खिलाड़ियों को धमकाने का आरोप लगाया था. बृजभूषण ने कहा कि सुनवाई के दौरान पहलवानों ने जो कहा वह हास्यास्पद है. उन्होंने कहा, 'इन पहलवानों ने जो कुछ कहा उससे मेरी हंसी नहीं रुक रही थी. यदि मैंने साक्षी मलिक के साथ कुछ गलत किया होता तो फिर वह मुझे अपनी शादी में क्यों बुलाती. वे अपने व्यक्तिगत और पारिवारिक मामलों को लेकर मेरे पास आते थे'.
बृज भूषण ने कहा, 'वे मेरे बेटे बहू के साथ बैठते थे और साथ में भोजन करते थे. अब वे अचानक ही आरोप लगाने लगे कि मैंने उन्हें परेशान किया. यदि ऐसा था तो फिर वह मेरे घर क्यों आते थे'. डब्ल्यूएफआई प्रमुख ने कहा कि जब यह मसला सुलझ जाएगा तो महासंघ के मन में बदले की भावना नहीं होगी. उन्होंने कहा, 'विरोध करने वाले पहलवान ही नहीं कई ऐसे लोग हैं जो अब मेरा सामना नहीं कर सकते हैं. लेकिन यदि वे खेलना चाहते हैं तो सभी के लिए प्रक्रिया पहले की तरह एक जैसी होगी. सभी योग्य खिलाड़ी प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं लेकिन डब्ल्यूएफआई किसी पहलवान को ओलंपिक ट्रायल से छूट नहीं देगा भले ही उस पहलवान ने उस वर्ग में कोटा हासिल किया हो'.
बृज भूषण ने कहा, 'यदि बजरंग ओलंपिक कोटा हासिल करता है तो उसे ओलंपिक में खेलने के लिए राष्ट्रीय ट्रायल्स के विजेता से भिड़ना होगा. यदि वह हार जाता है तो तब भी उसे 15 दिन बाद फिर से मुकाबला करने और भारतीय टीम में जगह बनाने का मौका दिया जाएगा'. उन्होंने कहा, 'किसी तरह का भेदभाव नहीं होगा. मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. इन पहलवानों को मोहरा बनाया गया, विवाद के पीछे कोई और है. पहलवानों का इस्तेमाल किया गया. मैंने एक दिन भी अपराध बोध में नहीं बिताया. मैं अपना काम करता रहा और महासंघ आगे भी काम करता रहेगा भले ही मैं उसका हिस्सा रहूं या नहीं रहूं'.
(पीटीआई: भाषा)